एक हिजाबी महिला को भारत की प्रधानमंत्री बनाने का सपना देख रहे हैं ओवैसी

मुंगेरी लाल के हसीन सपने!

कर्नाटक के उडुपी जिले में पिछले एक महीने से सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में लड़कियों को हिजाब या हेडस्कार्फ़ पहनके आने पर कक्षा में प्रवेश करने से रोका जा रहा था, जिसके बाद पूरे देश में बवाल मच गया। वहीं, अब यह विवाद सियासी रंग में ढल चुका है। दरअसल, हाल ही में AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीते रविवार को एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि हिजाब पहनकर महिलाएं कॉलेज जाएंगी, जिला कलेक्टर, मजिस्ट्रेट, डॉक्टर, व्यवसायी बनेंगी।

हिजाब को लेकर ओवैसी का सियासी बयान

असदुद्दीन ओवैसी ने दर्शकों को संबोधित करते हुए एक वीडियो में कहा, “मैं इसे देखने के लिए जीवित नहीं हो सकता, लेकिन मेरे शब्दों पर ध्यान दें, एक दिन हिजाब पहनने वाली लड़की प्रधान मंत्री होगी।” उन्होंने आगे कहा, “अगर हमारी बेटियां फैसला करती हैं और अपने माता-पिता से कहती हैं कि वे हिजाब पहनना चाहती हैं, तो उनके माता-पिता उनका समर्थन करेंगे। देखते हैं कि उन्हें कौन रोक सकता है।” वहीं, ओवैसी को जवाब देते हुए यूपी के डिप्टी सीएम और भाजपा नेता दिनेश शर्मा ने कहा, “विपक्ष उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिकता फैलाने की साजिश कर रहा है. समाजवादी पार्टी की बी टीम AIMIM है जिससे सांप्रदायिकता की दुर्गंध आती है।”

इसी क्रम में भाजपा के तेलंगाना विधायक टी राजा सिंह ने कहा, “जब तक बीजेपी है, कोई बुर्का वाली प्रधानमंत्री नहीं बनेगी। आप अपनी आबादी कितनी भी बढ़ा लें, हम आपके इस सपने को नहीं आने देंगे. सच है। ‘हम दो हमारे दो’ कानून भी जल्द ही लागू किया जाएगा। हम अच्छी तरह से जानते हैं कि अपनी आबादी पर कैसे ब्रेक लगाया जाए।”

यूपी के संभल जिले में चुनाव प्रचार करते हुए ओवैसी ने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन तलाक कानून के जरिए मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने की बात करते हैं और उनसे हिजाब विवाद पर सवाल किया। क्या यह उनकी बेटी बचाओ, बेटी पढाओ अभियान की यही हकीकत है?” आपको बता दें कि हैदराबाद के सांसद ओवैसी की पार्टी AIMIM उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भागीदारी परिवर्तन मोर्चा के हिस्से के रूप में लड़ रही है, जिसमें पूर्व राज्य मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी शामिल है।

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न्यायालय में विचाराधीन है हिजाब विवाद

आपको बता दें कि हिजाब विवाद कर्नाटक में दिसंबर 2021 के अंत में शुरू हुआ जब उडुपी में एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के कुछ छात्रों को हेडस्कार्फ़ में कक्षाओं में भाग लेने के लिए परिसर छोड़ने के लिए कहा गया। फिर मामला राज्य के अलग-अलग हिस्सों में फैल गया। इस मामले में छात्रों के विरोधी समूहों ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। वहीं, इस मुद्दे के सियासी रंग में ढलने के बाद राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर हमला करना शुरू कर दिया, जिसके बाद यह विवाद और बढ़ गया। हालांकि, यह विरोध अब देश के विभिन्न हिस्सों में फैल गया है और मामला वर्तमान में कर्नाटक के उच्च न्यायालय में है।

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