“मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना ख़ुशी, नासमझ लाया गम, तो ये गम ही सही!”
यह केवल एक गीत नहीं है, यह फिल्म उद्योग के कुछ कलाकारों की वास्तविकता भी है। ऐसे कलाकार जिन्होंने फिल्म जगत में अपना सब कुछ दिया परन्तु उन्हें पूरे जीवन में उचित सम्मान नहीं मिला और यदि मिला भी तो बहुत देर से मिला। कुछ ऐसे ही कलाकारों से, जिन्हें प्रारंभ में उतनी प्रसिद्धि नहीं मिली किंतु उनके लाईमलाईट में आते-आते प्राण पखेरू उड़ गए। भारतीय फिल्म उद्योग विशेषकर बॉलीवुड वंशवाद नामक बीमारी से ग्रसित है, जिसका असर किसी भी महामारी से भी घातक है। यूँ तो वैसे बहुत नाम हैं, जो बॉलीवुड में योग्य सितारे बन सकते हैं परन्तु कभी घटिया फिल्मों, तो कभी अयोग्य लोगों को प्राथमिकता दिए जाने के कारण इन योग्य प्रतिभाओं की अनदेखी की गई। ये सूची शायद अनंत निकले पर निम्नलिखित नाम कुछ ऐसे हैं, जो प्रारंभ में इन्हीं परिस्थितियों के कारण सफल नहीं हो पाए।
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5. विजय वर्मा
एक ऐसे ही अपरिचित पर प्रतिभाशाली अभिनेता हैं विजय वर्मा, जिन्होंने अपना प्रारंभ ‘Chittagong’ से किया था। अनेक प्रकारों के फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करने के पश्चात ‘Gully Boy’ जैसी फिल्म एवं ‘Mirzapur’ जैसी वेब सीरीज़ में उन्हें वास्तविक प्रसिद्धि मिली। लेकिन जब तक OTT नहीं आया था, तब तक विजय वर्मा का क्या स्टेटस था? इसके अतिरिक्त सुमीत व्यास और जितेन्द्र कुमार जैसे अन्य लोग भी हैं, जो प्रारंभ में उतने सफल नहीं थे परन्तु जल्द माध्यमों का दायरा बढ़ने पर उन्होंने अपने पंख फैलाकर उड़ान भरी। काश, यह अवसर कुछ लोगों को पूर्व में मिल जाता।
4. के के मेनन
ऐसे ही एक और अभिनेता हैं के के मेनन। 2 अक्टूबर 1966 को केरला में जन्मे के के मेनन ने अपने करियर की शुरुआत विज्ञापन जगत से की। वहीं, ब्लैक फ्राइडे फिल्म से उन्होंने भारतीय फिल्म जगत में प्रवेश किया। उनके अभिनय की प्रतिभा क्या है, आप ‘शौर्य’ फिल्म से ही देख सकते हैं, जहां उनके किरदार ब्रिगेडियर रूद्र प्रताप सिंह को नकारात्मक रूप में चित्रित किया गया, परन्तु उन्होंने उस किरदार को ऐसा जिया कि उस फिल्म के सभी किरदार फीके पड़ गए। इसके बावजूद उन्हें उनकी प्रतिभा का उचित सम्मान नहीं मिला।
3. आर माधवन
रंगनाथन माधवन या आर माधवन या केवल मैडी ने डेब्यू करने के 21 साल बाद भी अपने करिश्मे के जरिए पर्दे पर अपना जादू बिखेरना जारी रखा है। माधवन ने अपना करियर 2001 में, ‘रहना है तेरे दिल में’ से प्रारंभ किया और जल्द ही वह सबके दिल की धड़कन बन गए। गुरु, तनु वेड्स मनु, 3 इडियट्स जैसी फिल्मों ने एक अभिनेता के रूप में उनकी साख को और मजबूत किया है। जहां वह आज उद्योग के अधिकांश ए-लिस्टर्स से बेहतर हैं, वहीं माधवन को शायद ही कभी बड़ी टिकट वाली फिल्में मिलती हैं। हालांकि, OTT प्लेटफॉर्म्स ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री के अलावा उनकी स्टार पावर को भी पहचाना है। हाल ही में, माधवन को एक नेटफ्लिक्स सीरीज़ में देखा गया था, जिसका शीर्षक ‘Decoupled’ था, जो जनता के बीच हिट थी।
2. विजय राज़
एक औसत फिल्म को अपने दम पर खींचना हो तो कोई विजय राज़ से सीखे। Run कोई बहुत विशेष फिल्म नहीं थी, लेकिन अगर वह चली, तो मूल स्टार अभिषेक बच्चन के कारण नहीं, उनके मित्र बने विजय राज़ के कारण। चंद मिनटों तक टिकने वाले विजय राज़ ने ऐसा प्रदर्शन दिया कि सब वाह-वाह कर तुही। ‘कौवा बिरयानी’ और ‘छोटी गंगा’ जैसे संवाद आज भी भुलाये नहीं भूलते।
फिल्म में उनके प्रदर्शन को एक कल्ट का स्टेटस मिला और जनता ने उनकी प्रशंसा की। उन्होंने Delhi Belly फिल्म में एक ड्रग माफिया के तौर पर प्रमुख भूमिका निभाई। हालांकि, विजय राज और उनकी प्रतिभा केवल एक भूमिका तक ही सीमित नहीं है। अपने पूरे करियर के दौरान, विजय राज एक के बाद एक जुझारू प्रदर्शन देने में कामयाब रहे हैं। मॉनसून वेडिंग, दीवाने हुए पागल, वेलकम, धमाल कुछ प्रमुख फिल्में हैं, जिनमें विजय राज का दमदार अभिनय देखने को मिलता है। परन्तु शर्म की बात तो यह है कि बॉलीवुड अभी भी उनकी बहुमुखी प्रतिभा और सहज अभिनय कौशल का उतना उपयोग नहीं करता जितना उनके पास होना चाहिए। बॉलीवुड ने उनमें सम्पूर्ण उपयोग करने के बजाय उन्हें टाइपकास्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
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1. जिमी शेरगिल
सबसे दुर्भाग्यशाली अभिनेता जानते हैं कौन हैं? जिमी शेरगिल। माचिस से ‘मोहब्बतें’, ‘मेरे यार की शादी है’, ‘हासिल’ ‘A Wednesday’, ‘तनु वेड्स मनु’, ‘हैप्पी भाग जाएगी’ से ‘साहब, बीवी और गैंगस्टर’ जैसी फिल्मों में जिमी शेरगिल ने अनगिनत भूमिकाएँ की हैं और कभी भी खराब प्रदर्शन नहीं किया है। वहीं, तनु वेड्स मनु में, जिमी शेरगिल राजा अवस्थी की भूमिका निभाते हैं और यह शेरगिल के सबसे महत्वपूर्ण प्रदर्शनों में से एक हैं। लेकिन उन्हें कभी भी उचित सम्मान नहीं मिला।