“आपके लिए कोई टैक्स ब्रेक नहीं”, भारत सरकार ने निर्धारित की टेस्ला के लिए सख्त नियम और शर्तें

जमीन हमारी और मनमानी तुम्हारी नहीं चलेगी Elon Musk!

टेस्ला टैक्स

इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों की निर्माता कंपनी टेस्ला टैक्स के मामले में राहत देने को लेकर लगातार भारत सरकार के संपर्क में है। Elon Musk के प्रयासों के बाद भी भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि टेस्ला को टैक्स में छूट तभी मिलेगी जब वह भारत में अपनी विनिर्माण इकाई स्थापित करेगी। सरकार ने टेस्ला के अनुरोध को यह कहते हुए नकार दिया कि भारत में विदेशों में बनाई गई गाड़ी के आयात पर लगने वाला टैक्स नहीं हटाया जा सकता किन्तु गाड़ी के अलग-अलग कलपुर्जों को मंगाकर भारत में असेम्बली लाइन में उनका निर्माण करने पर टैक्स की छूट दी जा सकती है। ऐसे में, भारत सरकार टेस्ला को टैक्स ब्रेक देने के मूड में नहीं है।

टेस्ला को कोई टैक्स ब्रेक नहीं देगी भारत सरकार 

हालांकि, टेस्ला ने पिछले दिनों सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाया था कि सरकार के सख्त नियमों के कारण उन्हें भारत में निवेश करने में कठिनाई हो रही है। इसके उत्तर में मीडिया से बातचीत करते हुए Central Board of Indirect Taxes and Customs के चेयरमैन विवेक जौहरी ने कहा, “हमने देखा कि क्या शुल्कों को फिर से बदलने की जरूरत है, लेकिन मौजूदा टैरिफ ढांचे के अंतर्गतकुछ घरेलू उत्पादन हो रहा है और कुछ निवेश आया है।” उन्होंने आगे कहा “तो, यह स्पष्ट है कि यह ( निवेश सम्बंधित नियम ) कोई बाधा नहीं है।”

जौहरी ने आगे कहा, “सरकार के कहने के बाद भी टेस्ला ने अभी तक भारत से स्थानीय विनिर्माण और खरीद की योजना पेश नहीं की है। इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय बजट में क्लीनर लेकिन आयातित वाहनों के लिए किसी भी टैक्स ब्रेक का उल्लेख नहीं किया गया था, भले ही महाराष्ट्र की वित्तीय राजधानी मुंबई सार्वजनिक रूप से टेस्ला की मांगों का समर्थन कर रहे थे।”

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वहीं, भारत सरकार चाहती है कि टेस्ला भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करें। लेकिन टेस्ला की मांग है कि उन्हें पहले भारत में अपनी गाड़ियों की बिक्री करने का अवसर दिया जाए और जब टेस्ला को बड़ी संख्या में खरीदार मिल जाए उसके बाद विनिर्माण इकाइयों की स्थापना पर चर्चा हो। अभी टेस्ला की बनी बनाई गाड़ी आयात करने पर 100% आयात शुल्क लगता है। सरकार ने एक मार्ग यह भी दिया कि अगर भारत में विनिर्माण संभव नहीं है, तो असेम्बली लाइन तैयार की जाए। यदि टेस्ला इसे स्वीकार कर लेती है, तो आयात शुल्क 15 से 30 प्रतिशत के बीच में होगा। लेकिन टेस्ला इसके लिए भी तैयार नहीं है।

भारत सरकार की समझदारी

बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों को लेकर सरकार की नीति बिल्कुल स्पष्ट है। वहीं, इस संदर्भ में सरकार के पक्ष को स्पष्ट करते हुए नितिन गडकरी ने एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “मैंने टेस्ला से कहा है कि भारत में वह चीन में बनी इलेक्ट्रिक कारें न बेचें। टेस्ला को भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करना चाहिए। यही नहीं, उसे भारत से इलेक्ट्रिक कारों का निर्यात भी करना चाहिए।” इतना ही नहीं उन्होंने इस दौरान भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स की तारीफ करते हुए कहा, “टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कारें टेस्ला द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कारों से कम अच्छी नहीं हैं।”

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ऐसे में, सरकार की योजना है कि इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों से संबंधित तकनीकी कौशल को बढ़ावा दिया जा सके। इसके अतिरिक्त सरकार यह भी चाहती है कि टेस्ला के लिए भारतीय बाजार को खोलने से पूर्व भारत की किसी स्वदेशी कंपनी को इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा योग्य बना दिया जाए। टाटा इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के निर्माण क्षेत्र में उतर रही है। अगले वर्ष तक टाटा 50,000 गाड़ियों के निर्माण का लक्ष्य लेकर चल रही है। लिहाजा, जब तक टाटा एक ब्रांड नहीं बन जाती, तब तक टेस्ला को बाजार से बाहर रखना भारत सरकार की समझदारी का प्रतीक है।

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