कर्नाटक में हिजाब विवाद बढ़ता जा रहा है। कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध पर शुरू हुए विवाद ने जल्द ही कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में पथराव और लाठीचार्ज की घटनाओं का रूप ले लिया। अब, कर्नाटक सरकार ने हाई स्कूल (कक्षा IX और X) और कॉलेजों को तीन दिन के लिए बंद करने का आदेश दिया है। एक साधारण हिजाब विवाद सांप्रदायिक तनाव में बदल गया है जिसे राज्य के शैक्षणिक संस्थानों को भुगतना पड़ रहा है। अब सवाल यह है कि हम इस स्थिति में कैसे आए?
हिजाब विवाद पर राजनीतिक या धार्मिक मान्यताओं को अलग रखकर, केवल एक ही प्रश्न पर विचार किया जाना चाहिए कि क्या शैक्षणिक संस्थानों को अपने परिसरों में समान ड्रेस कोड निर्धारित करने का अधिकार है? सारा मुद्दा शैक्षणिक संस्थानों में वर्दी का है। विद्यालय में वर्दी क्यों पहनी जाती है? ताकि सब बच्चे एक जैसे दिखे। अगल-अलग सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक पृष्टभूमि से आने वाले सभी छात्रों में एकता की भावना को बढ़ाया जा सके।
लेकिन दुर्भाग्य से मीडिया रिपोर्टों और कट्टरपंथियों ने मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया है। इस संदर्भ में कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में बुर्खा डाले एक लड़की कॉलेज में आती है और उसका विरोध कुछ भगवा गमछा धारी छात्र करते हैं। लड़के ‘जय श्री राम’ कहते हैं तो लड़की उन्हें देख ज़ोर-ज़ोर से ‘अल्लाह हु अकबर’ चिल्लाने लगती है । अब कोई इस लड़की को शेरनी कह रहा है, तो कोई सच्ची मुसलमान। लेकिन इस सबके बीच एक मुख्य बिन्दु छुपता जा रहा है, और वो शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड़ के पालन का है।
#Sherni
Women empowerment pic.twitter.com/qhN2sPd479— BEROJGAR ASPIRANTS 😭 (@aaasocialworker) February 8, 2022
इसके अलवा कई मीडिया संस्थानों ने इस मुद्दे को भड़काने की कोशिश की है। जनता का रिपोर्टर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका शीर्षक था, “कर्नाटक की बहादुर मुस्लिम लड़की ने हिजाब का मजाक उड़ाने के लिए ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने वाले आतंकवादियों के विरोध में चिल्लाया ‘अल्लाहु अकबर।”
https://twitter.com/TheAngryLord/status/1491006986343022600?t=VAQVm9KJFX2_jzQMlzeAJA&s=19
इतना ही नहीं इस पूरे हिजाब विवाद पर अलग ही प्रोपगेंडा भुना जा रहा है। मीडिया शैक्षणिक संस्थानों में बुर्खा और हिजाब की मांग करने वालों को मासूम बच्चों की तरह प्रदर्शित कर रही है, तो वहीं सबके लिए एक समान वर्दी की मांग करने वाले हिन्दू छात्रों को आतंकवादी और मनचलों की तरह दिखाया जा रहा है। इसके अलवा एक घटना जो शायद आपको भी नहीं पता होगी वो ये कि कल कर्नाटक के बागलकोट जिले के रबकवि बनहट्टी में कट्टरपंथियों ने एक कॉलेज और भगवा गमछा पहने छात्रों पर पथराव किया। इस घटना में एक छात्र घायल भी हुआ। लेकिन मीडिया केवल बुर्खा धारी लड़की को ही कवर करने में व्यस्त थी।
If you haven't heard about Islamists hurling stones at a college in Rabkavi Banhatti, Bagalkot District, Karnataka today, thank the Liberal Media .#HijabRow pic.twitter.com/bSbRVu6D6B
— Deeksha Negi (@NegiDeekshaa) February 8, 2022
रजब और अब्दुल मजीद हुए गिरफ्तार
इसके अलावा 6 दिन पहले पुलिस ने रजब और अब्दुल मजीद नमक दो व्यक्तियों को उडुपी में सरकारी PU कॉलेज के पास से गिरफ्तार किया था। ये वही स्थान है जहां कुछ दिनों से हिजाब को लेकर प्रदर्शन चल रहा था। गिरफ्तार हुए दोनों व्यक्तियों के पास से धारधार हथियार मिले थे। ये दोनों ही व्यक्ति स्थानीय निवासी नहीं थे। पुलिस ने कहा कि इनकी मंशा अशांति पैदा करने की थी। अब एक खबर और सुनिए, शिवमोगा के एक कॉलेज में एक छात्र द्वारा पोल पर चढ़ने और भारत का राष्ट्रीय ध्वज- तिरंगा हटाकर भगवा झंडा फहराने के बारे में कुछ शरारती तत्वों ने फर्जी खबरें फैलाई।
तिरंगा उतार भगवा फहरने की फैलाई फेक न्यूज़
खुद को पत्रकार कहने वाले एक व्यक्ति ने ट्वीट किया “कर्नाटक काँग्रेस के अध्यक्ष @DKShivakumar ने ट्वीट कर कहा है कि शिवमोगा में राष्ट्रीय ध्वज को भगवा से बदलना कानून-व्यवस्था का उल्लंघन है। और कॉलेज को एक सप्ताह के लिए बंद कर देना चाहिए।“
#KarnatakaHijabRow @INCKarnataka president @DKShivakumar has tweeted saying replacing National flag with Saffron flag at #Shimoga is a breakdown of law and order.And the college should be closed for a week. pic.twitter.com/0Rr3RL4cyn
— Imran Khan (@KeypadGuerilla) February 8, 2022
https://twitter.com/ashoswai/status/1491004781489700866?t=3Afn3_3h2IcPNkOZ06Z4XA&s=19
वाम-उदारवादी के लिए यह एक सही अवसर था कि वे अपने सामान्य RSS विरोधी कटाक्ष करें और दावा करें कि RSS और हिन्दुत्ववादी राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान नहीं करते हैं। कुछ लोगों ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि कैसे ‘हिंदू छात्रों’ ने तिरंगे की जगह भगवा झंडा लगा दिया।
अब सच सुनिए, स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि शिवमोगा में गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज के परिसर में केवल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के दिन ही उस पोल पर तिरंगा फहराया जाता है। जिस दिन छात्र ने पोल पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया उस दिन वहाँ तिरंगा था ही नहीं।
स्कूल में वर्दी के मुद्दे को अब मीडिया और कट्टरपंथियों ने सांप्रदायिक मुद्दा बना दिया है। सब इसको चयन का मुद्दा बना रहे हैं जबकि शैक्षणिक संस्थानों में वर्दी का चयन होना ही नहीं चाहिए। सब बच्चों के लिए समान ड्रेस कोड ही मुद्दे को हल कर सकता है।