पुतिन ने इमरान खान को बनाया बलि का बकरा, अब न इधर के रहें न उधर के

अब कहां जाओगे इमरान खान?

Putin, Imran

Source- TFIPOST

गांव बसा नहीं और भिखारी पहले आ गए। यह कथन पाकिस्तान और पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के संदर्भ में एकदम सटीक बैठता है। जहाँ अभी पूरा विश्व इस असमंजस में है कि रूस और यूक्रेन विवाद बढ़ते-बढ़ते कहीं विश्व-युद्ध की ओर न मुड़ जाए, लेकिन इसी बीच भिखारीपने की हर सीमा को लांघते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान क्रेमलिन में बैठकर जम्मू-कश्मीर का राग अलाप रहे थे। ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यूक्रेन-रूस विवाद के बीच व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई अपनी पहली बैठक में कश्मीर मुद्दे की बात उठाकर अपनी भद पिटवा ली है और अब स्थिति ऐसी हो गई है कि पाकिस्तान चाहकर भी रूस के खिलाफ नहीं जा सकता है।

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पुतिन ने फेंका पासा और फंस गए इमरान खान

दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने कैबिनेट सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 23 और 24 फरवरी को रूस की दो दिवसीय यात्रा पर थे। 23 साल में पाकिस्तान के किसी पीएम की मास्को की यह पहली आधिकारिक यात्रा थी। व्लादिमीर पुतिन और इमरान खान के बीच तीन घंटे की बैठक तब चली, जब क्रेमलिन ने यूक्रेन में एक सैन्य अभियान की घोषणा कर दी थी। रूस के इस कदम ने कई देशों, विशेष रूप से अमेरिका को मास्को पर सबसे सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया, जिससे रूसी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। बैठक के बाद पाकिस्तानी सरकार द्वारा एक प्रेस बयान में कश्मीर मुद्दे और द्विपक्षीय संबंधों सहित मुख्य वार्ता बिंदुओं का उल्लेख किया गया। साथ ही यूक्रेन संघर्ष पर खेद भी व्यक्त किया गया।

पाकिस्तान सरकार के बयान में कहा गया, “दक्षिण एशिया की स्थिति पर इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डाला और जम्मू-कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की अनिवार्यता को रेखांकित किया।” जबकि भारत में रूसी दूतावास ने इसे भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय मुद्दा के रुप में रेखांकित करते हुए कहा कि मास्को कश्मीर विवाद पर केवल लाहौर और शिमला समझौते का पालन करेगा।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यह यात्रा तब हुई, जब पूरा विश्व एक बड़े संकट से जूझ रहा है। पाक आर्मी के रिमोट कंट्रोल से चलने वाली ISI ने निश्चित रूप से इमरान खान का बंटाधार सुनिश्चित करने के लिए उन्हें ऐसे समय पर रूस भेजा। वहीं, यह पुतिन की कूटनीतिक समझदारी भी है, जो इस समय पर उन्होंने इमरान खान को मिलने का समय दे दिया। पुतिन ने जिस प्रकार इमरान खान को नज़रबंद करने का काम करते हुए उन्हें इधर-उधर भागने से रोका, उससे रूस को लाभ हो रहा है। रूस को इस बात का पूर्ण विश्वास है कि भारत उसके साथ है ही, ऐसे में भीख के लिए मोहताज पाकिस्तान को भी अमेरिका से गुटर-गूँ करने से रोकने के लिए पुतिन ने पासा फेंक दिया, जिसमें इमरान खान फंस गए। जिस प्रकार उसने बिना किसी आश्वासन दिए पाक पीएम की बात पर स्वतंत्र रूप से अपनी प्रतिक्रिया दी, वो इसलिए ही थी ताकि यह पैसों का लोभी पाकिस्तान गलती से भी अमेरिका की ओर न जाए, क्योंकि अमेरिका का ध्येय ही रूस की बर्बादी सुनिश्चित करना है।

अब तो चाहकर भी अमेरिका के साथ नहीं जाएंगे इमरान 

एक और बड़ी बात यह थी कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की बुद्धि ज़्यादा ही तेज़ चल रही थी। उनकी योजना थी कि यदि युद्ध के हालात होते हैं, तो भारत निस्संदेह रूस के साथ ही जाता, ऐसे में प्रॉक्सी वॉर की योजना के तहत बाइडन चीन से अच्छे संबंध न होने के कारण उसका ख्याल अपने मस्तिष्क में भी नहीं ला सकते थे। अमेरिका का रुख यह था कि रूस के साथ यदि भारत है, तो पाकिस्तान को अमेरिका की ओर ही कदम बढ़ाना पड़ेगा और क्योंकि इमरान खान भीख के लिए त्वरित अमेरिका के साथ हो जाते, पुतिन ने अपना पास फेंककर इमरान को रूस की ही धरती पर पटखनी दे दी।

पाकिस्तानी एजेंसियां माने या न माने, रूस और विशेषकर पुतिन ने इमरान खान पर दांव चल दिया है, जिससे उनकी हवा टाइट हो गई है। इसी के साथ जब पाक पीएम ने धरती लगी फटने तब खैरात लगी बंटने का उदहारण देते हुए सामने से ही कश्मीर मुद्दा उछाल कर रूस से समर्थन मांगा। जहां पाक पीएम ने रूस द्वारा यूक्रेन में किए जा रहे हमले की शह लेकर रुस के समक्ष अपना कश्मीर वाला रुदाली राग शुरू किया, उससे यह तो सिद्ध हो गया कि पाकिस्तान रूस को उसके किए पर घेरने के लिए कश्मीर का मुद्दा उठा रहा था। लेकिन जिस प्रकार इमरान खान ने पाकिस्तान और रूस को एक जैसा बताने की कोशिश की है, वह किसी मज़ाक से कम नहीं है और बस कश्मीर मिल जाए इस आड़ में रूस पहुंच जाना इमरान खान की बेवकूफी ही तो है।

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कभी भी भारत के विरुद्ध नहीं जाएगा रुस

आज भले ही पुतिन, पाकिस्तान पीएम को नहीं-नहीं कहते हुए भी, अपने पाले में रखने के लिए हां में हां मिला लें, पर यह पुतिन को भी पता है कि अंतोत्गत्वा पाकिस्तान का कोई कूटनीतिक भविष्य है ही नहीं, बल्कि उसका इतिहास सदैव चीन की भांति धोखा देने का ही रहा है। ऐसे में अपने मित्र भारत को निराश कर पाक का साथ देना, ऐसी सोच पुतिन के मन में लेश मात्र भी नहीं आएगी, क्योंकि यह पुतिन को भी पता है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में आज वैश्विक स्तर पर भारत की स्वीकार्यता काफी बढ़ी है।

एक ओर जहां यूक्रेन सीधे भारत से यह कह रहा है कि एक भारत ही है, जिसकी पुतिन सुनेंगे, ऐसे में राजा और भिखारी में भेद बेहद ही सरल है। निस्संदेह आज भले ही कश्मीर मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पाक पीएम को आश्वासन दे दें, पर शाश्वत सत्य तो यही रहेगा कि रूस भारत के लिए और भारत रूस के लिए हमेशा खड़े हैं! सौ बात की एक बात यह है कि पाक पीएम इमरान खान का रूस जाना उन्हीं के गले ही फांस बन गया है। अब कुछ भी हो जाए उन्हें रूस का साथ देना ही पड़ेगा। वहीं, ऐसे समय में कश्मीर मुद्दे को उठाकर भिखारीपने में सभी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर आज पाकिस्तान ने विश्व पटल पर अपना नाम काले अक्षरों में इंगित करा लिया है।

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