जिस IPS ऑफिसर से कही थी ‘जूते साफ कराने की बात’, उसी ने आजम खान के साम्राज्य की लंका लगा दी

पिछले 23 महीनें से जेल में चक्की पीस रहे हैं आजम खान!

Azam Khan and Anjanya Kumar

Source- TFI

समाजवादी पार्टी के आजम खान एक कट्टर इस्लामिक नेता हैं! भारत माता से लेकर हिन्दू विरोध में उन्होंने कई आपत्तिजनक और घृणित बयान भी दिये हैं, जिसमें भारत माता को डायन कहना सबसे निकृष्ट था। रामपुर क्षेत्र में उनका काफी दबदबा है, इतना कि उन्होंने अपने 22 साल के बेटे को विधायक बनवा दिया। आजम समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य भी हैं। भारत में इनका कोई विश्वास नहीं है और भारत के प्रशासनिक अधिकारियों को ये अपने पांव की धूल समझते हैं! परंतु, आज एक प्रशासनिक अधिकारी ने ही आजम खान के अन्यायी साम्राज्य की ईंट से ईंट बजा दी है।

वर्ष 2019 की बात करें, तो लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आजम खान ने आंजनेय कुमार सिंह से अपने जूते साफ करने को कहा था। आंजनेय तब रामपुर के कलेक्टर थे। आजम ने कहा था कि ‘कलेक्टर-कलेक्टर से मत डरो, वे तनखैय्या हैं, अल्लाह ने चाहा तो चुनाव के बाद उनसे जूते साफ करवाऊंगा’।  भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं। मोदी-योगी का युग आया और सपा का आततायी शासन खत्म हुआ। IAS आंजनेय कुमार सिंह को निष्पक्ष कारवाई करने की खुली छूट मिली और अब रामपुर में आजम खान के खेमे के लोग IAS आंजनेय कुमार सिंह के नाम से खौफ खाते हैं।

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कौन हैं IAS आंजनेय सिंह?

आंजनेय कुमार सिंह सिक्किम कैडर के 2005 बैच के IAS अधिकारी हैं। 16 फरवरी 2015 को वह सपा सरकार के समय में प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश आए थे। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद 19 फरवरी 2019 को आंजनेय कुमार सिंह को रामपुर का DM बनाया गया था। वह करीब 2 साल तक रामपुर के डीएम रहे। प्रमोशन के बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें मुरादाबाद मंडल का कमिश्नर बना दिया। इन दिनों आंजनेय मुरादाबाद के कमिश्नर हैं और आजम खां का जिला रामपुर इसी कमिश्नरी में आता है। केंद्र सरकार उनकी प्रतिनियुक्ति को 2 साल के लिए बढ़ा चुकी है। वह 14 फरवरी 2023 तक उत्तर प्रदेश में ही रहेंगे।

ध्यान देने वाली बात है कि चुनाव आयोग भी आंजनेय कुमार सिंह की वर्किंग की तारीफ कर चुका है। लखनऊ में हुई मीटिंग में आयोग ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में रामपुर में किए गए प्रशासनिक इंतजामों की तारीफ की और निर्देश दिया कि बाकी अफसर भी निष्पक्ष, निर्भीक और शांतिपूर्ण चुनावों के लिए इसी तरह की व्यवस्थाएं करें।

जानें कब शुरु हुई आजम खान की उल्टी गिनती?

हुआ कुछ यूं कि वर्ष 2019 में 27 किसान डीएम के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि जौहर विश्वविद्यालय के लिए आजम खां ने उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा कर लिया है। कलक्टर साहब ने सभी मामलों में FIR के आदेश कर दिए। निर्भीक IAS ने जनता को बल दिया। इसके बाद शिकायतों का ऐसा अंबार उमड़ा कि एक के बाद एक आजम खां के खिलाफ 98 मुकदमें दर्ज हो गए। जांच के दौरान पता चला कि वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां को यूनिविर्सटी के लिए केवल 12.5 एकड़ भूमि की अनुमति दी थी, लेकिन सपा सरकार में आजम ने गरीब किसानों की 172 एकड़ सरकारी जमीन कब्जा ली। मामला सामने आते ही डीएम ने तत्काल एक्शन लेते हुए आजम का नाम प्रदेश सरकार के एंटी भू माफिया पोर्टल पर रजिस्टर कर, उन्हें भू माफिया भी घोषित कर दिया।2019 में डीएम ने इसकी जांच के आदेश दिए। जिसके बाद में नियम विरुद्ध यूनिवर्सिटी में शामिल की गई, 172 एकड़ भूमि को वापस राज्य सरकार के नाम दर्ज करा दिया गया।

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अब्दुल्ला आजम की विधायकी भी गई

इस घटना के बाद कलक्टर साहब के पास दूसरी फरियाद आई। दरअसल, वर्ष 2017 के चुनाव में आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार-टांडा सीट से सपा के विधायक चुने गए थे। अब्दुल्ला के सामने BSP की टिकट पर चुनाव लड़े नवाब काजिम अलीखां थे, जिन्होंने नॉमिनेशन के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 वर्ष से कम होने की बात कहकर निर्वाचन रद्द करने की मांग की थी। मामला सामने आने के बाद वर्ष 2019 में आंजनेय सिंह ने जांच कराई।

जांच में पता चला कि अब्दुल्ला आजम ने फर्जी आयु प्रमाण पत्र पर चुनाव लड़ा था और वह नामांकन के समय 25 साल के नहीं थे। यह रिपोर्ट डीएम ने चुनाव आयोग को भेज दी। इसके बाद अब्दुल्ला का निर्वाचन रद्द कर दिया गया। जांच में अब्दुल्ला के 2 पैन कार्ड और 2 पासपोर्ट भी सामने आए। डीएम ने इस मामले में भी मुकदमा दर्ज करा दिया। जिसमें अब्दुल्ला आजम के साथ उनके पिता आजम और मां तंजीन फातिमा को भी जेल जाना पड़ा।

BJP के शासन में ही आंजनेय से पहले महेंद्र बहादुर सिंह रामपुर के डीएम थे, लेकिन सरकार के फ्री हैंड के बावजूद वो एक्शन लेने की हिम्मत नहीं जुटा सके! ये वही आजम हैं, जिन्हें अखिलेश यादव कभी स्टेट प्लेन से ड्रॉप करने आते थे। ध्यान देने वाली बात है कि आजम खान रामपुर शहर सीट से 9 बार विधायक रहे हैं। उनका जलवा यहां कभी कम नहीं हुआ। आंजनेय सिंह पहले अधिकारी बने, जिन्होंने इतनी बेरहमी से आजम खां के खिलाफ अपनी कलम चलाई। इसी कड़ी कार्रवाई ने आंजनेय को प्रदेश सरकार का पसंदीदा अफसर भी बना दिया है। यह कारण था कि जब उनका ट्रांसफर हुआ, तब रामपुर के लोगों ने उन्हें बग्गी पर बैठाकर बैंड बाजे के साथ विदाई दी। यह जीत आजम के अन्याय पर प्रशासन के सत्य की जीत है!

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आजम नहीं चाहते हैं कि मुरादाबाद के कमिश्नर रहें आंजनेय

बताते चलें कि आने वाले कुछ ही दिनों में यूपी चुनाव होने वाले हैं, जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में लगी है। वहीं, दूसरी ओर पदोन्नति के बाद अब योगी सरकार ने आंजनेय सिंह को मुरादाबाद संभाग का आयुक्त बना दिया है। अब आजम खान के लेगों को यह डर सता रहा हैं कि चुनाव से पहले आंजनेय सिंह कही फिर से कोई कार्रवाई न कर दें। आजम खान नहीं चाहते है कि आंजनेय चुनाव में मुरादाबाद के कमिश्नर रहें! उनके कैंप से शिकायतें भी शुरू हो गई हैं।

वहीं, चुनाव आयोग ने आंजनेय कुमार सिंह के कामकाज की तारीफ की है। हाल ही में लखनऊ में हुई एक बैठक में आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए रामपुर में किए गए प्रशासनिक प्रबंधों की प्रशंसा की। साथ ही निर्देश दिया कि अन्य अधिकारियों को भी निष्पक्ष, निर्भीक और शांतिपूर्ण चुनाव के लिए इसी तरह की व्यवस्था करनी चाहिए। बड़ी कार्रवाई से भले ही आंजनेय सिंह, आजम खान के नजरों में चुभ रहे होंगे, लेकिन वो आज भी रामपुर में काफी लोकप्रिय हैं।

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