चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) दुनिया भर के देशों के लोगों के जीवन को नियंत्रित करने की कोशिश करती रहती है। इसलिए, जब भारत ने अपना वाणिज्यिक ड्रोन क्षेत्र खोला और व्यक्तियों और निजी संगठनों को ड्रोन का उपयोग करने की अनुमति दी, तो चीन भारत के ड्रोन बाजार पर हावी होने को लेकर उत्साहित था। लेकिन भारत ने विदेशी निर्मित ड्रोन पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले से बीजिंग पर पलटवार किया है। भारत ने बुधवार को विदेशी ड्रोन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। इस प्रतिबंध का उद्देश्य ‘एड इन इंडिया’ ड्रोन को प्रोत्साहित करना और स्थानीय उद्योग को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है।
वर्तमान में, वैश्विक वाणिज्यिक और उपभोक्ता ड्रोन बाजार में चीन का एकाधिकार है। अधिक विशेष रूप से, चीन की एसजेड DJI टेक्नोलॉजी कंपनी, जो दुनिया की शीर्ष ड्रोन निर्माता है, इस क्षेत्र में व्यापक एकाधिकार रखती है। DJI के पास वैश्विक वाणिज्यिक और उपभोक्ता ड्रोन बाजार का 70 प्रतिशत हिस्सा है।
चारों ओर उड़ने वाले अधिकांश ड्रोन DJI द्वारा बनाए गए हैं, लेकिन डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं।
भारत सरकार ने रक्षा, सुरक्षा और अनुसंधान एवं विकास उद्देश्यों के लिए आवश्यक ड्रोन को छोड़कर विदेशी निर्मित ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। मेक इन इंडिया योजना के तहत स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, ड्रोन components के आयात की अनुमति पहले की तरह होगी और इसके लिए किसी Approval की आवश्यकता नहीं होगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने बुधवार को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की और यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू होगा। दरअसल, पिछले सितंबर में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2030 तक भारत को ड्रोन हब बनाने के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी थी।
PLI योजना ड्रोन और ड्रोन components के निर्माताओं को 20 प्रतिशत तक प्रोत्साहन राशि प्रदान करती है। सरकार ने इस योजना के लिए 120 करोड़ रुपये आवंटित किए और इसे तीन साल में बढ़ाया जाएगा। यह राशि वित्त वर्ष 2011 में सभी घरेलू ड्रोन निर्माताओं के संयुक्त कारोबार की लगभग दोगुनी है। निर्माताओं को उनके द्वारा किए गए मूल्यवर्धन (value addition ) पर 20 प्रतिशत तक का प्रोत्साहन मिलेगा।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT ) ने विदेशी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है।DGFT ने कहा ,CBU(Completely Built Up), SKD (Semi Knocked Down) या CKD(Completely Knocked Down) फॉर्म में सरकारी संस्थाओं, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्थाओं और ड्रोन निर्माताओं द्वारा ड्रोन के आयात की अनुमति दी जाएगी। यह संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से DGFT द्वारा जारी आयात प्राधिकरण के अधीन होगा।
इस मामले को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि मेक इन इंडिया ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए 9 फरवरी, 2022 से विदेशी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मंत्रालय अगस्त 2021 में उदारीकृत ड्रोन नियमों के साथ सामने आया।
नियमों के बाद मंत्रालय ने सितंबर 2021 में ड्रोन एयरस्पेस मैप और PLI स्कीम, अक्टूबर 2021 में UTM पॉलिसी फ्रेमवर्क जारी किया। इसके अलावा, ड्रोन सर्टिफिकेशन स्कीम और सिंगल विंडो डिजिटलस्काई प्लेटफॉर्म को पिछले महीने लागू किया गया था।
यह विकास केंद्रीय बजट द्वारा ड्रोन शक्ति योजना का प्रस्ताव देने के कुछ दिनों बाद आया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विभिन्न Applications के माध्यम से ड्रोन शक्ति की सुविधा के लिए स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें आवश्यक कौशल पाठ्यक्रम जल्द ही शुरू होंगे।
बजट में प्रस्तावित ड्रोन से खेतों पर कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है और कृषि समुदाय की मदद के लिए फसल का आकलन किया जाता है। पिछले सितंबर में, सरकार ने देश में ड्रोन और ड्रोन घटकों के निर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी थी।
आपको बतादें कि भारत ने अगस्त 2021 में नए ड्रोन नियम 2021 की घोषणा की, जिसके अनुसार ड्रोन के संचालन के लिए पंजीकरण से पहले किसी सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
भारत में ड्रोन के संचालन की अनुमति की फीस भी नाममात्र के स्तर तक कम कर दी गई है। केंद्र ने कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित करने की योजना बनाई है।
भारी पे लोड ले जाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सियों को शामिल करने के लिए ड्रोन के कवरेज को 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है। अधिकतम जुर्माना भी घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है।
नवीनतम घोषणा के साथ, आने वाले तीन वर्षों में भारत के घरेलू ड्रोन निर्माण उद्योग के 9 अरब रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में कहा था कि उद्योग का संयुक्त कारोबार 2026 तक लगभग 150 अरब रुपये तक बढ़ सकता है। भारत 2030 तक वैश्विक ड्रोन हब के लक्ष्य को हांसिल कर सकता है।