क्रिकेट एकमात्र ऐसा खेल है जहां भारत की बादशाहत को कोई चुनौती नहीं दे सकता। भारत ना सिर्फ इस खेल में विजेता है बल्कि हमने तो इस पूरे खेल को ही जीत लिया है। इस खेल में हमारी बादशाहत ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नींव हिला दी। इस खेल के प्रति हमारे जुनून ने इसे धर्म का रूप दे दिया और इसे खेलनेवालों को भगवान का। इस खेल ने हमारे अंदर राष्ट्रवाद और एक भारतीय होने का एहसास भी भरा। वहीं, यह खेल ना सिर्फ हमें एक साथ जोड़ता है परंतु भारत के जीत के चिल्लाते और प्रार्थना करते देशवासियों में भारतीयता का संचार भी करता है।
हम सभी भारतवासियों को एक करने वाले इस एहसास के बारे में कुछ भारत विरोधियों को पता चल चुका है। अतः अब वो भारतीय क्रिकेट के बहाने यहां की सरकार, सनातन सभ्यता, संस्कृति और समाज को बदनाम करने का अथक प्रयास कर रहें है। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों के क्रिकेट, पत्रकारिता, लेखन और मीडिया संस्थाओं में कट्टरपंथी तथा भारत-विरोधी इस्लामी और ईसाई समूहों का नियंत्रण हो चुका है, जो क्रिकेट का प्रयोग कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि धूमिल करने में लगे हुए हैं? ये लोग क्रिकेट के माध्यम से ना सिर्फ भारत विरोधी प्रोपेगेंडा प्रसारित करते हैं बल्कि अपने स्वार्थ-सिद्धि हेतु भारतीय क्रिकेट को कट्टरता से भी जोड़ देते हैं।
भारतीय क्रिकेट में हिन्दू राष्ट्रवाद का क्या है कनेक्शन
जैकोबिन अमेरिकी वामपंथ की एक प्रमुख पत्रिका है, जो राजनीति, अर्थशास्त्र और संस्कृति पर समाजवादी दृष्टिकोण पेश करती है। यह पत्रिका त्रैमासिक रूप से जारी की जाती है और प्रति माह 3,00,000 से अधिक वेब दर्शकों के अलावा 75,000 ग्राहकों तक पहुँचती है। 8 अप्रैल 2019 को इस पत्रिका में एक लेख छपा जिसका शीर्षक था “Cricket in Service of Hindu Nationalism” अर्थात “भारतीय क्रिकेट हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थक व सेवक है।” माइक मेहल वुड और नकुल एम पांडे द्वारा लिखित यह लेख पूर्ण रूप से भारत की सरकार और यहाँ के समाज के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रतीत होता है। माइक मेहाल एक पत्रकार हैं, जो खेल, संस्कृति, राजनीति में विशेषज्ञता रखते हैं। वह फोर्ब्स, वाइस और कई अन्य प्रकाशनों के लिए लिखते हैं जबकि नकुल एम. पांडे लंदन में स्थित एक क्रिकेट लेखक, प्रसारक और कमेंटेटर हैं।
वह दुनिया के प्रमुख स्वतंत्र क्रिकेट प्रसारक गुरिल्ला क्रिकेट में सहायक संपादकीय निदेशक हैं। अपने नाम के आगे इतने बड़े-बड़े ओहदे और उपलब्धियां लगाने वाले इन लोगों ने क्रिकेट के विपरीत एक लेख छापा है। इनके लेख को देखकर ऐसा लगता है, जैसे या तो इन्हें क्रिकेट और भारत का ज्ञान नहीं है या फिर ये भारत विरोधी किसी दुराग्रह से ग्रसित हैं। इस लेख में ट्रम्प, सर्वोच्च न्यायालय, भारतीय सेना, हिन्दू, धोनी, कोहली, BCCI समेत सभी भारतीय खिलाड़ियों को हिन्दुत्व से जोड़ दिया गया है परंतु इसके पीछे कोई साक्ष्य और तर्क नहीं दिये गए हैं। ऐसा लगता है मानों ये कोई लेख नहीं बल्कि एक खिसियाए हुए इंसान की अभिव्यक्ति है।
भारतीय क्रिकेट के खिलाफ प्रोपेगेंडा
NBC न्यूज अमेरिकी प्रसारण टेलीविजन नेटवर्क NBC का समाचार प्रभाग है। अमेरिका की इस बड़ी और विश्वस्त न्यूज़ कंपनी द्वारा एक खबर छापी गई जिसका शीर्षक था “India has an eroding image of tolerance in the West. A recent cricket loss proves why?” अर्थात पश्चिम में भारत की सहिष्णुता की छवि क्षीण होती जा रही है, हाल ही में हुई एक क्रिकेट हार इसे साबित करती है? इस खबर के माध्यम से न केवल भारत के संप्रभूता पर हमला करने की कोशिश की गई बल्कि उसके सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और आंतरिक मामलों में भी दखल देने की कोशिश की गई। इस लेख में भारतीय खिलाड़ी मोहम्मद शमी के पाक जनित ट्रोलिंग का ठीकरा भारत के सर फोड़ा गया और भारत की हार पर पाक के नारे लगाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कारवाई को भारत की मुस्लिम असहिष्णुता से जोड़ा गया।
इसी तरह 7 अप्रैल को द इंडियन एक्सप्रेस ने अपने फ्रंट-पेज पर एक लेख छापा, जिसका शीर्षक था “विजडन पॉप्स द क्वेरी: सचिन?” वहीं, इसके टैगलाइन में जोड़ा गया था “15 साल के दौरान एक मैचविनर की भूमिका निभाने में विफलता।” इस लेख के माध्यम से ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ Wisden पत्रिका के उस दुराग्रह को उजागर करना चाहती थी जिसमें उन्होंने सचिन को एक नाकाम मैच विनर बताया था। इसके पीछे का कारण था कि सचिन भारतीयों के दुलारे और भारत रत्न के प्राप्तकर्ता है। वहीं, एक पत्रकार हैं साराह वारिस, जो buzzfeed में सीनियर टैलंट प्रोड्यूसर हैं। ये महोदया भी मोदी पूर्वाग्रह से इतनी ग्रस्त हैं कि मोदी पर हमला करने के लिए इन्होंने क्रिकेट को अपना ढाल बना लिया है! सर्वोच्च न्यायालय को ये मोदी सरकार द्वारा समर्थित और BCCI को सरकार के कब्जे में बताती है और खुलेआम अपने प्रोपेगेंडा का प्रसार भी करती हैं।
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नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है भारतीय क्रिकेट
बता दें कि हाल के दिनों में, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पश्चिमी देशों की अन्य मीडिया हाउस को इस्लामिक और ईसाई कट्टरपंथियों ने हाइजैक कर लिया है। वो इस तथ्य से भली-भांति अवगत हैं कि क्रिकेट भारत को एक सूत्र में पिरोता है और अब वे भारत के इसी सूत्र को पुरजोर रूप से तोड़ने की कोशिश कर रहें हैं। कभी धोनी का उदाहरण पेश करते हुए वे भारतीय क्रिकेट में सेना के बढ़ते प्रभुत्व को दर्शाते हैं, तो कभी विराट कोहली को मोदी समर्थक बताते हैं। कभी वो शमी को भारतीय कट्टरता से प्रताड़ित बताते हैं तो कभी BCCI को संघी दिखाते हैं। वहीं, उनके अथक प्रयासों के बावजूद भारतीय क्रिकेट संगठनात्मक रूप से नित नयी ऊंचाइयों को छूते जा रहा है और उसके ऊपर से IPL के वर्चस्व ने पूरे विश्व क्रिकेट को अपने कब्जे में ले लिया है।