विकृत मानसिकता आज भी समाज में जीवंत है, समय बदलता है पर यह सोच समाज में सदैव विद्यमान थी, है और रहेगी। भारत को तोड़ने और इसे इस्लामिक देश बनाने के लक्ष्य के साथ कुछ संगठन ऐसे काम कर रहे हैं, जैसे न जानें भारतीयों ने उनके साथ क्या कर दिया हो? कुछ ऐसे संगठन भारत में काफी समय से संचालित हैं, जिनका हाथ हर उस भारत विरोधी काण्ड में होता है, जो भारत को विभाजित करने का लक्ष्य रखते हैं। ऐसा ही एक संगठन है PFI, जिसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना जाता है और हर देश विरोधी मामलों के पीछे इस संगठन का हाथ होता है। कई राज्यों ने तो इसे बैन भी किया है, लेकिन अब जरुरत है कि केंद्र सरकार इस संगठन पर पर सख्त कार्रवाई करते हुए इसके समूल विनाश की नींव रखे! और अगर केंद्र सरकार इसमें देरी करती है, तो जल्द ही यह संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेट ऑफ इंडिया (सिमी) 2.0 में परिवर्तित हो सकता है।
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हर देश विरोधी मामले के पीछे PFI का हाथ!
यूं तो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) एक चरमपंथी इस्लामी संगठन है, जो स्वयं को वर्ष 2006 में राष्ट्रीय विकास मोर्चा (NDF) के उत्तराधिकारी के रूप में गठित उसका दूसरा रूप बताता है। इस संगठन के अनुसार इसका ध्येय अल्पसंख्यकों की आवाज़ बनना है, पर आज तक इस संगठन को लेकर जो भी खबरें सामने आई हैं, वो इससे बिलकुल उलट ही है। यह संगठन बीते कई वर्षों से देश विरोधी एवं आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पाया जा चुका है। यही कारण है कि इस संगठन पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की पैनी निगाह बनी रहती है, जो देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक भी है। संगठन पर काफी पहले से ही कई हिंसक और चरमपंथी घटनाओं के आरोप लगते आए हैं। केरल और कर्नाटक की पुलिस को पीएफआई केंद्रों में घातक हथियारों के इस्तेमाल के सबूत भी मिले हैं।
अब तक ऐसे कई घटनाक्रम रहे हैं, जिनमें पीएफआई की संलिप्तता पाई गई है। फिर चाहे वो हाल ही में चल रहा हिजाब विवाद हो या पूर्व में हुए कई ऐसे दंगें, जिसने देश को हिलाने का काम किया। CAA और NRC प्रोटेस्ट की बात हो या वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की बात, इसके अलावा अगस्त 2020 में बेंगलुरु में हुए दंगे हों या अन्य कोई वीभत्स घटना… इन सभी में PFI का सीधा हाथ बताया गया था, जिससे दिल्ली और देश के अन्य कई राज्य दहल गए थे। निस्संदेह, PFI हिंसक और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहा है। यही नहीं, यह संगठन दंगाइयों को फण्ड देकर उन्हें बढ़ावा भी देता है और ऐसे कई मामले भी सामने आ चुके हैं!
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SIMI 2.0 बनने की ओर अग्रसर है PFI
जिस प्रकार विदेशी ताकतों के साथ मिलकर और फंड जुटाकर PFI अपने एजेंडे को पोषित कर रहा है, वो SIMI 2.0 बनने की ओर अग्रसर हो चNE है। ज्ञात हो कि SIMI (Students’ Islamic Movement of India) वर्ष 2001 में बैन हो चुका वो संगठन है, जिसका मूल उद्देश्य भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना था। चरमपंथियों के इस संगठन सिमी ने भारत के खिलाफ जिहाद की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य या तो जबरदस्ती सभी को इस्लाम में परिवर्तित करके या हिंसा से दार-उल-इस्लाम (इस्लाम की भूमि) स्थापित करना था।
भारत सरकार ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित करते हुए वर्ष 2001 में 9/11 के हमलों के तुरंत बाद प्रतिबंधित कर दिया था। ऐसे में SIMI 2.0 बनने की राह पर चल पड़े PFI को भी भारत में पूर्णतः बैन करने की मांग हर ओर से उठने लगी है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केरल, झारखंड समेत कई राज्य गृह मंत्रालय से इस संगठन को बैन करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से इस तरह का कोई प्रतिबंध लागू नहीं किया गया।
ऐसे में अब PFI स्वयं को मददगार संगठन के रूप में वर्णित करने की नई चाल चलने लगा है। खबरों के मुताबिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कड़ी निगरानी के कारण अपने एजेंडे को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। पीएफआई, जिसे प्रतिबंधित आतंकी समूह सिमी का प्रमुख संगठन माना जाता है, अपने एजेंडे को चलाने के लिए देश भर में अलग-अलग नामों से छोटे कल्याणकारी समाज बनाने की योजना बना रहा है! ऐसे में केंद्र सरकार को अब सख्त से सख्त एक्शन लेते हुए इस इस्लामी संगठन को प्रतिबंधित कर इसका हिसाब करना चाहिए और सिमी की तरह ही प्रतिबंधित कर इसके कट्टरपंथी सदस्यों की क्लास लगानी चाहिए!
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