यह सर्वविदित है कि किसी भी देश का कोई भी उपभोक्ता क्यों न हो, वो किसी भी वस्तु का उपभोग करने के लिए तत्काल मान जाता है यदि उसका विज्ञापन उसका पसंदीदा इंफ्लुएंसर कर रहा हो। इसी अंधश्रद्धा पर नकेल कसने के लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापन संबंधी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन करने पर एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने इंस्टाग्राम के 28 इंफ्लुएंसरों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट को एक सांकेतिक चेतावनी भी माना जा रहा है।
दरअसल, बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह और जैकलिन फर्नांडीस समेत दो दर्जन से अधिक इंफ्लुएंसर विज्ञापन के लिए भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे। भारतीय विज्ञापन उद्योग के स्वशासित निकाय ने गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बॉलीवुड हस्तियों समेत आम लोगों के फैशन और जीवन शैली को प्रभावित करने वाले 28 इंफ्लुएंसर के नामों पर प्रकाश डाला गया।
ASCI के अनुसार उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध नामचीन हस्तियों को पूर्व में निर्देशित किया था कि यदि वो कोई भी ब्रांड का प्रमोशन करते हैं, तो उसके साथ कुछ टैग अवश्य लगाएं, ताकि आपके फॉलोवर समझ पाएं कि वह पेड-प्रमोशन का एक भागमात्र है। ऐसा न करना इन सभी चर्चित चेहरों को किसी भी वस्तु का असल में उपयोगकर्ता परिभाषित करता है, जिससे भ्रम की स्थिति फैलती है। इन सभी मानकों को मानने में उक्त 28 इंफ्लुएंसर विफल रहें, जिसके कारण इन सभी को सूचीबद्ध करते हुए चेतावनी दी गई है कि मानकों का पालन न करना उचित नहीं है।
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उपभोक्ता संरक्षण को लेकर गंभीर है ASCI
ध्यान देने वाली बात है कि ASCI ने एक लंबे अरसे से ऐसे इंफ्लुएंसर पर पैनी निगाह जमाई थी और ये सभी अपनी भूल और गलतियों के परिणामस्वरूप जांच के दायरे में आ गए। ये हस्तियां पहली नियमित जांच पर नियमावली का पालन करने में विफल रही। ये इंफ्लुएंसर Myntra, Nykaa, मान्यवर, Kama Ayurveda सहित अन्य ब्रांडों और व्यवसायों का प्रमोशन एवं प्रतिनिधित्व करते हैं। एएससीआई ने कहा कि शिकायत से निपटने वाली टीम द्वारा इन इंफ्लुएंसर और ब्रांडों से संपर्क किया गया और उन्हें दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया। प्रमुख तौर पर जिन नामों ने सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया, वो अभिनेता रणवीर सिंह और अभिनेत्री जैकलिन फर्नांडीस के नाम थे। सिंह और फर्नांडीस के फोटो और वीडियो शेयरिंग ऐप पर 96 मिलियन के करीब फॉलोअर्स हैं। साथ ही अन्य जो इंफ्लुएंसर रडार पर आए हैं, इंस्टाग्राम पर उनके भी फॉलोवर्स की संख्या लाखों में है।
ASCI की महासचिव मनीषा कपूर ने कहा कि अनुपालन न करने वाले मामलों को नियमित रूप से सरकार के पास भेजा जाता है। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह उद्योग और इन्फ्लुएंसर्स को संकेत देता है कि हम उपभोक्ता संरक्षण के बारे में गंभीर हैं और हमारे एजेंडे में भ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई करना प्राथमिकता में से एक है।” कपूर ने आगे कहा कि हम विज्ञापन में जिम्मेदारी और पारदर्शिता का संदेश फैलाने के लिए उपभोक्ता को शिक्षित और उनका सहयोग करना जारी रखेंगे। ध्यान देने वाली बात है कि पिछले साल जून में ASCI ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने हेतु प्रभावशाली लोगों के लिए अपने प्रचार करने वाली वस्तुओं को लेबल करना अनिवार्य कर दिया था। ASCI के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि इन्फ्लुएंसर और विज्ञापनदाताओं के बीच कोई डील है, तो ऐसे में उन्हें ब्रांडेड पोस्टों को लेबल करना होगा।
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एएससीआई के मानकों का होना जरुरी है
ASCI के दिशा-निर्देशों के अनुसार सोशल मीडिया पोस्ट, रील्स, स्टोरीज पर प्रकटीकरण लेबल स्पष्ट और प्रमुख रूप से प्रदर्शित (हैशटैग के नीचे नहीं दबे) होने चाहिए और यह निर्दिष्ट करना चाहिए कि ये लेबल कहां, कैसे और कितने समय तक प्रदर्शित होने चाहिए। गौरतलब है कि जुलाई-दिसंबर 2021 के बीच उपभोक्ताओं की शिकायतों को लेकर लगभग 5,000 पोस्ट, स्टोरीज और प्रभावशाली लोगों एवं इन्फ्लुएंसर्स के हैंडल से फ़ीड की जांच की गई। सभी शिकायतों में से कुल 719 ASCI दिशा-निर्देशों के उल्लंघन से जुड़ी हुई थी।
आपको बता दें कि ASCI दिशा-निर्देशों के अनुसार, विज्ञापन से जुड़े लेबल और डिस्क्लोजर की जवाबदेही विज्ञापनदाता की है, जिसका प्रोडक्ट कोई भी नामचीन हस्ती या इन्फ्लुएंसर प्रमोट करता है। साथ ही निर्देशों के अनुरूप इन्फ्लुएंसर की भी उतनी ही जवाबदेही बनती है, जितनी कंपनी की है, इसलिए PAID PROMOTION जैसे लेबल न लगाना निर्देशों का उल्लंघन होगा। यह भी सत्य है कि जो दिखता है, वही बिकता है की रीति आज भी सामाजिक रूप से विद्यमान है, इसी कारणवश एएससीआई जैसी संस्थाओं और उनके मानकों की आवश्यकता आज के ज़माने में सबसे अधिक है।
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