किंकर्त्व्यविमूढ़ राजनेता स्वप्न विकृति से पीड़ित हो जाते हैं। बिहार के सुशासन बाबू नितीश कुमार भी ऐसी ही स्वप्न विकृति से पीड़ित हो गए हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में सुशासन बाबू बुरी तरह पराजित हुए पर, भाजपा की दया पर सीएम बने हुए है। 47 विधायकों पर सिमटे नितीश बाबू कुछ कर नहीं पा रहे है अतः दिन में बैठे बैठे स्वप्न देख रहें हैं। ऊपर से विपक्षी पार्टियां मोदी विरोध के कारण आये दिन नितीश के ऐसे दुःस्वप्नों को हवा देती रहती हैं। भारत के पीएम बनने के अपने सपने में विफल रहने के बाद एनसीपी जैसी विपक्षी पार्टियों ने अब नीतीश कुमार को राष्ट्रपति बनने के स्वप्नों को हवा दी है।
और पढ़ें:- आखिरकार तमिलनाडु में भगवा लहर की शुरुआत हो ही गई!
नवाब मलिक ने किया नीतीश कुमार का समर्थन-
शरद पवार की एनसीपी के एक दागी नेता नवाब मलिक ने नीतीश कुमार की उम्मीदवारी को अपनी सहमति दे दी है। उन्होंने पुष्टि की है कि अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए नीतीश कुमार विपक्ष के उम्मीदवार होंगे। हालांकि, उन्होने कहा की इसके लिए नितीश को भाजपा के साथ अपने संबंधों को तोड़ना होगा। नवाब ने कहा- “इस पर तब तक चर्चा नहीं हो सकती जब तक कि वह (नीतीश कुमार) भाजपा के साथ संबंध नहीं तोड़ लेते।“
इस वाक्य के तथ्य को जानकर आप स्वयं समझ जाएंगे की नवाब मालिक ने ऐसा क्यों कहा है? दाऊद को वित्तपोषित करने के मामले में ED ने नवाब मालिक पर शिकंजा कस दिया है।
प्रशांत किशोर निभा सकते हैं सेनापति की भूमिका-
इस बीच, एक और ऐसी चीज़ हुई जिसने नीतीश के विपक्ष के उम्मीदवार होने की संभावना बढ़ा दी है। 19 फरवरी 2022 को नीतीश ने चुनावी रणनीतिकार किशोर से 2 घंटे तक मुलाकात की। किशोर और नीतीश कभी एक ज़माने में साथ ही हुआ करते थे, जब तक किशोर को नीतीश ने जदयू से निष्कासित नही कर दिया।
किशोर राष्ट्रीय राजनीति के विपक्षी गुट के लगभग हर नेता के निकट संपर्क में हैं। इनमें उद्धव ठाकरे, शरद पवार, के चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन और ममता बनर्जी शामिल हैं। यदि नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति पद के लिए लड़ने का फैसला किया तो प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के पक्ष में विपक्ष को एकजुट करने का कार्य करेंगे।
और पढ़ें:- ‘कोवैक्सीन’ पर भ्रम फैलाकर बुरा फंसा ‘द वायर’, अब कोर्ट ने लगा दी है लंका!
बिहारी राजनेता सहमत नहीं दिख रहे-
नीतीश भले ही समर्थन मांगने में व्यस्त हों लेकिन उनके अपने राज्य के राजनेताओं में उनके बारे में आम राय नहीं है। लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने पूछा कि हत्या का आरोपी देश को सर्वोच्च संवैधानिक पद पर कैसे आसीन हो सकता है।
रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने भी नीतीश कुमार पर तंज़ कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के लोगों को अधर में छोड़ दिया है और केवल अपने फायदे और पद के बारे में सोच रहें है। दूसरी ओर नीतीश ने अपनी मंशा सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया है। जब उनसे उनकी उम्मीदवारी को लेकर चल रही अफवाहों के बारे में सवाल किया गया, तो नीतीश ने जवाब दिया- “मेरे दिमाग में ऐसा कोई विचार नहीं है।”
नीतीश कुमार बनेंगे मीरा कुमार-
नीतीश कभी राष्ट्रीय राजनीति में एक उल्लेखनीय व्यक्ति थे। उन्होंने पूर्व में रेलवे, कृषि और परिवहन जैसे केंद्रीय मंत्रालयों को संभाला है। लालू ने राज्य को इतना नुकसान पहुंचाया था कि उनसे 1 फीसदी भी बेहतर प्रदर्शन करने वाले को बिहार के लोग मसीहा मानने लगे। यहीं से नीतीश को प्रसिद्धि मिली। बिहार में उनकी लोकलुभावन योजनाओं ने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं और धीरे-धीरे उन्होंने अपने लिए विकास पुरुष की छवि बनाई। पर, बिहार की बदहाली और लालू के साथ गठबंधन से अब वो छवि धूमिल हो चुकी है।
इसीलिए, नीतीश कुमार राजनीति से सम्मानजनक प्रस्थान की तलाश में हैं जो उन्हे राष्ट्रपति के पद में दिख रहा है। आम चुनाव में दोयम दर्जे के प्रदर्शन के बावजूद भाजपा ने जो उदारता दिखाई उससे वो भली भांति अवगत है। प्रशांत किशोर, लालू, एनसीपी और ममता जैसे नेताओं के मौकापरस्ती से भी वो अवगत है। ऊपर से भाजपा के पास बहुमत होने से उनकी हार तय है। अतः, उनकी हालत मीरा कुमार जैसी ना हो जाये इसको भाँपते हुए उन्हे ये लोकलुभावन और स्वार्थी प्रस्ताव को सिरे से नकार देना चाहिए अन्यथा वो मात्र ‘president in waiting’ बन के रह जाएंगे।
और पढ़ें:- आखिर भाजपा और बसपा के अंदरखाने क्या खिचड़ी पक रही है?