आएंगे तो योगी ही, अरे नहीं नहीं TFI नहीं लगा रहा है यह नारा, ये तो सात चरण के चुनाव संपन्न होने के बाद के एग्जिट पोल प्रत्यक्ष रूप से दर्शा रहे हैं। ऐसे में भाजपा के नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार दूसरी बार आने का मतलब है राज्य में तीन ‘M’ का विदाई समारोह तय होना। यह तीन ‘M’ हैं मुनव्वर राना, मुल्ला और माफिया,जिनके मुंह से योगी सरकार के प्रति इतने पुष्पों की वर्षा की गई कि वो स्वयं लज्जा के मारे फूले नहीं समां पाए। खैर, यह बात मज़ाक में कही जा रही है पर राज्य से विदाई सुनिश्चित करने वाली बात को मज़ाक में लेना अर्थात खुद को बेवकूफ बनाना।
तीन ‘M’ के गठजोड़ को कर लेनी चाहिए अपनी व्यवस्था
दरअसल, इस तीन ‘M’ के गठजोड़ को उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की पुनः वापसी के बाद राज्य की सीमा तत्काल छोड़नी ही पड़ेगी क्योंकि योगी बाबा का राज उन्हें न कभी रास आया है न ही कभी आएगा। यही वजह है कि योगी के आने पर उत्तर प्रदेश छोड़ देने की घोषणा कर देने वाले शायर मुनव्वर राना का अपना बोरिया-बिस्तर समेट यूपी से रवाना होने का समय आ गया है। उत्तर प्रदेश समेत अन्य पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आगामी 10 मार्च को आने वाले हैं। यह रण इस लिहाज से उत्तर प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि योगी सरकार के कामकाज से नाखुश विपक्षी पार्टियों के अलावा एकआधा वर्ग वो और हैं जिन्हें बस विरोध करने के लिए ही योगी का विरोध करना होता है। भगवा गमछे से ऐसी खुन्नस की योगी के आने पर राज्य छोड़कर चला जाऊंगा ऐसा कहने वाले मुनव्वर राना बहुत मुखरता से योगी आदित्यनाथ का विरोध करते आए हैं।
राना कर चुके हैं यूपी छोड़ने की बात
ज्ञात हो कि मुनव्वर राना ने चुनाव पूर्व और चुनाव के दरमियान कहा था कि “यदि योगी आदित्यनाथ दोबारा से सीएम बनते हैं तो वो यूपी छोड़ देंगे। यूपी में योगी सरकार के दौर में माहौल काफी खराब है। अगर दोबारा से योगी मुख्यमंत्री बनते हैं तो वो दिल्ली-कोलकाता चले जाएंगे।” ऐसे खौफ और कैफियत में रहने वाले मुनव्वर राना की हालत ऐसी हो गई है कि “आएंगे तो योगी ही” सुन-सुनकर उनकी मकां-दुकां वाली शैली पर ताले तो जड़े ही, योगी के प्रति उनकी कुंठित सोच का भी पर्दा सबके समक्ष उठ गया।
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यह केवल मुनव्वर राना जैसे कट्टरपंथी लोगों की बात नहीं है, योगी आदित्यनाथ को नासूर मानने वालों की एक लंबी श्रृंखला है। तीन ‘M’ की कड़ी में पहले ‘M’ मुनव्वर राना के बाद अगला ‘M’ उन मुल्ला-मौलवियों को परिभाषित करता है जो नए नए मुल्ला बने होते हैं,जिन्हें दिन की 5 नमाज़ पढ़ने का चस्का सिर्फ शुरुआती दिनों में चढ़ता है। ऐसे ही कुछ मुल्ला घर बैठे योगी आदित्यनाथ की अंतिम तिथि की दुआएं पढ़ते रहते हैं। एक निजी कट्टरपंथ का सेंटर चलाने वाले ऐसे मुल्ला बस इस बात की रट लगाए रखते हैं कि कोई भी आ जाए पर ये योगी और उसकी सरकार न आए। ऐसे में इन तत्वों के जले पर नमक छिड़क रहा यह एग्जिट पोल उनकी दुखियारी परिस्थिति का जमकर मज़ाक उड़ा रहा है।
माफिया वर्ग के नसीब में बस चारदीवारी
आगे बढ़ते हैं तीसरे ‘M’ की ओर तो ये तीसरा ‘M’ है “माफिया”। यह सर्वविदित है कि योगी सरकार के एक्शन मोड में आते ही उत्तर प्रदेश के कई नामी गुंडे-माफिया से परिवर्तित हो नेता बने माफियाओं की ऐसी आफत आई कि जेल के अतिरिक्त और कोई चारदीवारी उन्हें देखने को नसीब नहीं हुई।
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और तो और ऐसे माफियाओं की संपत्ति कुर्क होने का आनंद जनता ने पेट भरकर लिया। सरकार के बुलडोज़र ब्रिगेड और औचक निर्णय वाली इच्छाशक्ति से सभी माफिया-गुंडों की रोटियां जला डालीं। जले-भुने गुंडा कम नेता वर्ग में कुख्यात मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे महातेजस्वी गुंडाराज के परिचायक शामिल हैं जिनकी हालत योगी सरकार में बद से बदतर हुई।
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यही कारण है कि इन सभी के मन में इतनी ही आस थी कि “आएंगे तो योगी ही” एक नारे तक ही सिमट जाए और बाकी उनकी चांदी हो जाए, जो अब बहुत ही कठिन और नामुमकिन जान पड़ता है क्योंकि एग्जिट पोल के अनुसार इन तीनों ‘M’ श्रेणी वालों की मनोकामना पर पानी फिर गया। ऐसे में मुनव्वर-मुल्ला और माफिया इन तीनों के लिए अंतिम लक्ष्य उत्तर प्रदेश छोड़ देना ही होना चाहिए क्योंकि डबल इंजन की योगी सरकार की वापसी का मतलब इन तीनों ‘M’ के लिए- “सुख भरे दिन बीते रे भैया अब दुःख आयो रे” है।