सऊदी के आंतरिक मंत्री प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ बिन सऊद बिन नाइफ़ बीते सोमवार को अपनी दिन भर की यात्रा पर पाकिस्तान पहुंचे थे। वर्ष 2014 से ईरान समर्थित हौथियों के साथ यमन में युद्ध में उलझा सऊदी अरब, अमेरिका द्वारा पैट्रियट मिसाइल सिस्टम को वापस लेने के बाद अब अपनी लड़ाई में सैन्य और राजनयिक समर्थन की तलाश कर रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तान को भी इस क्षेत्र में एक दोस्त की जरूरत है। एक प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य अड्डे पर ईरान स्थित बलूच अलगाववादियों द्वारा हाल ही में किए गए हमले में कई लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए थे। जिसके बाद पाकिस्तान वर्तमान में इस बात पर विचार कर रहा है कि अलगाववादियों को अपनी सीमाओं के भीतर से काम करने की अनुमति देकर इस क्षेत्र को अस्थिर करने के ईरान के प्रयासों का जवाब कैसे दिया जाए।
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पाकिस्तान को मनाने की कोशिश में लगा सऊदी
ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तान, सऊदी अरब और ईरान के बीच संघर्ष में तटस्थ रहा है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अब हालात बदल सकते हैं। मिडिल ईस्ट आई ने विशेषज्ञों के हवाले से सवाल उठाया है कि सऊदी अरब और पाकिस्तान हौथियों के खिलाफ एक दूसरे से क्या चाहते हैं? ब्रिटेन के थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) के विजिटिंग फेलो उमर करीम का कहना है कि प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ पानी का परीक्षण करने और ईरान के खिलाफ सख्त रुख अपनाने हेतु पाकिस्तान को मनाने की कोशिश करने के लिए इस्लामाबाद में हैं। सऊदी यमन में हौथियों से लड़ने में मदद चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वे आदर्श रूप से एक रक्षात्मक भूमिका में खुफिया जानकारी साझा करने और सऊदी अरब में एक पाकिस्तानी सैन्य ब्रिगेड चाहते हैं।
इस्लामाबाद में स्थित एक थिंक टैंक, पाकिस्तान हाउस के महानिदेशक मुहम्मद अथर जावेद ने कहा कि सऊदी अरब की सुरक्षा स्थिति अंधकारमय दिखती है, क्योंकि अमेरिका ने उनसे समर्थन वापस ले लिया है और रक्षा क्षमताओं को खतरनाक रूप से कम कर रहा है। दरअसल, वर्ष 2021 में हौथियों ने मिसाइल और ड्रोन हमलों सहित सऊदी अरब पर 375 हमले किए थे। जावेद ने कहा, “वे (सऊदी अरब) निश्चित रूप से सऊदी एयरस्पेस में उड़ने वाली हौथी मिसाइलों को रोकना चाहते हैं, क्योंकि अब हौथी का लक्ष्य तेल रिफाइनरियों, हवाई अड्डे और शिपिंग बंदरगाहों के साथ अधिक से अधिक रणनीतिक हमले की तैयारी कर रहे हैं।”
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इस्माइल कानी से डर रहा है सऊदी
वहीं, RUSI के उमर करीम ने कहा, सऊदी को डर है कि ईरान सीरिया में युद्ध से लौटने वाले सैनिकों के साथ हौथी को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, “ज़ीनाबियोन मिलिशिया ब्रिगेड मुख्य रूप से ईरानी क्रांतिकारी गार्ड द्वारा भर्ती शिया पाकिस्तानियों से बना है।” उन्होंने कहा, “वे सीरिया में सरकारी बलों के साथ थोड़ी देर के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन उनमें से कई अब लौट आए हैं।”
उमर करीम ने ने आगे बताया कि आईआरजीसी (IRGC) के इस्माइल कानी सऊदी और पाकिस्तानियों के लिए प्रमुख चिंता का विषय है। कानी वर्तमान में कुद्स बल का नेतृत्व करते हैं, वो ईरान की कुलीन इकाई विदेशी परिचालनों के साथ काम करते हैं और साथ ही अफगान तथा पाकिस्तानी मामलों के विशेषज्ञ है। सऊदी अरब को डर है कि इस्माइल कानी युवा शिया पुरुषों की भर्ती को तेज कर सकते हैं, लेकिन अब सऊदी चाहता हैं कि पाकिस्तानी सरकार इसे रोकने में मदद करे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी सीरिया से आतंकवादियों के लौटने पर नजर रख रही है, जहां ईरानियों द्वारा अधिक शिया पुरुषों की भर्ती के लिए कोई और प्रयास किया जा सकता है।”
इस मामले पर अटलांटिक काउंसिल के वरिष्ठ अधिकारी कमल आलम का कहना है कि सऊदी भी ईरानियों को वित्त पोषण और हौथियों को रोकने हेतु दबाव डालने के लिए पाकिस्तान से राजनयिक समर्थन चाहता है। उनके अनुसार, “इन दिनों ईरान के साथ पाकिस्तान का विवाद चल रहा है और पाकिस्तान ने अपनी मिट्टी पर बलूच अलगाववादी आतंकवादियों को समर्थन देने के लिए ईरान पर आरोप लगाया।”
पाक और सऊदी दोनों को एक दूसरे की जरुरत
बताते चलें कि मौजूदा समय में सऊदी अरब को पाकिस्तान की जरुरत है और पाकिस्तान को भी सऊदी की जरुरत है। ऐसे में ईरानियों के विरुद्ध पाकिस्तान सऊदी का साथ दे सकता है और बदले में सऊदी पाकिस्तान की डांवाडोल स्थिति को सुधारने हेतु एक टुकड़ा फेंक सकता है! गौरतलब है कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी काफी लंबे समय से बलूचों की स्वतंत्रता की मांग कर रही है। बलूचों के स्वतन्त्रता की मांग अब अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहुंच चुकी है। पाकिस्तान की ओर से लगातार इस बात का दावा किया जा रहा है कि उसने विद्रोह को दबा दिया है, लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है। पाकिस्तान इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराता आ रहा है।
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