जब सोवियत संघ टूट गया था, तब उसके कई वर्षों बाद स्टेलिन द्वारा किए गये भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था। चीन का पूरा इतिहास भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। वहां पर वामपंथियों ने अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए तियानमेन स्क्वायर पर हजारों लोगों का नरसंहार कर दिया था। अब गुरु गुड़ है तो चेला भी चीनी होगा ही, भारत के भी वामपंथी इस मामलें में पीछे नहीं है। अब केरल का ही उदाहरण ले लीजिये, वहां पर भी लेफ्ट की सरकार ना सिर्फ सरकारी पैसों का दुरूपयोग कर रही है, बल्कि अपने चेलों को भी मौज करा रही है।
राजनीति सेवा करने का माध्यम है, ऐसी आदर्शवादी बात कहते तो सब नेता हैं पर सेवा छोड़ मेवा लपेटने की जुगत में जब लग जाते हैं, तब उनके दो-मुंहे चरित्र को दुनिया देखती है। ताज़ा उदाहरण वामपंथियों के गढ़ केरल का है जहाँ नेता तो राजनीतिक मलिदा का लाभ उठा ही रहे हैं और उनके साथ साथ उनके सेवक-दास-कर्मचारियों समेत सभी चाटुकारों की भी चाँदी हो गई है। इसी पर संज्ञान लेते हुए राज्य के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान ने एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए मुख्य सचिव को मंत्रियों के निजी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना को निलंबित करने का निर्देश दिया है।
दरअसल, केरल सरकार की ओर से अपने अधिकारों का लाभ उठाने की आड़ में राज्य के सरकारी महकमों में अपने राजनीतिक कार्यकर्ताओं, चाटुकारों को भर्ती करने का साथ-साथ उन्हें सुविधा प्रदान करने को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की ओर से सख्त प्रतिक्रिया का सामना करना पडा है। केरल सरकार पर हमला करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सरकार के मंत्री केरल के लोगो के पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा हर दो साल के बाद नए लोगों को लाकर पेंशन की गारंटी देने के लिए कर्मचारियों को बदलना गलत है, यह अधिकारों का दुरुपयोग है। राज्यपाल ने दो टूक संदेश देते हुए कहा कि एक महीने के भीतर इस व्यवस्था को खत्म कर दिया जाएगा। मुख्य सचिव कार्यालय को राजभवन से पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें निजी कर्मचारियों पर एक सप्ताह के भीतर फाइल जमा करने का अनुरोध किया गया है।
और पढ़ें- केरल न केवल साक्षरता दर में शीर्ष पर है, बल्कि यौन अपराधों में भी वह अव्वल है!
उन्होंने कहा, “सरकार के पास राजभवन को नियंत्रित करने की कोई शक्ति नहीं है। हमारे मामलों में हस्तक्षेप करने वाली एक सरकारी संस्था अस्वीकार्य है। ऐसा करने का प्रयास संकट की ओर ले जाएगा। राज्यपाल को सरकार को सलाह देने का संवैधानिक अधिकार है।” राज्यपाल ने निजी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए सरकार की आलोचना करते हुए एक कदम आगे बढ़ाया है।
उन्होंने कहा,”मैंने तीन दिन पहले महसूस किया कि राज्य में मंत्रियों के निजी कर्मचारी पेंशन के हकदार हैं यदि वे दो साल तक काम करते हैं। जब मैं केंद्रीय मंत्री था, तो मेरे पास 11 निजी स्टाफ सदस्य थे। केरल में, सभी मंत्रियों के पास 20 से अधिक है। किसी अन्य राज्य में सह-समाप्ति के आधार पर कार्यरत कार्मिक कर्मचारी पेंशन लाभ के लिए पात्र नहीं हैं। हालांकि, यहां ऐसा नहीं है।”
और पढ़ें- केरल में सोने की तस्करी के बाद अब ड्रग्स तस्करी रैकेट बना चिंता का विषय
सरकारी पैसे पर पार्टी चलाई जा रही है-
उन्होंने आगे कहा, “इन नियुक्तियों का उद्देश्य राजनीतिक है। नियुक्त व्यक्ति दो साल पद पर रहने के बाद इस्तीफा देते हैं और उनकी जगह नए लोगों को लाया जाता है। यहां एकमात्र लक्ष्य पेंशन लाभ है। बाद में, ये कर्मचारी पार्टी के लिए काम फिर से शुरू करेंगे।”
उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा में अपने उद्घाटन भाषण से पहले इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया गया था। यह सुनिश्चित करना राज्यपाल का कर्तव्य है कि सरकार के निर्णय संविधान के अनुसार हों। उन्होंने कहा कि मैं केवल राष्ट्रपति को स्पष्टीकरण देने के लिए जिम्मेदार हूं।
और पढ़ें- ‘सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट’ के जरिए लोगों की जमीन हड़पने की कोशिश कर रही है केरल सरकार
इस पूरे घटनाक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन करते हुए गलत दिशा में कार्य कर रही केरल सरकार को आईना दिखाने का कार्य किया है। जिस प्रकार केरल सरकार, सत्ता में होने का दुरुपयोग करने के साथ-साथ जनता के लाभ के लिए उपयोग में लाने वाले राजस्व को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और चाटुकारों पर असंवैधानिक ढंग से लुटा रही है, वह निंदनीय है। निस्संदेह, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी केरल सरकार को हडकाते हुए सारा कच्चा-चिट्ठा जनता के समक्ष रखा है, जो एक सराहनीय कदम है।