“कभी-कभी कुछ न करना भी बहुत कुछ करने के समान होता है, बस आपको अपने विचार रखने का तरीका स्पष्ट होना चाहिए।”- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी.वी. नरसिम्हा राव
यही बात अब नया भारत सीख रहा है और हाल ही में यूक्रेन-रूस विवाद में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिला है। भारत अपने अनोखी शैली में रूस का क़र्ज़ न केवल चुका रहा है अपितु संसार को एक स्पष्ट सन्देश भी दे रहा है कि नया भारत अब आँख मूंदकर पश्चिमी जगत की हाँ में हाँ नहीं मिलाएगा। दरअसल, यूक्रेन और रूस के भूमि विवाद को लेकर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में काफी गहमा गहमी चल रही है। हर जगह टांग अड़ाने में विशेषज्ञ अमेरिका ने यूक्रेन विवाद को किस प्रकार से आवश्यकता से अधिक हवा दी है, इसको लेकर कोई विशेष शोध की आवश्यकता नहीं है।
UNSC में भारत ने लिया अप्रत्याशित निर्णय
इसी बीच भारत ने इस विषय पर एक अप्रत्याशित निर्णय में स्थिति के सामान्य होने की मांग करते हुए वोटिंग में भाग लेने से ही स्पष्ट मना कर दिया। भारत ने न समर्थन किया और न ही विरोध, सीधा मना कर दिया।भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) के अनुसार, “भारत की रुचि इस समस्या का समाधान तलाशने में है। ऐसा समाधान, जो सामरिक तनाव (Between Russia and Ukraine) को तुरंत कम करता हो। इसके साथ ही, सभी देशों के सुरक्षा हितों की वैधानिकता को स्थापित करता हो। क्षेत्र में और उसके परे भी शांति और स्थिरता सुनिश्चित करता हो। इसलिए दोनों पक्षों को राजनयिक और रचनात्मक बातचीत के जरिए इस मसले को सुलझाना चाहिए।”
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लेकिन यह केवल संयोग नहीं है। रूस एक ऐसा मित्र देश है, जो समय-समय पर भारत के काम आया है। स्थिति चाहे जैसी भी हो रूस अपनी मित्रता से पीछे नहीं हटा है, चाहे सोवियत रूस के रूप में 1971 की युद्ध में भारत की सहायता हो या फिर भारत को सैन्य से लेकर आर्थिक मोर्चे पर सहायता देने की बात हो। हाल ही में, आतंक परस्त पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ते विवाद को देखते हुए अब मोदी सरकार ने रूस से S-400 मिसाइल का सौदा किया है, जिससे देश की रक्षा बल को मजबूती प्रदान होगी। परंतु रूस और भारत के इस डील से अमेरिका दुखी दिख रहा है और वो भारत के प्रति अपनी कुंठा भी जता चुका है।
भारत ने दिया पाश्चात्य जगत को स्पष्ट संदेश
बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बीते दिन शुक्रवार को रूस के साथ भारत के S-400 मिसाइल सौदे पर संयुक्त राज्य अमेरिका की नाराजगी का करारा जवाब दिया है। साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत और रूस के बीच एक विशेष रणनीतिक साझेदारी है। उन्होंने कहा “हम एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करते हैं, यह हमारे रक्षा अधिग्रहण पर भी लागू होता है।” बागची ने आगे कहा कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका भी एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं।
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इतना ही नहीं, भारत द्वारा रूस से कई अरब रुपये का मिसाइल रक्षा प्रणाली को लेकर सौदा किए जाने पर अमेरिका नाराज है और वो लगातार इससे बचने की सलाह देता रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका की चिंताओं और बाइडेन प्रशासन से प्रतिबंधों की धमकियों के बावजूद, भारत ने अपना विचार बदलने से इनकार कर दिया है और मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के साथ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में, अब जिस तरह से भारत ने यूक्रेन विवाद पर रूस का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया है, उससे पाश्चात्य जगत को एक स्पष्ट सन्देश जाता है कि हमें हमारी नीतियां निर्मित करनी आती है, आपके अधकचरे ज्ञान की कोई आवश्यकता नहीं है!