आगरा के भाजपा सांसद एसपी सिंह बघेल से क्यों डर रहे हैं अखिलेश यादव?

चुनावों में Surprise element होना बहुत जरूरी है!

एसपी सिंह बघेल अखिलेश यादव

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केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ( S P Singh Baghel) आगामी उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं। यह सत्तारूढ़ दल का एक सामरिक निर्णय है, क्योंकि बघेल कभी सपा के पूर्व सदस्य और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के करीबी थे। वो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के हर चाल से पूर्णतः वाकिफ हैं। कानून और न्याय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल आगरा से मौजूदा सांसद भी हैं। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में वो राज्य के पूर्वी हिस्से के करहल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे, जहां से अखिलेश यादव भी अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

बीते दिन सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करने वाले अखिलेश यादव ने कहा, ”करहल से जो भी भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुना जाएगा वह हार जाएगा।” दरअसल, उनका यह बयान उनके डर को परिलक्षित करता है। हालांकि, एसपी सिंह बघेल इससे पहले भी अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़े थे और हार गए थे। परंतु, इसका मुख्य कारण अन्य पार्टियों द्वारा डिंपल यादव को ‘वॉक-ओवर’ देना था।

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मुलायम के करीबी रहे हैं बघेल

वहां, दूसरी ओर अखिलेश यादव के खिलाफ उनकी उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल ने कहा, उन्हें खुशी है कि पार्टी ने उन्हें अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए चुना है। दिलचस्प बात यह है कि एसपी सिंह बघेल को आखिरी समय में अखिलेश यादव के खिलाफ भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था, जब वह अपने दस्तावेज जमा करने के लिए चुनाव आयोग के कार्यालय गए थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “चुनावों में Surprise element होना बहुत जरूरी है।” अपने अभियान के बारे में बात करते हुए, बघेल ने कहा कि उनके अभियान के मुख्य बिंदु राष्ट्रवाद और विकास होंगे। उन्होंने कहा, “भाजपा ने देश के बारे में सोचा और अनुच्छेद 370 को हटाया।”

ध्यान देने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश पुलिस में पूर्व पुलिस अधिकारी रहे बघेल मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा टीम में थे। यह मुलायम ही थे, जिन्होंने वर्ष 1989 में बघेल को अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। वो उस वर्ष और आगामी चुनाव में भी हार गए। पर, बघेल वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में पहली बार सांसद चुने गए थे। जैसे ही मुलायम के साथ उनके राजनीतिक समीकरण बदले, बघेल पहले मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और फिर भाजपा में शामिल हो गए। वर्ष 2019 में उन्होंने आगरा से लोकसभा चुनाव जीता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल कैबिनेट सुधार के दौरान उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया।

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मैनपुरी में काफी मजबूत है भाजपा

आपको  बता दें कि भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने बीते शुक्रवार को कहा था कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अगर करहल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं, तो उन्हें भारी अंतर से हार का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, अब अखिलेश यादव ने इस सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीं, न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए मैनपुरी से भाजपा के राज्यसभा सांसद ने कहा, अखिलेश घबराए और डरे हुए हैं।”

गौरतलब है कि अब मैनपुरी जिले के हालात पहले जैसे नहीं रहे। मैनपुरी जिले में भाजपा जमीनी स्तर पर काफी मजबूत है। एक संगठन के रूप में भाजपा का मतदाता आधार बहुत बड़ा है और वह बहुत मजबूत है। ऊपर से एसपी सिंह बघेल की जाति को लेकर विवाद हो गया है। एक मतदाता ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि एसपी सिंह बघेल ने अपनी जाति छिपाई है। वह नवंबर 2016 तक ओबीसी नेता थे और भाजपा ने उन्हें ओबीसी मोर्चा का मुखिया बनाया था। जबकि वर्ष 2017 में उन्होंने आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा था। कास्ट सर्टिफिकेट ने उन्हें धनगर के रूप में दिखाया, जो एक एससी जाति है। जबकि उनके बड़े भाई बृजलाल सिंह ओबीसी के अंतर्गत आने वाले गडेरिया जाति के हैं।

आसान नहीं है अखिलेश की राह

दरअसल, भाजपा ने एक केंद्रीय मंत्री को करहल विधानसभा सीट से चुनाव में उतारकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि अखिलेश यादव को वॉकओवर नहीं मिलने वाला है। भाजपा दिखाना चाहती है कि वे गंभीर उम्मीदवार को उनके खिलाफ उतार रहे हैं। हालांकि, करहल का वोटिंग पैटर्न अलग है। इस इलाके में यादवों का दबदबा है। करहल विधानसभा क्षेत्र में यादवों की संख्या करीब 1.4 लाख है। लेकिन भाजपा ने यह फैसला गैर-यादव ओबीसी जाति को दलित और पार्टी के मूल वोट बैंक के साथ एकजुट करने का संदेश देने के लिए ही लिया है। भाजपा यह दिखाना चाहती है कि उन्होंने सपा प्रमुख को चुनौती देने के लिए एक केंद्रीय मंत्री को उतारा है। इस समीकरण को देखते हुए अखिलेश की राह कठिन मानी जा रही है।

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