ये तो गजब हो गया, सपा ने बताया कि 10 मार्च को नतीजा बीजेपी के पक्ष में ही जाएगा!

समय आ गया है कि सपा 'इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स' शुरू कर दे!

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उत्तर प्रदेश चुनाव पांचवें चरण में पहुंच चुका है। समाजवादी पार्टी के नेताओं और पार्टी के ट्विटर हैंडल को देखकर यह लगता है कि वह चुनाव जीतना तो छोड़िए, मन से लड़ने के मूड में भी नहीं है। पार्टी के ट्विटर हैंडल से पार्टी का ही मजाक बनाया जा रहा है। समाजवादी पार्टी के टि्वटर हैंडल से 25 फरवरी को एक ट्वीट किया गया था जिसमें अखिलेश यादव की एक तस्वीर के साथ अंग्रेजी में कुछ वाक्य लिखे गए थे। तस्वीर पर बड़े अक्षरों में जो शीर्षक “Ride with the tide” छपा था उसका अर्थ हुआ कि मतदाता बहुमत का निर्णय स्वीकार करें। इस शीर्षक के साथ में अखिलेश यादव की फोटो लगी थी जिससे ट्वीट करने वाले व्यक्ति को संभवत यह लगा कि फोटो अखिलेश यादव के समर्थन में वोट की अपील कर रही है। जबकि उसी शीर्षक के नीचे अंग्रेजी में यह भी लिखा था

“अखिलेश यादव ने छोटे, जाति-आधारित दलों के साथ एक मजबूत गठबंधन बनाया है। समाजवादी पार्टी को सत्ता में वापस लाने का उनका कार्य, हालांकि, अपने सहयोगियों के चंचल स्वभाव और अपनी ही पार्टी के नेताओं के बीच असंतोष के कारण चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।”

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अब शीर्षक यह कह रहा है कि मतदाता बहुमत के साथ जाए और नीचे की पंक्तियां यह कह रही है कि अखिलेश यादव का कार्य चुनौतीपूर्ण है। इसका अर्थ क्या हुआ यह पाठक स्वयं की रूचि के अनुसार निकाल सकते हैं किंतु जिन लोगों को यह ट्वीट दिखा उन्होंने समाजवादी पार्टी को ट्रोल करना शुरू कर दिया। जाति को आधार बनाने का आरोप सपा पर हमेशा लगता आया है लेकिन इस बार तो खुद सपा ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि वह जाति आधारित राजनीति करते हैं।

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विभिन्न मीम के माध्यम से कई ट्विटर यूजर ने समाजवादी पार्टी का मजाक उड़ाया। एक ट्विटर यूजर ने लिखा “कम से कम आपको ट्वीट करने से पहले छोटा सा टेक्स्ट पढ़ना चाहिए था। इस बिंदु पर, मैंने यह सोचना भी छोड़ दिया है कि भाजपा के विरुद्ध अखिल भारतीय स्तर पर सपा अच्छी विपक्षी पार्टी भी हो सकती है।”

https://twitter.com/MohitDahiya1010/status/1497449434602295298?s=19

Do पॉलिटिक्स के एंकर अजीत भारती ने लिखा “पूरी पार्टी में अंग्रेजी किसी को नहीं आती क्या? या बड़े शब्दों के नीचे वाले को डिजाइन एलिमेंट मान लिया सपाइयों ने?”

हालांकि सपा के टि्वटर हैंडल यूजर को दोष नहीं देना चाहिए। अखिलेश यादव स्वयं अपनी हार को सुनिश्चित कर चुके हैं। उन्होंने चुनाव में अनावश्यक रूप से जिन्ना का मुद्दा उठाया। समाजवादी पार्टी की ओर से कई अपराधियों को टिकट बांटे। अपराधियों को टिकट तब बांटे गए जब भाजपा ने कानून व्यवस्था को चुनाव जीतने के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बनाया है। अखिलेश यादव भाजपा सरकार द्वारा किए गए कार्यों को घूम घूम कर अपना बताते रहे किंतु इस पर किसी ने विश्वास नहीं किया।

बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में सदैव दो मुद्दे महत्वपूर्ण होते थे। एक बिजली आपूर्ति का मुद्दा और दूसरा भ्रष्टाचार का मुद्दा। 2022 के विधानसभा चुनाव में यह दोनों मुद्दे चुनाव से गायब है क्योंकि योगी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं है और बिजली आपूर्ति भी हर शहर और गांव में कम से कम 20 से 22 घण्टे, निरंतर हो रही है। योगी सरकार में बनी सड़कें योगी आदित्यनाथ के लिए किसी स्टार प्रचारक की भूमिका निभा रही है। ऐसे में गलती से ही सही लेकिन सपा के ट्विटर हैंडल ने सत्य ही लिखा है कि मतदाताओं को बहुमत के साथ जाना चाहिए और सपा के बिखरे कुनबे को छोड़ देना चाहिए।

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