वर्षों से आर्थिक सर्वेक्षण और विश्लेषण यह बात सिद्ध करते आ रहा है कि भारत का आर्थिक विकास न तो कृषि आधारित होगा और न ही बड़े उद्योगों के द्वारा, बल्कि भारत का आर्थिक मॉडल कई छोटे और मध्यम श्रेणी के उद्योगों के बल पर आगे बढ़ेगा। किंतु किसी सरकार ने अभी तक भारत में मध्यम और छोटे श्रेणी के उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कोई रोडमैप नहीं तैयार किया था। वर्ष 2014 के बाद मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में बेहतरीन काम किया, जिसके बाद देश के युवाओं द्वारा एक के बाद एक नए और अभिनव विचारों के साथ स्टार्टअप शुरू किए गए और अब यह स्टार्टअप भारत के आर्थिक विकास की कहानी लिख रहे हैं।
भारत में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त 61,400 से अधिक स्टार्टअप हैं। वित्तीय वर्ष 2022 में इनमें से कम से कम 14,000 स्टार्टअप को मान्यता दी गई है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत के 555 जिलों में कम से कम एक स्टार्टअप की शुरुआत हुई है। सर्वेक्षण के आंकड़ों से यह तो तय हो गया है कि भारत के 75 फीसदी जिलों में कम से कम एक स्टार्टअप है।
और पढ़ें: Startup India और Make In India अभियान से 2022 में रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
स्टार्टअप कंपनियों में 1000 करोड़ का निवेश कर रही सरकार
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि “वर्ष 2016-17 के दौरान सरकार ने केवल 733 स्टार्टअप को मान्यता दी थी, जिसकी तुलना में वर्ष 2021 में 14000 स्टार्टअप को मान्यता दी गई। परिणामस्वरूप, 10 जनवरी, 2022 तक भारत में 61,400 से अधिक स्टार्टअप को मान्यता दी गई है।” भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। अकेले वर्ष 2021 में 44 स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न की श्रेणी में आई हैं, जिसके बाद भारत में यूनिकॉर्न की संख्या अब 83 पहुंच चुकी है। आपको बता दें कि यूनिकॉर्न उस कंपनी को कहते हैं, जिसका मूल्य एक बिलियन डॉलर, अर्थात् करीब 7470 करोड़ रुपए हो।
पिछले महीने, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम को वर्ष 2022 में 75 नए यूनिकॉर्न जोड़ने का लक्ष्य रखना चाहिए। भारत सरकार ने बड़े उद्योगपतियों को संकेत दिया है कि वह भारतीय स्टार्टअप में निवेश करना शुरू करें। सरकार स्वयं स्टार्टअप कंपनियों में 1000 करोड़ का निवेश कर रही है। वर्ष 2021 में रिलायंस ने स्टार्टअप कंपनियों में 7000 करोड़ों का निवेश किया है। वहीं, वेदांता ग्रुप 23 कंपनियों में निवेश कर रहा है और इसी क्रम में टाटा ने भी कई कंपनियों में निवेश कर रखा है। देसी-विदेशी निवेशकों के बल पर भारतीय स्टार्टअप कंपनियों ने वर्ष 2021 में 36 बिलियन डॉलर का फंड जुटाया है।
और पढ़ें: वर्ष 2021 में भारतीय स्टार्टअप्स ने रिकॉर्डतोड़ $36 बिलियन फंड्स कमाए हैं
भारत के पास नहीं है प्रतिभा की कमी
गौरतलब है कि बड़ी कंपनियों का निवेश अन्य निवेशकों का ध्यान आकर्षित करता है। ऐसे में विदेशी निवेशक भी उन कंपनियों में निवेश करने को उत्सुक हो जाते हैं। यह सर्वविदित है कि भारत के पास प्रतिभा की कमी नहीं है, क्योंकि कई बड़ी कंपनियों में भारतीय मूल के लोग CEO से लेकर अन्य छोटे-बड़े पदों पर काम कर रहे हैं। अकेले अमेरिका की बात करें, तो वहां 18 फीसदी यूनिकॉर्न कंपनियों की स्थापना भारतीयों ने की है। भारतीयों की बौद्धिक क्षमता का प्रयोग हमारे देश के विकास में हो, इसलिए यह आवश्यक है कि नए और प्रतिभाशाली उद्यमियों को अवसर मिले और मोदी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है।
हालांकि, अभी अधिकांश स्टार्टअप सेवा क्षेत्र से जुड़े हैं। इसका विस्तार मैन्युफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र में भी होना चाहिए। कृषि क्षेत्र में तकनीकी उच्चता प्राप्त करने के लिए नए स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकि भारत में अब भी श्रम शक्ति का एक बड़ा हिस्सा कृषि से आजीविका कमा रहा है, ऐसे में उनके विकास हेतु एग्रीटेक का विकास आवश्यक है।
और पढ़ें: वर्ष 2030 तक भारत को तेजी से समृद्ध बना सकता है Agritech