भारत का स्मार्टफोन मार्केट कितना विशाल है, ये बात किसी से छिपी नहीं है और मोदी सरकार इस तथ्य को अच्छे से जानती है। यही कारण है कि देश में ‘Make In India’ मुहिम शुरु की गई थी। इस योजना का मतलब भारत में बनाइए, और फिर भारत या विश्व के किसी भी कोने में बेचिए। जो भारत पहले 8 मिलियन तक के मोबाइल फोन का आयात करता था, उसने अपना आयात तो घटाया ही साथ ही अब भारत से तीन मिलियन डॉलर्स से ज्यादा के मोबाइल फोन का निर्यात होता है, जो किसी उपलब्धि से कम नहीं है।
इसी बीच खबर है कि भारत का मोबाइल फोन व्यापार चालू वित्त वर्ष में अपने इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात रिकॉर्ड को 30 फीसदी से पीछे छोड़ने की राह पर है। यह संख्या 40 प्रतिशत तक भी हो सकती थी, यदि वैश्विक अर्धचालक की कमी और लॉजिस्टिक मुद्दों की समस्या नहीं होती। वर्ष 2021-22 में मोबाइल फोन व्यापार का यह रिकॉर्ड निश्चित रूप से उद्यमियों को उम्मीद बंधाता है कि यह व्यापार 1.12 लाख करोड़ रुपये ($15 बिलियन) के आंकड़े को छू जाएगा, जो पिछले रिकॉर्ड $11.7 बिलियन से बहुत ऊपर है।
उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात 2021-22 की पहली तीन तिमाहियों में 83,000 करोड़ रुपये (11 बिलियन डॉलर) तक पहुंच गया, जो 2020-21 में 56,000 करोड़ रुपये (7.4 बिलियन डॉलर) था। वहीं, अगर एक साल पहले जाते हुए 2019-20 के आंकड़ों को देखें, तो यह 66,000 करोड़ रुपये ($8.8 बिलियन) था। ऐसे में वित्त वर्ष 2021-22 के पहले नौ महीनों में इन आंकड़ों ने उद्योग को विश्वास दिलाया है कि देश पूरे साल में 15 अरब डॉलर के निर्यात मूल्य को छू लेगा।
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इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात के क्षेत्र में झंडे गाड़ रहा देश
मोबाइल उद्योग का यह भी मानना है कि वर्ष 2026 तक भारत, 9 लाख करोड़ रुपये (120 अरब डॉलर) के निर्यात के अपने आशावादी लक्ष्य को पूरा कर सकता है, क्योंकि इसका मौजूदा लक्ष्य भारत को 5.6 लाख करोड़ रुपये (75 अरब डॉलर) से 22 लाख करोड़ रुपये (300 अरब डॉलर) के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र में बदलना है। इस क्षेत्र में मोबाइल फोन, आईटी हार्डवेयर (लैपटॉप, टैबलेट), उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स (टीवी और ऑडियो), औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स प्रमुख निर्यात की श्रेणी में हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर प्रमोशन काउंसिल (ESC) के अध्यक्ष संदीप नरूला ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर निर्यात शुरू में वित्त वर्ष 2021 के अंत तक 1.23 लाख करोड़ रुपये ($16.4 बिलियन) तक पहुंचने का अनुमान था। लेकिन, वैश्विक मुद्दों ने इसमें बाधा डाली। हमारी यह धारणा थी कि उच्च माल ढुलाई शुल्क, उड़ानों की अनुपलब्धता, कंटेनर की कमी, वैश्विक अर्धचालक की कमी और लॉजिस्टिक मुद्दे पिछले साल नवंबर और दिसंबर तक कम हो जाएंगे।
गौरतलब है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक सामानों के लिए बहुत सारे घटकों का आयात करता है। लेकिन, आपूर्ति की कमी के मुद्दे बने हुए हैं, इसलिए इस वित्त वर्ष के अंत तक इस क्षेत्र में निर्यात सिर्फ $15 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है। पिछले साल अगस्त में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि भारत अब मोबाइल फोन का निर्यात करता है, जबकी सात साल पहले भारत 60,000 करोड़ रुपये (8 बिलियन डॉलर) के ऐसे उपकरणों का आयात करता था।
देश के स्वावलंबन की नींव रख रहा है मोबाइल उद्योग
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 में भारत का कुल मोबाइल फोन निर्यात लगभग 30,000 करोड़ रुपये (3.83 बिलियन डॉलर) था। जो पिछले कुछ सालों से लगातार रिकार्ड स्तर की ओर बढ़ते जा रहा है। यूएई हमारा शीर्ष आयातक बना हुआ है, जो देश के कुल निर्यात का लगभग 42 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि भारत के मोबाइल फोन बाजार में निवेश परिपक्व हो गया है और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं के माध्यम से आयात निर्भरता को कम करने के प्रयास किए गए हैं। आपको बता दें कि आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया परियोजना, पीएलआई स्कीम और डिजिटल इंडिया जैसे प्रोजेक्ट भारत को स्वावलंबन की ओर ले जा रहे हैं। जैसे-जैसे भारत स्वावलंबी होगा आयात घटेगा और निर्यात बढ़ेगा। देश का विनिर्माण क्षेत्र सुधारेगा और देश आर्थिक शक्ति की ओर अग्रसर होगा। देश के इसी स्वावलंबन की नींव देश का मोबाइल उद्योग रख रहा है।
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