मुख्य बिंदु
- रक्षा बजट में स्थानीय व्यवसायों के बीच आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का रखा गया लक्ष्य
- बजट में नए हथियारों के साथ सैन्य प्लेटफार्मों के लिए उपकरण अधिग्रहण हेतु 22.26 बिलियन डॉलर का फंड जारी किया गया
- सरकार ने रक्षा अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों के लिए नवीनतम बजट में प्रस्तावित किया $1.6 बिलियन का फंड
- रक्षा मंत्री ने कहा, “यह बजट ‘वोकल फॉर लोकल’ के अनुरूप है और यह निश्चित रूप से घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा।”
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2022 को संसद में केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया। इस बजट में विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ भारत सरकार ने देश के रक्षा क्षेत्र को प्राथमिकता दी, जिसमें स्थानीय व्यवसायों के बीच आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और नए हथियारों के साथ सैन्य प्लेटफार्मों के लिए उपकरण अधिग्रहण हेतु 22.26 बिलियन डॉलर के फंड की सहायता से देश की आयात निर्भरता को कम करने पर ध्यान दिया है।
वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए भारत का कुल रक्षा बजट 54.2 बिलियन डॉलर का है, जिसमें 15 लाख से अधिक सैन्य कर्मियों के वेतन और भत्ते को कवर करने के लिए $20.26 बिलियन शामिल हैं। इस बजट में सेवानिवृत्त कर्मियों की रक्षा पेंशन शामिल नहीं है। इस वर्ष भारतीय वायु सेना के नए हथियारों की खरीद के लिए पूंजीगत परिव्यय $7.43 बिलियन आरक्षित किया गया है। वहीं, नौसेना के लिए 6.36 अरब डॉलर और थल सेना के लिए $4.28 बिलियन आवंटित किया गया है।
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बजट में रक्षा उपकरणों को दी गई है प्राथमिकता
दरअसल, भारतीय वायु सेना फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों, रूसी S-400 वायु रक्षा प्रणालियों, अपाचे एवं चिनूक हेलीकॉप्टरों और इजरायल की मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों के लिए मौजूदा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए अधिकांश पैसा खर्च करेगी। बता दें कि बहुत से हथियार खरीद अभी भी अधर में अटके हैं और उसको पूर्ण करने के लिए भारतीय वायु सेना को पैसे की आवश्यकता है।
नौसेना अपने धन का उपयोग एक विमानवाहक पोत, विध्वंसक, स्टील्थ फ्रिगेट और मल्टीरोल हेलीकॉप्टरों के भुगतान के लिए करेगी, जिन्हें पहले अनुबंधित किया गया था। सेना अपने धन का उपयोग T-90 और अर्जुन MK1A युद्धक टैंकों, BMP-2/2K पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों, धनुष आर्टिलरी गन, आकाश वायु रक्षा मिसाइलों, कोंकर्स-एम और मिलान-2T एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों के भुगतान के लिए करेगी। कई प्रकार के गोला बारूद भी इस बजट राशि में से खरीदे जाएंगे।
आत्मनिर्भर उद्योग बनाने की है योजना
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि समग्र बजट में वृद्धि आधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ एक आत्मनिर्भर उद्योग बनाने की दिशा में सरकार के संकल्प को दर्शाती है, जिसे स्थानीय रूप से आत्मनिर्भर भारत के रूप में जाना जाता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बजट का स्वागत किया और उन्होंने घरेलू व्यवसायों का समर्थन करने के लिए सरकार के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा, “यह ‘वोकल फॉर लोकल’ के अनुरूप है और यह निश्चित रूप से घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा।” पिछले साल भी सरकार ने घरेलू कंपनियों के लिए स्थानीय स्तर पर हथियारों और प्लेटफार्मों के निर्माण के लिए कुल $ 18.4 बिलियन खरीद बजट में से लगभग 11.77 बिलियन डॉलर आवंटित किए थे। उस समय लगभग 85% अनुबंध राज्य द्वारा संचालित कंपनियों को दिए गए थे।
उस समय राज्य द्वारा संचालित कंपनियों को LCA MK1 लड़ाकू विमानों, MK1 युद्धक टैंकों, सामरिक सॉफ्टवेयर-परिभाषित रेडियो, निम्न-स्तरीय परिवहन योग्य रडार, लिंक्स यू2 फायर कंट्रोल सिस्टम, गाइडेड मिसाइलें, AK-203 असॉल्ट राइफलें, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, कुर्स-एम और मिलान-2टी एंटी-टैंक के लिए देसी कम्पनियों से रक्षा अनुबंध किया गया था। वहीं, कुछ रक्षा विश्लेषकों और सैन्य अधिकारियों ने भी बजट का स्वागत किया लेकिन यह भी बताया कि बजट की राशि आधुनिकीकरण की कमी को पूरा करने में सक्षम नहीं होगी।
वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने भी चेतावनी दी है कि बाहरी कम्पनियों से व्यापार हमेशा की तरह जारी रहेगा। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि स्वदेशी खरीद एक अच्छी धारणा है लेकिन स्थानीय कंपनियों द्वारा उत्पादित सामग्री में अभी भी बड़ी मात्रा में विदेशी निर्मित प्रौद्योगिकियां हैं और उस स्तर पर बदलाव करने के लिए ज्यादा बजट की आवश्यकता होगी। जब तक समग्र बजट में पर्याप्त वृद्धि नहीं होती है, वर्तमान स्थिति बनी रहेगी।
DRDO को और अधिक प्रभावशाली बनाएगा रक्षा बजट
कहना नहीं चाहिए किंतु भारत के रक्षा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाली DRDO जैसी संस्थाओं के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। DRDO जैसी कुछ संस्थाएं बहुत लंबे समय से कुछ बढ़िया उन्नत खोज नहीं कर पाई हैं। माना कि DRDO ने देश को बहुत कुछ दिया है लेकिन फिर भी वह उन्नत तकनीक देने में विफल रही है। सरकार ने रक्षा अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों के लिए नवीनतम बजट में $1.6 बिलियन का जो आवंटन किया है, वह इस स्थिति को बदलने में काफी मदद करेगा।
निजी कंपनियों को DRDO के सहयोग से सैन्य प्लेटफार्मों और उपकरणों के डिजाइन और विकास में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह कदम नवाचार और निवेश को प्रोत्साहित करेगा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन के प्रोफेसर लक्ष्मण कुमार बेहरा के अनुसार, इस कदम का एक और परिणाम यह है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयासों पर एकाधिकार रखने वाली संस्था DRDO को अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
एक मजबूत सैन्य शक्ति की नींव रखेगा भारत
वहीं, बजट दस्तावेजों से यह भी पता चला कि लद्दाख क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद पर लगभग 2.8 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं। चीन लगभग 36,000 वर्ग मील क्षेत्र पर अपना दावा करता है, हालांकि, भारत भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करता है। दोनों देशों ने वर्ष 1962 में सीमा विवाद को लेकर एक संक्षिप्त लड़ाई लड़ी, लेकिन कई द्विपक्षीय राजनयिक और सैन्य वार्ताओं के बावजूद यह विवाद अभी तक अनसुलझा है। ऐसे में, वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में भारत की सीमा पर सड़क से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए राज्य द्वारा संचालित सीमा सड़क संगठन के लिए $466.66 मिलियन की राशि आवंटित की गई है।
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यह राशि पिछले साल के 333.33 मिलियन डॉलर के आवंटन से 40% ज्यादा है। इसी तरह, 566.13 मिलियन डॉलर भारतीय तटरक्षक बल को नए जहाज और विमान खरीदने के साथ-साथ तटीय सुरक्षा नेटवर्क और अन्य आवश्यक तटीय सुरक्षा बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए आवंटित किए गए हैं। यह राशि पिछले वर्ष के 353.33 मिलियन डॉलर के आवंटन से लगभग 60% अधिक है। ऐसे में, कहा जा सकता है कि रक्षा क्षेत्र में भारत सशक्त होने साथ ही भविष्य में एक मजबूत सैन्य शक्ति की भी नींव रखेगा।