“कांग्रेस में प्रेरणादायी नेतृत्व का अभाव है और पार्टी अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है,” ये बातें कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार के हैं जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है। देश को आजादी दिलाने का दावा करने वाली भारत की सबसे पुरानी पार्टी के लिए अश्विनी कुमार द्वारा पार्टी का दामन छोड़ना, कांग्रेस पार्टी के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
अभी पार्टी इस चुनौती से निपट पाती, उससे पहले ही कांग्रेस को दूसरा झटका मिल गया है| कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका तब लगा, जब पंजाब कांग्रेस के बड़े हिंदू चेहरे सुनील जाखड़ ने सक्रिय चुनावी राजनीति छोड़ने की बात कह दी। पार्टी के लिए यह झटका बड़ा इसलिए है क्यूंकि सुनील एक पुराने नेता हैं और सुनील जाखड़ पूर्व में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने पंजाब में कई दलबदल देखे हैं। इन दो प्रमुख नेताओं का अलग होना पंजाब में कांग्रेस को भारी पड़ने वाला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि डूबती कांग्रेस से नाखुश होकर आने वाले समय में दोनों नेता बीजेपी के पाले में आ सकते हैं।
आपको बता दें कि 15 फरवरी, 2022 को अश्विनी कुमार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। भारत के सबसे युवा अटॉर्नी जनरल, अश्विनी कुमार लगभग 46 वर्षों तक कांग्रेस से जुड़े रहे| एक समय केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ राजनेता रहे अश्विनी कुमार ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण बताते हुए सोनिया गांधी को एक पत्र भी लिखा है।
ये नांव डूबने के लिए तैयार है –
कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो दलबदल के चलते लगातार असफलताओं का सामना कर रही है। पंजाब कांग्रेस के प्रमुख चेहरों ने हाल ही में पार्टी का साथ छोड़ा है| फतेह सिंह बाजवा, बलविंदर सिंह, गुरतेज सिंह जैसे पुराने भाजपा नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है| यह भी सम्भावनाएं हैं की इन नेताओं ने भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ी है। अश्वनी कुमार जैसे नेता द्वारा दल बदलने से, और सुनील जाखड़ के रुष्ट व्यवहार से पंजाब में कांग्रेस की स्थिति दयनीय दयनीय हो गई है|
सुनील जाखड़ एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्हें पंजाब में हिंदू नेता होने के कारण कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने नजरअंदाज कर दिया था| भाजपा ने इस कदम की मुखर रूप से आलोचना की है। भाजपा ने यहां तक आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है और पार्टी आलाकमान द्वारा खास तबके की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है|
खैर इन बागी, रुष्ट और असंतुष्ट नेताओं को हताश होने की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि इनके पास भाजपा जैसा विकल्प मौजूद है| भारतीय जनता पार्टी राजनेताओं की मांगों को अच्छी तरह से पूरा करना जानती है। उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इसका जीता जागता उदाहरण हैं। आने वाले समय में पंजाब की जनता दोनों नेताओ, अश्विनी कुमार और सुनील जाखड़ को भाजपा की ओर रुख करते हुए देख सकते है।
इस्तीफे के बाद अपने साक्षात्कार में, कुमार ने कांग्रेस के आंतरिक आचरण के लिए निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पार्टी छोड़ने वालों में खामियां ढूंढ़ने के बजाय अंदर की ओर देखना चाहिए। यहां तक कि उन्होंने कांग्रेस को ‘तीन राज्यों की पार्टी’ भी कह दिया और यह सलाह दिया कि कांग्रेस जैसी छोटी पार्टी को अपनी क्षमता में भाजपा जैसी प्रमुख पार्टी को चुनौती नहीं देनी चाहिए, जिसकी पूरे भारत में उपस्थिति है।
उन्होंने पंजाब की अर्थव्यवस्था की बदहाली पर भी टिप्पणी की और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाहर निकलने को अपमानजनक बताया। कुमार ने भविष्यवाणी की है कि चरणजीत सिंह चन्नी के चेहरे पर दांव लगाने वाली कांग्रेस पंजाब राज्य में बुरी तरह विफल होने वाली है।
सुनील जाखड़: पंजाब में एक हिंदू नेता
‘सिख चेहरे’ को उम्मीदवार बनाने के लिए सुनील जाखड़ को कांग्रेस आलाकमान द्वारा दरकिनार कर दिया गया है| कांग्रेस के दिग्गज सुनील जाखड़ ने उस दिन सक्रिय चुनावी राजनीति छोड़ने की बात कही है, जिस दिन कांग्रेस ने पंजाब चुनावों के लिए चरणजीत सिंह चन्नी को अपना सीएम चेहरा घोषित किया था।
जिस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा, उस समय सुनील जाखड़ पंजाब में मुख्यमंत्री पद के मुख्य दावेदार थे लेकिन एक सिख उम्मीदवार का चयन करने के लिए पार्टी ने जाखड़ को मुख्यमंत्री पद से वंचित कर दिया और उनकी मांगों को अनसुना कर दिया।
जाखड़ ने उस फैसले पर अपना असंतोष भी दिखाया और जवाब दिया, “अंबिका सोनी ने कहा था कि एक हिंदू पंजाब का सीएम नहीं बन सकता। इस बयान पर बहुत दुख होता है। मैं चुनावी राजनीति छोड़ रहा हूं। जो नेता खुद को बड़ा कहते हैं उनके विचार बहुत छोटे होते हैं। अंबिका सोनी ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा था कि अगर कोई सिख पंजाब का मुख्यमंत्री नहीं बनेगा तो कहां बनेगा। जाखड़ ने पार्टी से यह भी पूछा कि, ”अगर भाजपा यही सोच रखे कि एक हिंदू देश का प्रधानमंत्री बनेगा तो कांग्रेस इसका क्या जवाब देगी?”
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दिसंबर 2021 में, पंजाब के कांग्रेस नेता, सुनील जाखड़ ने भविष्यवाणी की कि हमेशा की तरह कांग्रेस चुनाव में जाने से पहले अपने सीएम चेहरे की घोषणा नहीं करेगी। उन्होंने 2017 के चुनावों को अपवाद बताया क्योंकि उस समय कांग्रेस ने चुनाव से पहले अपने सीएम उम्मीदवार की घोषणा की थी।
नैतिकता के साथ रहे सुनील-
पार्टी में मौजूद चाटुकारिता को सार्वजनिक तौर पर बताते हुए सुनील जाखड़ ने कहा, ‘पंजाब में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जहां पीएम नरेंद्र मोदी के साथ एक बड़ी सुरक्षा चूक हुई। ऐसे समय में जब पूरा देश पीएम की सुरक्षा को लेकर चिंतित था, जिसकी जमीन पर यह हुआ, सीएम चन्नी प्रियंका गांधी वाड्रा को ब्रीफिंग कर रहे थे।
इस बार कांग्रेस नेताओं ने ही चन्नी को घेर लिया है| सुनील जाखड़ ने मोदी की सुरक्षा चूक के लिए सीएम चन्नी की आलोचना की। उन्होंने घटना को अस्वीकार्य बताया और स्वीकार किया कि भारत के प्रधान मंत्री के लिए एक सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जाना चाहिए था। अब दो कद्दावर नेताओं के गैरमौजूदगी में कांग्रेस कैसे चुनाव लड़ेगी यह देखने वाली बात होगी, कांग्रेस के लिए चिंता तब और बढ़ जाएगी जब ये नेता भाजपा का दामन थाम लेंगे|