भाई-भतीजावाद के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों की यह धारणा है कि स्टार माता-पिता के सभी बच्चों को इसके जरिये फिल्म उद्योग में कदम रखने का फ्री पास मिल जाता है। यह बयान कई स्तरों पर सही भी है लेकिन कुछ अपवाद भी है रणबीर कपूर, आलिया भट्ट और विक्की कौशल जैसे अभिनेता पहले ही इसे गलत साबित कर चुके हैं। निस्संदेह, हमारे पास कुछ दयनीय अभिनेता हैं जो भाई-भतीजावाद के बाद भी अपना कैरियर नहीं बचा पाए लेकिन भाई भतीजावाद सभी स्टार किड्स को चमकने नहीं देता है।
ऐसे ही एक अभिनेता, जो काफी प्रतिभावान हैं लेकिन गलत आंकलन की वजह से अभिनय के क्षेत्र में खास नाम नहीं कमा सके, उनका आज जन्मदिन है। कभी खट्टी, कभी मीठी यादों को देने वाले एक प्रतिभावान अभिनेता अभिषेक बच्चन का आज जन्मदिवस है। आज भी उनसे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह क्या हैं? मतलब अभिनेता तो हैं, लेकिन कैसे अभिनेता हैं। आप उन्हें अच्छा अभिनेता कहिए, बुरा अभिनेता कहिए लेकिन यह बात सत्य है कि वो भारत के सबसे अंदररेटेड अभिनेताओं में से एक हैं!
अभिषेक बच्चन निस्संदेह वर्तमान पीढ़ी के सबसे ‘ट्रोल‘ किए जाने वाले अभिनेताओं में से एक है। सवाल यह है कि उनकी गलती क्या है? शायद यह कि वह भारत के सबसे बड़े मेगास्टार के बेटे हैं। वैसे तो यह तुलना करने के लिए एक बहुत ही खराब पैमाना प्रतीत होता है, लेकिन सच भी यही है। वह अभिनय में अपने कई समकालीन लोगों से बेहतर हैं लेकिन फिर वही बात की वह अमिताभ बच्चन के बेटे हैं। पेशेवर रूप से, अपने करियर की शुरुआत से ही, अभिषेक को भारत को अमिताभ बच्चन के बेटे के नाम से ही जाना गया और पिता से तुलना और अवास्तविक रूप से उच्च उम्मीदें ही शायद अभिषेक को कम आंकने का सबसे बड़ा कारण है।
अभिषेक के लिए दूसरी बड़ी समस्या हमेशा यह रही है कि उन्होंने बीच-बीच में कहीं न कहीं संघर्ष किया है। वह कभी भी ऋतिक रोशन और रणबीर कपूर का सुपरस्टारडम हासिल नहीं कर सके और न ही वह फरदीन खान, जायद खान या तुषार कपूर जैसे बुरे अभिनेता थे। किंतु एक सत्य यह भी है कि भले ही उनकी अधिकांश फिल्में फ्लॉप हो गई हों, उन्होंने हार नहीं मानी है।
2000 में मशहूर निर्देशक जेपी दत्ता की फिल्म ‘रिफ़्यूजी‘ से पदार्पण करने वाले अभिषेक बच्चन का फिल्मी करियर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है। प्रारम्भ में कई असफल फिल्में करने के बाद उन्हें पहचान मिली मणि रत्नम की फिल्म ‘युवा’ से, जहां उन्होंने अपने अभिनय से सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। तद्पश्चात उन्होंने ‘सरकार’ में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, और कई फिल्मी विशेषज्ञों का कहना है कि वे अमिताभ बच्चन से भी ज़्यादा प्रभावी दिखे। युवा, गुरु, दोस्ताना और कुछ अन्य में अच्छा प्रदर्शन करते हुए, वह 14 लंबे वर्षों से भारतीय सिनेमा जगत में टिके हुए हैं। हालांकि, 2007 में गुरु के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार न जीत पाने का उनका दुर्भाग्य रहा।
उनकी कुछ फिल्मों को देख लीजिए- LOC कारगिल, युवा, बंटी और बबली, ब्लफमास्टर, रावण, दोस्ताना और बिग बुल को देख लीजिए। सच कहें तो इन फिल्मों में अभिषेक का अभिनय अव्वल दर्जे का रहा है। फिल्म के परिणाम को थोड़ी देर के लिए अलग रख दें। इस फिल्मों में कुछ पूरी तरह से विपरीत चरित्र हैं जिन्हें अभिषेक द्वारा बहुत अच्छी तरह से चित्रित किया गया है।
एक दौर ऐसा भी आया जब अभिषेक की फिल्में एक के बाद एक फ्लॉप हो रही थी, इसके बाद उन्होंने काफ़ी लंबे समय तक फ़िल्मों से दूरी बनाए रखी और फिर साल 2018 में उन्होंने फ़िल्म ‘मनमर्जियां’ से कमबैक किया। मनमर्जियां में उनके किरदार ने सबका दिल छु लिया। OTT की बात करें तो उन्होंने वेब सीरीज़ ‘ ब्रीद 2 ‘ से OTT की ओर रुख़ किया और लूडो, द बिग बुल, बॉब बिस्वास में अपनी एक्टिंग से क्रिटिक्स की भी वाहवाही बटोरी।
वास्तव में गुरु में उनके प्रदर्शन को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के रूप में देखा गया है और दोस्ताना में उनका रोल भी उतना ही काबिले तारीफ है। मुख्यधारा के अभिनेता को इस तरह की भूमिका चुनने में सक्षम होने के लिए वास्तविक हिम्मत चाहिए। तो यह सब होते हुए उनकी गलती क्या है? एक तो पिता से तुलना होना और दूसरा अभिनय के लिए कुछ खराब स्क्रिप्ट्स को चुनना है।
वह मेगास्टार अमिताभ बच्चन के बेटे हैं, ऐसे में जाहिर सी बात है कि अभिषेक से उम्मीदें काफी ज्यादा होंगी। यदि वह उस स्तर तक पहुँचने में विफल रहते है जिस स्तर पर सीनियर बच्चन पहुँच चुके हैं तो लोग उन्हें हमेशा असफल करार करेंगे। उन्होंने जो फिल्में की है, उन्हें देखते हुए उन्होंने ऊपर दी गई प्रत्येक फिल्म में कम से कम विभिन्न प्रकार के पात्रों को चित्रित करने की कोशिश की है। अमिताभ बच्चन अगर उनके पिता नहीं होते तो अभिषेक को एक अलग तौर पर देखा जाता।