‘बैक्वार्ड लोग मूर्तिपूजा करते हैं’, Vision IAS का ताजातरीन हिंदू-विरोधी बयान

हिंदूफोबिया से ग्रस्त है Vision IAS !

Vision IAS

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यदि आप पढ़े लिखे हैं तो निश्चित रूप से आपको न मंदिर से लेना देना होना चाहिए और न ही भगवान की मूर्तियों के प्रति आस्था से, यह मानना है हिंदूफोबिया से ग्रस्त उसी Vision IAS के एक अन्य कथित अध्यापक का। पिछले कुछ दिनों से चर्चा में आ चुके Vision IAS की अब आये दिन कोई न कोई क्लिप सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल हो रही है, क्योंकि अधिकांश वीडियो क्लिप में ऐसे ही पढ़ाने वाले दकियानूसी शिक्षक हिन्दू धर्म के प्रति जहर उगलते दिख रहे हैं। अबकी बार इस संस्थान के तथाकथित IAS परीक्षा की तैयारी कराने वाले अध्यापक हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्ति निर्माण और उनकी पूजा को नाजायज़ ठहरा रहे हैं। छात्रों को बता रहे हैं कि यदि आपको इन सब से फर्क नहीं पड़ता है, तो वास्तव में आप एक पढ़े-लिखे संभ्रांत तबके का नेतृत्व कर रहे हैं।

यह सर्वविदित है कि अब भारत में एक ऐसा वर्ग विद्यमान है, जिसे भगवान हैं यह मानने में तो परहेज है ही पर अब उस भगवान की आलोचना करने से भी यह शैतान बाज नहीं आ रहे हैं। ये सब अब वैसे शिक्षण संस्थाओं में खुलेआम हो रहा है, जहां से भारत की अफसरशाही की नींव रखी जाती है। सिविल सेवा परीक्षा के लिए भारत के अग्रणी कोचिंग संस्थानों में से एक विजन आईएएस के कई वीडियो हाल ही के दिनों में इतने वायरल हुए हैं कि सबके सामने उसके हिन्दू विरोधी एजेंडे की पोल खुलने के साथ ही उसकी सामाजिक रूप से दर्ज़ स्वीकार्यता भी लगभग समाप्त हो गई है। कभी Vision IAS की एक फैकल्टी कथित तौर पर “इस्लामिक प्रोपेगैंडे” को फैलाते हुए दिखती है, तो कभी उसके फैकल्टी हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्ति पूजा और स्थापना को गैर-ज़रूरी बताकर उसका पालन करने वालों को ELITE CLASS का मानते हैं।

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आखिर कब होगी इन पर कार्रवाई?

हाल ही में जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें छात्रों की क्लास के दौरान शिक्षक यह पूछता दिखाई देता है कि “यूपी से हो तुम? क्या आप उत्तर प्रदेश में किसी एक भगवान विशेष की मूर्ति निर्माण को सही मानते हैं।” छात्रों का जवाब आया नहीं, तो कुंठित मानसिकता से पनपे शिक्षक ने स्वयं ही जवाब देना शुरू कर दिया, “आप नहीं करते हैं, क्योंकि आप एक अच्छी तरह से जागरूक हैं, अच्छी तरह से पढ़े-लिखे जिम्मेदार समाज का हिस्सा हैं।” चित भी मेरी पट भी मेरी, इस शिक्षक की विकृत सोच इसी कहावत से सरोकार रखती है कि “न खाता न बही, जो मैं कहूं वही सही!” आगे महाशय कहते हैं कि आप पढ़े लिखे लोग हैं, आप मूर्ति निर्माण का विरोध ही करेंगे। फिर वही घिसी-पिटी रिकॉर्डिंग के साथ उस शिक्षक ने विषय को ऐसे मंदिर और मूर्ति से लेते हुए अस्पताल की हालत पर जाकर रोका, ताकि कैसे भी करके उसके एजेंडे की पूर्ति और असहमत छात्र भी उसकी जीहुजूरी करें।

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हिन्दूफ़ोबिया से ग्रस्त है Vision IAS

ध्यान देने वाली बात है कि इस फैकल्टी के हर एक वाक्य में हिन्दू धर्म के प्रति कड़वाहट तो है ही, परंतु यह Vision IAS संस्था की जवाबदेही थी, जिसकी पूर्ति उनमें से किसी ने भी नहीं की। IAS बनने की पढ़ाई के बीच कैसे हिन्दूफ़ोबिया को घुसाकर उसके विरुद्ध फसल तैयार की जाए, इसका रास्ता Vision IAS के ऐसे फैकल्टी भलि-भांति जानते हैं। ऐसे में अब सोशल मीडिया के इस युग में Vision IAS के सभी मंसूबों पर पानी की झमाझम बरसात ही हो गई है। जनता को समझ आ गया है कि कैसे शिक्षण संस्थान की आड़ में विषैली ताकतें अपने एजेंडे को पोषित कर रही है। अब समय आ गया है कि ऐसे तत्वों पर शीघ्र-अतिशीघ्र कार्रवाई हो और संलिप्त संस्थानों पर भी ताला जड़ा जाए, क्योंकि ऐसे बार-बार ढिलाई देते हुए इन सभी को छोड़ देना बहुत बड़ी बेवकूफ़ी तो होगी ही, साथ ही इन सभी विषैली ताकतों को प्रोत्साहन भी मिलेगा। सौ बात की एक बात यह है कि Vision IAS को संरक्षण देने और उनके अनर्गल ज्ञान को पोषित करना संस्थान के हिंदूफोबिया को न केवल उजागर करता है, बल्कि उसके ध्येय को भी सिद्ध करता है।

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