पतन की राह पर चल पड़ा है पाकिस्तान, उसका ऋण संकट वास्तव में काफी बुरा है!

हर पाकिस्तानी पर करीब ढाई लाख रूपये का कर्ज है!

source- tfipost

हम सब जानते है कि पाकिस्तान कर्ज में डूबा हुआ देश है लेकिन वह कितने कर्ज में है? क्या कभी आपने यह सोचा है? पाकिस्तान का विदेशी कर्ज दिनों दिन बढ़ता जा रहा है और पाकिस्तान सरकार के पास अपना खर्च चलाने के लिए पैसे तक नहीं है। हालात यह है कि एक ओर पाकिस्तान पर इतना कर्ज हो चुका है कि उसे डिफॉल्टर घोषित किया जा सकता है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को अपना खर्च चलाने के लिए और लोन लेने की आवश्यकता पड़ेगी।

इस समय पाकिस्तान पर चीन के अतिरिक्त संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, वर्ल्ड बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का ऋण है। घरेलू और विदेशी कर्ज मिलाकर पाकिस्तान पर, पाकिस्तानी रुपए में कुल ऋण पचास हजार अरब से अधिक का कर्ज (50.5 ट्रिलियन) है। जनसंख्या अनुपात के हिसाब से हर पाकिस्तानी पर इस समय 2,35,000 पाकिस्तानी रुपए का कर्ज है।

अकेले वित्तीय वर्ष 2021-22 में ही पाकिस्तान पर करीब 14 अरब यूएस डॉलर का कर्ज चढ़ जाएगा। इसमें से आधा से अधिक ऋण चीन के वाणिज्यिक बैंकों का है जिन्होंने बेल्ट एंड रोड योजना के अंतर्गत चीन पाक इकोनामिक कॉरिडोर के लिए पाकिस्तान सरकार को पैसा दिया है।

हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि पाकिस्तान, श्रीलंका जैसी स्थिति में जा रहा है। दक्षिण एशिया पर बनाई गई रिपोर्ट में अलग-अलग देशों के ऋण और आर्थिक भविष्य की चर्चा हुई थी। इसमें वर्ल्ड बैंक ने बताया है कि पाकिस्तान जल्द ही श्रीलंका की तरह चीन के डेट ट्रैप में फंस जाएगा। स्वयं इमरान सरकार भी संसद में यह कह चुके हैं कि देश पर बढ़ता कर्ज उनकी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पाकिस्तान विदेशी कर्ज में डूबे टॉप 10 देशों की सूची में शामिल हो गया है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि अब पाकिस्तान डेबिट सर्विस सस्पेंशन एनीशिएटिव (DSSI) के दायरे में आ गया है। इसका मतलब यह हुआ कि पाकिस्तान पर अब इतना विदेशी कर्ज हो चुका है कि उसे अब उधार नहीं दिया जा सकता है।

पाकिस्तान की विदेश नीति पर चीन का प्रभाव किस हद तक बढ़ चुका है इससे सभी परिचित हैं। बात केवल भारत के विरोध की नहीं है, पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान ने पश्चिमी देशों का अत्याधिक विरोध किया है। पाकिस्तान का अमेरिका विरोधी रवैया सीधे तौर पर चीन के प्रभाव का नतीजा है। पाकिस्तान पश्चिमी देशों का विरोध कर अपने राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा रहा है, किंतु पाकिस्तान पर चीनी प्रभाव इतना अधिक है कि वह इससे छुटकारा नहीं पा सकता है।

देश में बुरी है हालत-

देश में लगातार विदेशी मुद्रा संकट के कारण महंगाई चरम पर है। यहां तक कि आटा, दाल, चीनी और खाद्य तेल के दाम आम लोगों की पहुंच से दूर हो चुके हैं। हाल ही में पेट्रोल 150 रुपये लीटर पर पहुंच गया था। वहीं चीनी भी 150 रुपये किलो के आसपास है। दूध 130 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है।

पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में है, पश्चिमी देशों से उसके संबंध खराब हो चुके हैं और चीन उसे डेट ट्रैप में फंसा रहा है। वहां पर राजनीतिक अस्थिरता के कारण निवेश आकर्षित नहीं होने वाला है। पाकिस्तान ने भारत के साथ प्रतिस्पर्धा के चक्कर में स्वयं को भारत और मध्य एशिया के बीच होने वाले व्यापार में बिचौलिया बनने में भी अक्षम बना लिया है। यदि पाकिस्तान भारत से संबंध सुधार लेता तो कम से कम ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता था और भारत और पश्चिम एवं मध्य एशिया के बीच व्यापार में अपने लिए संभावना तलाश सकता था। किंतु ऐसा पाकिस्तान के लिए संभव नहीं है।

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