क्या आपको दीप सिद्धू याद है? अवश्य होगा। अगर नहीं है तो चलिये हम बताते हैं। पिछले साल गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली को कब्जे में लेने वाले कृत्य और हिंसा की घटनाएं तो याद ही होंगी। अगर ये भी याद नहीं है, तो लाल किले पर तिरंगा को अपमानित करते हुए निशान साहिब फहराने की घटना तो याद होगी। अभिनेता दीप सिद्धू को इन्हीं सारी शर्मनाक घटनाओं और दिल्ली में फैले अराजकताओं का मास्टरमाइंड माना जाता था। हाल ही में वो जमानत पर बाहर आए थे।
इसी बीच खबर है कि एक दुर्भाग्यशाली सड़क दुर्घटना में दीप सिद्धू की मौत हो गई है। दीप सिद्धू गुरुग्राम से बठिंडा जा रहे थे। एसयूवी कार वह खुद चला रहे थे और वक्त हो रहा था रात के करीब साढ़े नौ बजे। इसी दौरान कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे पर उनकी गाड़ी एक ट्रक से टकरा गई। सोनीपत के खरखौदा में हादसे के वक्त उनकी एनआरआई गर्लफ्रेंड रीना राय भी कार में ही मौजूद थी। रीना राय ने बताया, ‘जब हादसा हुआ तब दीप सिद्धू की आंख लग गई थी। ट्रक से टक्कर के बाद कार तकरीबन 20 से 30 मीटर तक सड़क पर घिसटती चली गई। इस दौरान कार का आगे का हिस्सा पिचक गया।’
इस पूरे मामले पर पुलिस का बयान आया है कि सिद्धू दिल्ली से पंजाब के भटिंडा जा रहे थे। मंगलवार रात 9.30 बजे एक ट्रेलर ट्रक में गाड़ी की टक्कर हुई, जिसमें उनकी मौत हो गई। सोनीपत के एसपी राहुल शर्मा का कहना है कि ‘अभी तक की जांच में जल्दबाजी और लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला सामने आया है और उन्हीं धाराओं में हमने FIR दर्ज की है। चालक की पहचान की गई है और पुलिस उसको पकड़ने का प्रयास कर रही है। गाड़ी से उनका सामान, मोबाइल और शराब की आधी खाली बोतल मिली है। फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद पता चलेगा कि उन्होंने शराब पी थी या नहीं।’ वहीं, अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मृत लाया गया था, अर्थात् मौके पर ही उनकी मौत हो गयी थी।
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कई मामलों में आरोपी थे सिद्धू
ध्यान देने वाली बात है कि सिद्धू को दिल्ली पुलिस ने पिछले साल फरवरी में गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा एक ट्रैक्टर रैली के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, जो बाद में प्रदर्शनकारियों के लाल किले में जबरन घुसने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के बाद हिंसा में बदल गई थी। दीप सिद्धू तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे और किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान लाल किला हिंसा मामले में आरोपी थे।हालांकि, इस सिलसिले में उन्हें अप्रैल 2021 में जमानत मिल गई, लेकिन रिहा होने के बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। पर, उन्हें अप्रैल के अंत में दूसरी बार जमानत पर रिहा किया गया। दिल्ली की एक अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब भी पुलिस उन्हें बुलाएगी, उन्हें पूछताछ के लिए पेश होना होगा।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस अभिनेता के निधन पर शोक व्यक्त किया है। चन्नी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा, “प्रसिद्ध अभिनेता और सामाजिक कार्यकर्ता, दीप सिद्धू के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवार और प्रशंसकों के साथ है।” पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान ने भी ट्वीट कर शोक संवेदना व्यक्त की है।
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पंजाब में बनाया था ‘वारिस पंजाब’ नामक संगठन
आपको बता दें कि दीप सिद्धू पिछले काफी वक्त से पंजाब की राजनीति में एक्टिव रहे थे। उन्होंने पंजाब में ‘वारिस पंजाब’ नाम का एक संगठन भी बनाया। सिद्धू का कहना था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन राजनीति के लिए लोगों को जागरूक करेंगे। हालांकि, दीप सिद्धू पंजाब में 20 फरवरी को निर्धारित चुनावों से पहले शिरोमणि अकाली दल मान, अमृतसर के अध्यक्ष सिमरजीत सिंह मान के लिए लगातार चुनाव प्रचार कर रहे थे। ध्यान देने वाली बात है कि सिमरजीत सिंह मान को हमेशा से खालिस्तानी मूवमेंट के साथ जोड़कर देखा जाता है। दीप सिद्धू का नाम भी तब से कहीं न कहीं खालिस्तानी सपोर्टरों में आने लगा था, जब से उन्होंने किसान आंदोलन में खालिस्तानी मूवमेंट की तारीफ शुरू की थी।
कभी देओल परिवार के थे बेहद करीबी
इतना ही नहीं दीप सिद्धू देओल परिवार यानी बॉलीवुड एक्टर धर्मेन्द्र के परिवार के भी खास माने जाते थे। कथित तौर पर उनके परिवार का कामकाज दीप सिद्धू देखते थे। वर्ष 2019 में जब सनी देओल ने गुरदासपुर से चुनाव लड़ा, तो उनके चुनाव का सारा कामकाज दीप सिद्धू ही देख रहे थे। लेकिन तीन कृषि कानूनों के विरोध में आने के बाद से दीप सिद्धू ने देओल परिवार से दूरी बना ली और वह बीजेपी के खिलाफ भी लगातार बोलते नजर आए। हालांकि, दीप सिद्धू की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु अत्यंत दुखदायी है। इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि दीप सिद्धू पर लगा दाग अभी तक धुला नहीं था। यह प्रश्न भी उन्हीं के साथ निरुत्तरित रह गया कि क्या वो निर्दोष थे, किसी के हाथ की कठपुतली थे या स्वयं ही उनपर लगे आरोपों के मास्टरमाइंड?
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