चीन के BRI का भारत का जवाब है BBIN कॉरिडोर

चीन डाल-डाल चल रहा है तो भारत पात-पात चल रहा है!

बीबीआईएन कॉरिडोर Map

source- TFIPOST

चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर राज करने की कोशिश कर रहा है। इस परियोजना के तहत उसने पाक में भी निवेश किया है और ग्वादर पोर्ट का विकास कर रहा है। इस परियोजना के तहत चीन सड़कों का जाल बिछाकर भारत को घेरने की योजना बना रहा है और भारत के शत्रु राष्ट्रों को सड़क मार्ग से एक दूसरे से जोड़ रहा है। चीन बीआरआई निवेश के साथ इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व जमाकर दक्षिण एशिया और हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को छीनने की कोशिश कर रहा है लेकिन, अब भारत को चीन के BRI का जवाब मिल गया है। मंगलवार को भारत, बांग्लादेश और नेपाल एक अहम मुकाम पर पहुंच गए। तीनों देशों ने बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (बीबीआईएन) मोटर वाहन समझौते (MVA) के कार्यान्वयन के लिए एक सक्षम समझौता ज्ञापन (MoU) को आखिरकार अंतिम रूप दे दिया।

बीबीआईएन कनेक्टिविटी पहल की व्याख्या

बीबीआईएन अर्थात बांग्लादेश, भूटान, इंडिया और नेपाल के बीच मोटर वाहन समझौता (MVA) 2015 में सामने आया था पर, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) एक क्षेत्रीय मोटर वाहन समझौते पर सहमत होने में विफल रहा क्योंकि इसमें पाक और चीन ने अड़ंगा लगा दिया।

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चार दक्षिण एशियाई देशों के बीच कार्गो, व्यक्तियों और व्यक्तिगत वाहनों की अप्रतिबंधित आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से 2015 में बीबीआईएन देशों द्वारा एमवीए पर हस्ताक्षर किए गए थे।

MVA के पीछे का विचार इस क्षेत्र में माल और व्यक्तियों की आवाजाही को लेकर सीमा पार प्रतिबंध को समाप्त करना है। ऐसा माना जाता है कि व्यापार और पारगमन माल ले जाने वाले वाहनों को सीमा पार पर स्थानीय ट्रकों के लिए ट्रांस-शिपमेंट के बिना चार देशों के अंदर स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने की अनुमति मिलती है।

पूर्ण व्यापार क्षमता का एहसास करने के लिए भारत द्वारा बीबीआईएन की पहल की गयी थी। 7-8 मार्च को दिल्ली में आयोजित एक बैठक के दौरान एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। भूटान, जिसने 2017 में अस्थायी रूप से एमवीए से बाहर कर दिया था, ने बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया। वैसे भूटान के इसमें शामिल होने की पूर्ण संभावना है लेकिन तात्कालिक रूप से भूटान के संसद ने इसकी अनुमति नहीं दी है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भूटान द्वारा एमवीए के लंबित अनुसमर्थन वाले समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया गया था।

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वर्तमान में, कमजोर परिवहन एकीकरण क्षेत्र में सीमा पार करने को अंतर-क्षेत्रीय व्यापार में एक बड़ी बाधा बनाता है। उदाहरण के लिए, पेट्रापोल-बेनापोल में भारत-बांग्लादेश सीमा को पार करने में कई दिन लगते हैं। दूसरी ओर, दुनिया के अन्य हिस्सों में समान मात्रा में कार्गो को संभालने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार करने का समय छह घंटे से भी कम है।

दुनिया भर के अधिकांश क्षेत्र अंतर-क्षेत्रीय व्यापार में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पिछले साल वर्ल्ड बैंक इंडिया के हेड जुनैद अहमद ने कहा था कि पूर्वी एशिया में 50 फीसदी व्यापार पड़ोसियों के बीच होता है। अफ्रीका में, 22 प्रतिशत से अधिक व्यापार पड़ोसियों के बीच होता है। यूरोपियन यूनियन के देशों के बीच तो सीमा परिवहन लगभग नगण्य है जिससे इन देशों को व्यापार में काफी आसानी होती है।

अहमद ने कहा- “दुनिया के इस हिस्से में, हमारे पास संख्याएं हैं जो उन क्षमता से काफी नीचे हैं। हमें क्षेत्रीय विकास को एक बड़ा धक्का देने के लिए परिवहन के निर्बाध क्षमता को हासिल करने की जरूरत है और यहीं पर बीबीआईएन एमवीए की पहल काफी प्रासंगिक हो जाती है।

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बेल्ट एंड रोड पहल का मुकाबला

भारत के लिए, बीबीआईएन एमवीए को लागू करना चीन के बीआरआई का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है।

चीन दक्षिण एशिया में भारत के पड़ोस में अपने बीआरआई पदचिह्न का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, नेपाल और बांग्लादेश दोनों क्रमश: 2017 और 2016 में बीआरआई में शामिल हुए थे। चीन ने दोनों देशों में बंदरगाहों, आर्थिक गलियारों और विश्वविद्यालयों के निर्माण पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं। बीजिंग दोनों देशों को कर्ज के जाल में फंसाना चाहता है और भारत को उसके ही पिछवाड़े में चीन को चुनौती दे इन देशों को मुक्ति देना चाहता है।

यही कारण है कि बीबीआईएन कॉरिडोर भारत के लिए महत्वपूर्ण है। फिलहाल नेपाल और बांग्लादेश दोनों ही चीन के मोर्चे पर सावधान रहने की कोशिश कर रहे हैं। ढाका हमेशा सावधानी से चल रहा था और पिछले साल नेपाल में सत्ता में आई शेर बहादुर देउबा सरकार भी बीजिंग पर निर्भरता कम करने के लिए उत्सुक है।

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बीबीआईएन सभी चारो देशों के लिए एक विकल्प के रूप में काम कर सकता है। भारत और बांग्लादेश के बीच निर्बाध परिवहन संपर्क से बांग्लादेश की राष्ट्रीय आय में 17 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि भारत को अपनी राष्ट्रीय आय में 8 प्रतिशत की वृद्धि करने में भी मदद मिलेगी। इस तरह की किसी पहल से नेपाल को भी फायदा होगा। नेपाल के कुल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 64 प्रतिशत है। भारत और नेपाल के बीच माल और व्यक्तियों की आसान आवाजाही से व्यापार में वृद्धि होगी और हिमालयी देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी।

इसके अलावा, नेपाल अपने निर्यात और आयात को बड़े पैमाने पर दुनिया तक पहुंचाने के लिए भारतीय बंदरगाहों का उपयोग करता है। इसलिए भारत और नेपाल के बीच माल की त्वरित आवाजाही काठमांडू को अपने समग्र व्यापार संख्या में भी सुधार करने की अनुमति दे सकती है।

यदि इस क्षेत्र के देश एक साधारण समझौते पर हस्ताक्षर करके अधिक कमा सकते हैं, तो उन्हें चीनी निवेश का चारा नहीं लेना पड़ेगा। भारत इस क्षेत्र में आने वाली नई सड़क और रेल परियोजनाओं के साथ बीबीआईएन कॉरिडोर को और पूरक बना सकता है।

ऊपर से हमने देखा की पाक में बीआरआई का चीनी निवेश बलोचिस्तानियों ने फ़ेल कर दिया है और पाक चीन के कर जाल में भी फंस चुका है। परंतु, भारत ने दिखाया है कि बीआरआई से कैसे निपटना है और बीबीआईएन बीआरआई के लिए नई दिल्ली के उत्तर के रूप में उभरा है।

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