इस वर्ष की शुरुआत में जहाँ एयर इंडिया को टाटा समूह ने हस्तांतरित किया, तो वहीं अब एक और सार्वजनिक सरकारी संस्था नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स की होने जा रही है। सरकार ने कंपनी को12,100 करोड़ रुपए में NINL को टाटा को बेचने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) को खरीदने के लिए टाटा द्वारा वित्तीय बोली लगाई गई थी जिसका रिसर्व प्राइस 5,616.97 करोड़ रुपए तय किया था।
दरअसल, सरकारी बोली में जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के गठजोड़ और नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड और टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TSLP) हिस्सा हिस्सा लिया था और एनआईएनएल को खरीदने के लिए इन सभी ने वित्तीय बोली लगाई थी। इन सभी बोली दाताओं में TSLP सबसे बड़ी बोलीदाता के तौर पर उभरी जिसने रिज़र्व प्राइस से दोगुनी बोली लगाते हुए 12,100 करोड़ रुपए में NINL को अपने नाम कर लिया। NINL में सरकार की कोई इक्विटी हिस्सेदारी नहीं है, इसलिए बिक्री के पैसे में उसकी हिस्सेदारी नहीं होगी। ये पैसा सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों और राज्य सरकार की दो PSU के खाते में जाएंगे।
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नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड ओडिशा के कलिंगनगर में स्थित है, जो कोरोनाकाल से एक बड़े घाटे से जूझ रहा था। कंपनी भारी घाटे में चल रही है और संयंत्र 30 मार्च, 2020 से बंद पड़ा है। कंपनी पर पिछले साल 31 मार्च तक रु.6,600 करोड़ से अधिक का भारी कर्ज और देनदारियां हैं, जिसमें प्रमोटरों (रु.4,116 करोड़), बैंकों (रु1,741 करोड़), अन्य लेनदारों और कर्मचारियों का भारी बकाया शामिल है। ऐसे में इस संयंत्र को टाटा द्वारा अपने समूह में जोड़ लेने से इससे जुड़े कर्मचारियों को भी राहत की सांस अवश्य मिलेगी।
प्रारंभिक सूचना ज्ञापन के अनुसार, बोलीदाता द्वारा भुगतान की गई राशि का उपयोग श्रम बकाया, परिचालन लेनदारों, वाणिज्यिक ऋणदाता ऋण, प्रमोटर ऋण और नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) की 93.7% शेयरधारिता की खरीद के लिए किया जाएगा। एक बयान के अनुसार, टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स को लेटर ऑफ इंटेंट (LOI) जारी किया जा रहा है, जिसमें शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) की बिक्री के लिए TSPL ने सबसे अधिक बोली लगाई थी जिसे ‘ऑल्टरनेटिव मेकेनिज्म’ के तहत मंजूर कर लिया गया। ऑल्टरनेटिव मेकेनिज्म में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं।
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कंपनी के अनुसार “नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) TSLP के लिए एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक अधिग्रहण का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें प्रतिवर्ष लगभग एक मिलियन टन (एमटी) स्टील बनाने की क्षमता, भविष्य के विकास के लिए 2,500 एकड़ भूमि और लगभग 100 मिलियन टन के लौह अयस्क भंडार हैं। टाटा स्टील ने विस्तार योजना की रूपरेखा तैयार करने में कोई समय नहीं गंवाया। नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) का अधिग्रहण टाटा स्टील को न केवल 1 मिलियन टन प्रति वर्ष स्टील प्लांट को तेजी से फिर से शुरू करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, बल्कि अगले कुछ वर्षों में 4.5 मिलियन टन प्रति वर्ष अत्याधुनिक लंबे उत्पाद परिसर के निर्माण के लिए तुरंत काम शुरू करने की स्वतंत्रता भी देता है और ये इसे लगभग 2030 तक 10 मिलियन टन तक विस्तारित करेगा।”
विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि, “लेन-देन को मौजूदा परामर्शदात्री मल्टीलेयर निर्णय तंत्र-आधारित प्रक्रिया के माध्यम से पूरा किया गया, इसमें अंतर मंत्रालयी समूह (आईएमजी), विनिवेश पर सचिवों के कोर समूह (सीजीडी) और सशक्त वैकल्पिक तंत्र शामिल थे। अपनी कंपनियों OMC और IPICOL के साथ ओडिशा सरकार भी इसमें शामिल रही। इसमें इनकी 32.47% की हिस्सेदारी थी।”
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सारगर्भित बात यह है कि, कोरोना ने कई सरकारी संयंत्रों पर ताला लगवाने में कोई कोर-कसार नहीं छोड़ी है। ऐसे में अब टाटा जैसा देशहित में सदैव तत्पर रहने वाले समूह ने इन जैसे बंद और क़र्ज़ में डूबे सरकारी समूहों को पुनर्जीवित करने के लिए अपनी ओर से प्रयास करने शुरू कर दिए हैं जो निस्संदेह काबिले तारीफ है। ऐसे में कुछ तुच्छ मानसिकता के परिचायक इसको निजीकरण का ठप्पा लगाकर ऐसे पेश करेंगे जैसे सरकार ने देश की सुरक्षा में ऐसी चूक की है, जो उसके लिए घातक हो सकती है। परन्तु सत्य तो यह है अभी जिस कालखंड में भारत है, उसे अपने कथन समय से पार पाने और देश को पुनः खड़ा करने के लिए हरसंभव प्रयास करने हैं जो उसके हितकर होगा।