“यह बजट मिडिल क्लास के लिए नहीं!”
“हम मिडिल क्लास का कोई मोल नहीं!”
“यह बजट मिडिल क्लास के साथ धोखा है!”
ऐसे नाना प्रकार के बयान आपने पिछले दिन से कई बार सुन लिए होंगे। देश का आम बजट आते ही भारत के कोने-कोने से स्वघोषित वित्तीय ‘विशेषज्ञ’ उमड़ पड़ते हैं, मानो इनसे ज्यादा देश के अर्थ की समझ किसी को हो ही नहीं सकती। क्या बुद्धिजीवी, क्या राजनेता, सभी लोग अपना उल्लू सीधा करने हेतु बजट पर लंबे चौड़े भाषण देने से बाज़ नहीं आते। फिर सोशल मीडिया पर वो लोग भी आते हैं, जिन्हें सदैव ये आपत्ति रहती है कि इस बजट में आम आदमी यानी मिडिल क्लास के लिए कुछ नहीं है।
लेकिन यह आपत्ति है किस बात की? और यह मध्यम वर्ग, उच्च वर्ग की परिभाषा आज के परिप्रेक्ष्य में क्या है? कहने को यह बजट ‘आम आदमी’ के लिए ‘नहीं है’, लेकिन अगर आप ध्यान से विश्लेषण करें, तो ऐसा कुछ भी नहीं है, जो आज के आम आदमी से संबंधित न हो। तो क्या ‘आम आदमी’ की ‘पारंपरिक’ परिभाषा में परिवर्तन आ चुका है? अब आप बताइए, स्टार्टअप क्या किसी क्लब, किसी रेसॉर्ट में उत्पन्न होता है? यह सपने मध्यम वर्ग में उत्पन्न होते हैं, जो केवल राशन पानी की लाइनों तक सीमित नहीं रहना चाहेंगे।
बजट का आधार भारत का आम आदमी ही है
‘गुरु’ फिल्म की भाषा में कहें, तो भारत के नागरिकों को भी ‘पहली दुनिया’ के नागरिक कहलाने का उतना ही अधिकार है, जितना कि अन्य समृद्ध देशों को है। अब भारत का ‘आम आदमी’ आर.के. लक्ष्मण का ‘Common Man’ नहीं रहा। अब भारत के ‘Common Man’ की अस्मिता उससे कहीं गुणा अधिक है, क्योंकि वह उद्यमिता के लिए लालायित है, वह निवेश के लिए उत्सुक है, वह केवल सस्ते ‘आय कर’ की ‘भीख’ से संतुष्ट नहीं रहना चाहता।
अब इस पर चर्चा तो बहुत लम्बी चलेगी, लेकिन बजट को लेकर वर्तमान की अनावश्यक आलोचना पर एक ट्विटर यूज़र समीर ने ट्वीट किया, “कुछ लोगों को 2050 की आय चाहिए, 1980 के खर्चे चाहिए, दुबई की टैक्स प्रणाली चाहिए, सिंगापुर की इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, पर ये नहीं देखेंगे कि इन सब के पीछे एक ऐसी सरकार है जिसने लगभग 75 सालों से हमें घोटाला मुक्त शासन दिया है, जहाँ जनता के धन का उपयोग उनके हित में हो रहा है।”
Some people want income of 2050, expenses of 1980,Tax regime of Dubai, Infra of Singapore but overlook the fact that this Govt has given an uprecedented 7.5 years of scam free governance where public money is being utilised for public & nation building for the 1st time since 1947
— Sameer (@BesuraTaansane) February 1, 2022
हो सकता है आप इनके विचारों से सहमत न हो, पर क्या आप इस बात से भी मुंह मोड़ सकते हैं कि उद्यमिता पर केवल अमीरों का एकाधिकार नहीं है? हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, सभी गांवों में भारतनेट के तहत आप्टिकल फाइबर नेट बिछाने का अनुबंध PPP के आधार पर दिया जाएगा। वहीं, आम आदमी के जरूरतों का ध्यान रखते हुए अब से डाकघरों में एटीएम की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इस साल के बजट में इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने पर भी जोर दिया गया है। ऐसे में, बजट का आधार भारत का आम आदमी ही है।
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बजट में मध्यम वर्ग के लिए है पर्याप्त अवसर
बता दें कि आम आदमी के लिए इस बजट में जरूरतमंद चीजों को सरकार ने सस्ता किया है। जैसे कपड़ा, चमड़े का सामान, मोबाइल, चार्जर,
खेती का सामान, जूते-चप्पल आदि। इतना ही नहीं, इस बजट में किसानों से लेकर नगरवासियों के लिए अनंत प्रावधान उपलब्ध है। आम आदमी की आकांक्षा अब काफी बदल चुकी है। वह पहले की तरह केवल ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ तक संतुष्ट नहीं रहना चाहता है। अब वह इससे आगे बढना चाहता है। आज समस्या भुखमरी और बेरोज़गारी की अधिक है। करोड़ों लोग सरकारी और निजी, दोनों प्रकार की नौकरियों के लिए आवेदन करते हैं। आवश्यक नहीं कि जीवन यापन के लिए सरकारी नौकरी ही नौकरी मानी जाए।
https://twitter.com/ImAnkitKunwar/status/1488782143669293057?cxt=HHwWgsDS1Zjem6kpAAAA
ऐसे में, मोदी सरकार अब केवल लोकलुभावन नीतियों तक सीमित नहीं रहना चाहती। वह वर्तमान आम आदमी को स्वावलंबी बनाना चाहती है, जो अपनी लड़ाई खुद लड़ सके। अंततः यह कहा जा सकता है कि वर्तमान बजट इसी दिशा में एक सार्थक प्रयास है, जिसमें मध्यम वर्ग के लिए भी पर्याप्त अवसर हैं।