EVs को भूल जाइए, भारत के पास अब अपना पहला हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन है!

कार्बन-तटस्थ भविष्य की दिशा में भारत का बड़ा कदम!

H CNG

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भारत का भविष्य साल दर साल स्वर्णिम होने की ओर अग्रसर होते जा रहा है। कोई भी क्षेत्र चाहे वो प्रौद्योगिकी हो, स्वास्थ्य हो या तकनीक भारत नित्त-निरंतर बुलंदियों को छूने की ओर कदमताल कर रहा है। ऐसा ही करिश्मा अब प्राकृतिक गैस प्रणाली में भारत रचने जा रहा है। देश में अब पीएनजी (PNG) और सीएनजी (CNG) को और बेहतर करने का काम आरंभ हो चुका है। गेल (इंडिया) लिमिटेड ने इंदौर, मध्य प्रदेश में प्राकृतिक गैस प्रणाली में हाइड्रोजन के मिश्रण की भारत की पहली परियोजना शुरू की है। एक आधिकारिक बयान में इस बात की पुष्टि की गई है। ध्यान देने वाली बात है कि यह देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है।

सार्वजानिक क्षेत्र की गैस कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड की तरफ से बताया गया कि उसने मध्य प्रदेश के इंदौर में प्राकृतिक गैस में हाइड्रोजन को मिलाने की देश की पहली परियोजना शुरू की है। कंपनी ने बताया कि इस गैस की आपूर्ति इंदौर में सीएनजी और घरों में पाइप से प्राकृतिक गैस की खुदरा बिक्री के लिए की जाएगी। ध्यान देने वाली बात है कि हाइड्रोजन मिश्रित प्राकृतिक गैस की आपूर्ति इंदौर में कार्यरत HPCL के साथ गेल (GAIL) की संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी अवंतिका गैस लिमिटेड को की जाएगी। राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के अनुरूप, गेल ने सीजीडी नेटवर्क में हाइड्रोजन सम्मिश्रण की तकनीकी-व्यावसायिक व्यवहार्यता स्थापित करने के लिए एक पायलट परियोजना के रूप में हाइड्रोजन सम्मिश्रण शुरू किया है।

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जल्द ही ग्रे-हाइड्रोजन को ग्रीन-हाइड्रोजन में बदल दिया जाएगा

TFI ने पहले भी कई बार इस बात को बताया है कि भारत अब प्राकृतिक गैसों और उससे जुड़े सभी क़दमों को तटस्थ रूप से उठाने के लिए सभी आवश्यक उपक्रम तैयार करने के लिए अपनी योजना बना चुका है। अब उस योजना को अमलीजामा पहनाने का कार्य भारत सरकार से जुड़ी सभी संस्थाएं कर रही हैं। इस संबंध में गेल जैसे समूह विगतवार सभी नियमावली को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रहे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि यह परियोजना हाइड्रोजन-आधारित और कार्बन-तटस्थ भविष्य की दिशा में भारत की यात्रा का एक कदम है।

गेल ने सिटी गेट स्टेशन (सीजीएस), इंदौर में ग्रे-हाइड्रोजन का इंजेक्शन शुरू किया है। इस ग्रे-हाइड्रोजन को बाद में ग्रीन-हाइड्रोजन से बदल दिया जाएगा। गेल ने पहले ही परियोजना शुरू करने के लिए आवश्यक नियामक अनुमति प्राप्त कर ली है। गेल ने प्राकृतिक गैस में हाइड्रोजन सम्मिश्रण के प्रभाव का आंकलन करने के लिए डोमेन विशेषज्ञों को भी नियुक्त किया है। गेल हमेशा भारत में गैस आधारित अर्थव्यवस्था के विकास और भारत के हरित और स्वच्छ वातावरण के दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहा है।

एचपीसीएल (HPCL) के सीएमडी मुकेश कुमार सुराना ने बताया कि फिलहाल इंदौर में वितरित किए जाने वाले नेचुरल गैस में हाइड्रोजन बेहद कम मात्रा में मिलाया जाएगा। इसे यदि वॉल्यूम के रूप में मापें तो यह कुल वॉल्यूम का 18 फीसदी होगा। यदि इसे वजन के रूप में देखें तो यह कुल वजन का महज दो फीसदी ही बैठेगा।

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सर्वांगीण विकास का ध्वजवाहक बनेगा देश

बताते चलें कि हमारा देश कार्बन-तटस्थ और आत्मनिर्भर भविष्य प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है, यह परियोजना उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद की जा रही है कि यह प्रायोगिक परियोजना भारत में प्राकृतिक गैस में हाइड्रोजन डालने के पहलुओं को कवर करने के लिए एक मजबूत मानक और नियामक ढांचे के निर्माण में मदद करेगी। यह भारत में इसी तरह की और परियोजनाओं को अंजाम देने का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। यह तय है कि जिस दिन भारत इन जैसी सभी योजनाओं को मूर्त रूप दे देगा, उसका कद और बढ़ेगा। गौरतलब है कि कोरोना के बाद का भारत अब तक का सबसे विकसित भारत होने जा रहा है।  इसी क्रम में सबसे बड़े मुद्दे रोजगार की बात करें, तो इस समस्या का भी निदान ऐसी महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत से होने जा रहा है। जल्द ही भारत एक सर्वांगीण विकास का ध्वजवाहक बनेगा और शत्रु देश बस ताकते रह जायेंगे!

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