उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव इस समय अपनी सरगर्मी पर है। हर राजनीतिक दल अपने-अपने राज्यों में अपने तरीकों से अपना वर्चस्व प्राप्त करना चाहता है। वहीं, उत्तराखंड में सत्ताधारी भाजपा के लिए राह आसान नहीं है क्योंकि राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस भाजपा की ‘दुर्बलताओं’ को जानते हुए लोकलुभावन नीतियों के साथ राजनीतिक मैदान में उतर आई है। वहीं, भाजपा ने भी इसी बीच चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण घोषणा की है।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लाएगी भाजपा
दरअसल, राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उत्तराखंड में जल्द से जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू किया जाएगा। सीएम धामी के अनुसार चुनाव के बाद नई सरकार शपथ ग्रहण करते ही न्यायविदों की एक कमेटी गठित करेगी, जोकि पूरे प्रदेश में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करेगी।
TV 9 भारतवर्ष की रिपोर्ट के एक अंश अनुसार, “CM धामी ने कहा, शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, नई बीजेपी सरकार (BJP Government) राज्य में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाएगी। हालांकि यह यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) प्रदेश में सभी लोगों के लिए विवाह, तलाक, भूमि-संपत्ति और विरासत के संबंध में एक समान कानून प्रदान करेगी। इसमें चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो।”
The announcement I'm going to make is a resolution of my party & will be fulfilled as soon as the new BJP govt is formed. To keep the culture and heritage of 'Devbhoomi' intact is our prime duty, we are committed to this: CM Pushkar S Dhami, in Khatima #UttarakhandElections2022 pic.twitter.com/CpQoktt2Ml
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 12, 2022
लेकिन इसके लिए भाजपा को हर हाल में उत्तराखंड में विजयी होना होगा क्योंकि उत्तराखंड में सब कुछ ठीक नहीं है। सत्ताधारी भाजपा के पास जनाधार और कार्यकर्ता दोनों है किंतु प्रदेश इकाई की गुटबाजी ने भाजपा को उत्तराखंड की एकमात्र राजनीतिक शक्ति बनने से रोक रखा है, जिसके कारण वैकल्पिक गुटबाजी तो हो ही रही है और असामाजिक तत्वों का ‘भूमि जिहाद’ के नाम पर प्रादुर्भाव भी हो रहा है। उदाहरण के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इसलिए असफल सिद्ध हुए क्योंकि उनके लिए प्रशासन से अधिक महत्वपूर्ण कुर्सी का मोह था। उत्तराखंड में भूमि जिहाद एक प्रमुख समस्या बन चुका है किंतु त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में इसको लेकर कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया।
और पढ़ें: राम मंदिर, अनुच्छेद 370, CAA के बाद बचा UCC, सरकार अब इसे लाने की तैयारी कर रही है
जीत के बिना असंभव है UCC
वहीं, अवसर होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी पूर्णतया खुश नहीं है। कांग्रेस के पास हरीश रावत जैसा नेता है, परन्तु अब वह न घर के रहे न घाट के। हरीश रावत को पंजाब कांग्रेस की समस्या सुलझाने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रभारी के रूप में भेजा था, किंतु उन्हें निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं दी गई। साथ ही उत्तराखंड में उनके विरोधी गुटों को मजबूत करने का प्रयास राहुल गांधी द्वारा किया जा रहा है। हाल ही में यह विवाद इतना बढ़ गया था कि हरीश रावत ने ट्विटर के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से इस्तीफे की बात भी कर दी थी।
बता दें कि UCC शुरू से ही भाजपा के चुनावी मेनिफेस्टो का हिस्सा रहा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लंबे वक्त से चर्चा में रहा है। इसका उद्देश्य नागरिकों के लिए समान कानून तैयार करना है, जिसमें कोई धार्मिक आधार ना हो। मालूम हो कि देश में अभी पर्सनल लॉ मौजूद हैं, जिसमें शादी, तलाक, गोद लेने, गुजारा भत्ता पर अलग-अलग नियम हैं।
ऐसे में, भाजपा के पास अब भी एक स्वर्णिम अवसर है कि वो यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और कर्नाटका में चल रहे वर्तमान हिजाब विवाद के मद्देनजर आक्रामक प्रचार करे और उत्तराखंड की जनता को इसके दुष्परिणामों से परिचित कराए ताकि पर्वतधारी प्रदेश के निवासियों की सुबह काली न हो और ये तभी संभव होगा जब भाजपा विजय के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाएगी और साथ में उत्तराखंड के कोने-कोने में अपना संदेश स्पष्ट रूप से पहुंचाएगी!