कोरोनाकाल में सरकार के अतिरिक्त जिस व्यक्ति का नाम सर्वाधिक रूप से एक मददगार के तौर पर देश ने जाना, वो शख़्स थे, अभिनेता सोनू सूद। कोरोनाकाल में लोगों की मदद करने का कार्य सोनू सूद ने बखूबी किया। एक नजर में तो हर व्यक्ति इस चीज की तारीफ़ करेगा लेकिन मदद की लाइन पर चलते-चलते अब सोनू सूद शासन-प्रशासन के काम में बाधा डालने वाले वो कारक बन गए हैं जिसने मदद कम तकलीफ़ अधिक बढ़ गई है।
पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को मतदान के दौरान सोनू सूद की कार पुलिस ने जब्त कर ली है, जिसके बाद से वह विवादों में आ गए हैं। अभिनेता की बहन मालविका सूद मोगा से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में चुनाव वाले दिन मतदाताओं को लुभाने निकले सोनू सूद को पुलिस को उन्हें उनके घर पर छोड़ना पड़ा।
सोनू सूद का राजनीतिक रूप भी देख लीजिये-
यूं तो सामाजिक जीवन में आने का अर्थ केवल निःस्वार्थ रूप से ज़रूरतमंदों की सेवा करना होता है। पर सोनू सूद के मामलें में बयार अलग दिशा में बहती दिखने लगी है। यदि जैसा सोनू सूद का कहना है कि वो मात्र जनसेवा के लिए कोरोना काल में मदद करने निकले थे, ऐसे में जनसेवा से ध्येय भटककर राजनीतिक सेवा की ओर मुड़ जाना थोड़ा अचंभे वाली बात है।
ऐसा नहीं है कि उनका या उनकी बहन का राजनीति में आना गलत कदम है पर जिस माध्यम से वह राजनीति में आयें है, ऐसे में उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। लोगों को सोनू सूद पर शंकाएं हैं। जिस प्रकार सोनू सूद ने पहले दिन से यह कहा था कि उनका जनता के लिए बाहर आना राजनीति से प्रेरित नहीं है, ऐसे में समय और कालचक्र के पलटते ही मालविका सूद का पंजाब की सक्रिय राजनीति में उतारकर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ना उनके फाइनल एजेंडे को ही दर्शाता है।
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प्रशासनिक अवरोध पैदा करने लगे हैं सोनू सूद-
पंजाब में रविवार को चुनाव संपन्न तो हुए पर जैसा की अमूमन हर चुनाव में देखने को मिलता है, बिना हलचल बढ़ाए कैसे कोई चुनाव संपन्न हो सकता है? पंजाब चुनाव वाले दिन एक अपडेट साझा करते हुए, मोगा जिले के पीआरओ प्रभदीप सिंह ने ANI को बताया कि, “सोनू सूद एक मतदान केंद्र में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान उनकी कार को जब्त कर लिया गया और उन्हें अपने घर भेज दिया गया। साथ ही कहा गया कि, घर से बाहर निकलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सत्य तो यह है की सोनू सूद व उनकी बहन मालविका सूद की राजनीतिक महत्वकांक्षाएँ चरम पर हैं। इसी कारण मालविका सूद ने कुछ दिन पूर्व कांग्रेस ज्वाइन की और हाथों हाथ टिकट भी ले आईं।
सोनू सूद एक पोलिंग बूथ के अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान उनकी कार ज़ब्त की गई और उन्हें घर भेजा गया। अगर वे घर से बाहर निकलेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी: ज़िला पीआरओ, प्रभदीप सिंह, मोगा #PunjabElections2022 pic.twitter.com/2tcVw8vvq5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 20, 2022
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विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए, सोनू ने बताया कि वह केवल निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे। सोनू सूद ने एएनआई को बताया “हमें विपक्ष, खासकर अकाली दल के लोगों द्वारा विभिन्न बूथों पर धमकी भरे कॉलों के बारे में पता चला। कुछ बूथों पर पैसे बांटे जा रहे हैं. इसलिए निष्पक्ष चुनावों की जांच करना और सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है। इसलिए हम बाहर गए थे। अब, हम घर पर हैं। निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए।”
यानि नेताओं के काम को जनसेवा करके पूर्ण करने वाले सोनू सूद अब शासन-प्रशासन के कार्यों में भी भागीदारी निभाकर यह दर्शाना चाहते हैं की “सब मिले हुए हैं जी, एक मैं ही हूँ सत्यवादी!!”
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जहां सोनू की बहन राजनीति में हैं, वहीं अभिनेता ने कहा था कि वह इससे दूर रहेंगे। उन्होंने कहा था, “मुझे गर्व है कि उसने (मालविका) यह कदम उठाया। वह पिछले कुछ वर्षों से वहां रह रही है और लोगों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों को जानती है। मुझे खुशी है कि वह लोगों के संपर्क में रहने और सीधे उनकी मदद करने में सक्षम होगी। यह उनकी यात्रा है, और मेरा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। मैं जो काम करता आया हूं उसे करता रहूंगा। मैं चुनाव में उनके लिए प्रचार नहीं करूंगा क्योंकि मैं चाहता हूं कि वह कड़ी मेहनत करें और अपना काम करें। जहां तक मेरा सवाल है, मैं हमेशा राजनीति या किसी भी राजनीतिक जुड़ाव से दूर रहूंगा।
Congress candidate Malvika Sood, sister of Sonu Sood, cast her vote in Moga | Latest on #PunjabElections2022 here: https://t.co/pcOOrn9AkS pic.twitter.com/VCNuuT5lk2
— Economic Times (@EconomicTimes) February 20, 2022
ऐसे में बहन के लिए प्रचार तक न करने की बात कहने वाले सोनू सूद का मतदान का केंद्र पर जाना किस बात की तस्दीक करता है? वहां जाना ही सीधा मतदाताओं को प्रभावित करने का मूल मकसद था जिसे सोनू सूद नहीं मानेंगे। ऐसे में पुलिस ने उन्हें बाइज़्ज़त उनके घर पहुंचाकर उनकी गाडी ज़ब्त करने के साथ ही यथोचित कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं, जिसे अब निस्संदेह कांग्रेस और उसके नेता, केंद्र सरकार द्वारा एक मसीहा पर अत्याचार के तौर पर पेश करेंगे।