भाजपा के 3 नायक जिन्होंने योगी आदित्यनाथ की सत्ता में वापसी सुनिश्चित की

योगी की प्रचंड जीत के पीछे इनका रहा सबसे ज्यादा योगदान!

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पुनः भाजपा की वापसी ने यह प्रदर्शित कर दिया है कि संगठन की शक्ति बहुत बड़ी चीज़ है। भाजपा के पास संगठनात्मक रूप से मजबूत ढांचा उसके मजबूत स्तंभों में से एक है। ऐसा नहीं है कि भाजपा में अंतर्कलह नहीं है, बात इतनी सी है कि परिवार की बात जब तक परिवार में रहती है वो सुलझ सकती है, कलह जगजाहिर होते ही परिवार में बिखराव सुनिश्चित हो जाता है। यही भाजपा का प्लस पॉइंट है, जो उसकी कलह परिवार के सदस्यों अर्थात् भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी सुलझा देते हैं। इस चुनाव में भी कई ऐसे प्रमुख मुद्दे थे, जिससे भाजपा नेता और कार्यकर्ता नाराज़ थे। ऐसे में भाजपा उत्तर प्रदेश के लिए संकटमोचक बनकर तीन प्रमुख नेताओं ने उसकी नैया पार करने में अहम भूमिका निभाई। यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर देश में भाजपा की बेजोड़ लोकप्रियता साबित कर दी है। लेकिन कौन है इस जीत का हीरो? सबसे बड़े नायक निस्संदेह खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। वो उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के बाहर भी भाजपा के स्टार प्रचारक हैं। हालांकि, तीन अन्य नेता हैं जिन्होंने भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए संगठनात्मक स्तर पर काम किया। उनके नाम हैं- अनुराग ठाकुर, धर्मेन्द्र प्रधान और सुनील बंसल।

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यूपी भाजपा के चाणक्य सुनील बंसल

‘यूपी भाजपा के चाणक्य’ के रूप में ख्याति पा चुके सुनील बंसल ने राज्य में बार-बार भाजपा को बड़ी जीत दिलाने में मदद कर अपनी क्षमता साबित कर दी है। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान ही अपने नेतृत्व कौशल और संगठनात्मक क्षमताओं को साबित कर दिया था, जब पार्टी ने यूपी की 80 में से 71 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, उन्होंने तब भी आराम नहीं किया और 2014 की जीत के बाद ही यूपी में भाजपा सरकार की तैयारी शुरू कर दी, जिसे कई लोगों ने लगभग अकल्पनीय माना था।

भाजपा के उत्तर प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल हर निर्णय लेने की प्रक्रिया के केंद्र में बने रहे हैं और भाजपा में RSS के बीच मध्यस्त के रूप में कार्य करते हैं। टिकट वितरण से लेकर कार्यों के आवंटन तक, हर निर्णय को अंतिम रूप देने से पहले सुनील बंसल से सलाह ली जाती थी और ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी के लिए इसी कड़ी ने अद्भुत काम किया है। उन्होंने RSS कैडर और भाजपा के बीच घनिष्ठ समन्वय सुनिश्चित किया है। साथ ही उन्होंने असंतुष्टों या पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति पर कड़ी नजर रखी। असंतुष्टों के करीबी माने जाने वाले नेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य सौंपे गए कि उम्मीदवारों को ज्यादा नुकसान न हो।

धर्मेंद्र प्रधान का नेतृत्व

वहीं, दूसरी ओर धर्मेंद्र प्रधान केंद्र में एक प्रभावशाली नेता होने के साथ ही देश के शिक्षा मंत्री भी हैं। उन्होंने भाजपा के यूपी चुनाव प्रभारी के रूप में कार्य किया और राज्य में चुनाव के अंतिम दिन तक डेरा डाला और वहां से हिले नहीं। कहा जाता है कि उन्होंने राष्ट्रीय नेतृत्व और राज्य नेतृत्व के बीच एक सेतु का काम किया, जिससे राज्य में रणनीति को सुचारू रूप से लागू करने में मदद मिली। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पार्टी ब्राह्मणों जैसे समुदायों तक पहुंचे, जिनके बारे में अफवाह थी कि वे चुनाव से पहले पार्टी से नाराज थे। खबरों की मानें तो उन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव के विभिन्न चरणों में क्षेत्रीय विकास पर भी नजर रखी।

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ठाकुर की बेहतरीन रणनीति

अनुराग ठाकुर ने उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए पार्टी के सह-प्रभारी के रूप में कार्य किया। उन्होंने ही यह सुनिश्चित किया कि भाजपा अपने विरोधियों पर निशाना साधती रहे और विपक्ष के खिलाफ पार्टी मुखरता से सामने आए। उन्हें भाजपा के खिलाफ बुने जा रहे आख्यानों का मुकाबला करने के लिए एक सफल मीडिया योजना और रणनीति तैयार करने का श्रेय दिया जाता है। आधुनिक समय के चुनावों में सोशल मीडिया की बढ़ी हुई क्षमता को महसूस करते हुए उन्होंने विभिन्न प्लेटफार्मों पर पार्टी के सोशल मीडिया अभियान पर भी नजर रखी।

ध्यान देने वाली बात है कि अनुराग ठाकुर एक तेजतर्रार प्रचारक भी हैं। उत्तर प्रदेश राज्य में उतरते ही वो अभियान मोड में चले गए। बाद में, उन्होंने एक सुलहकर्ता की भूमिका भी निभाई और भाजपा की विभिन्न इकाइयों और समूहों के बीच उभरे किसी भी मतभेद को दूर करने में सक्रिय रहे। इसलिए इन तीनों नेताओं ने सुनिश्चित किया कि भाजपा पूरी तैयारी के साथ चुनाव में उतरे और अंतिम समय में किसी भी तरह की हिचकिचाहट से बचा जाए। ये नेता उत्तर प्रदेश में भाजपा की शानदार जीत के पीछे नायक हैं। संगठन के इसी कौशल की वजह से आज भाजपा चुनाव जीतने की मशीनरी बन चुकी है।

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