चंडीगढ़ के लिए केंद्र की योजना, पंजाब सरकार को परेशान कर रही है!

केंद्र के एक फैसले से पंजाब सरकार जलभुन गई है!

अमित शाह चंडीगढ़

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को घोषणा की कि चंडीगढ़ प्रशासन के तहत कार्य करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सिविल सेवा नियम लागू किए जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चंडीगढ़ पुलिस आवासीय परिसर के पहले चरण का उद्घाटन करने और तीसरे चरण की आधारशिला रखने चंडीगढ़ गए हुए थे। यहाँ उन्होंने घोषणा करते हुए कहा “आज, मैं यह भी घोषणा करता हूं कि चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की सेवा शर्तें अब केंद्रीय सिविल सेवा के अनुरूप होंगी।  इससे कर्मचारियों को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।” उन्होंने कहा पुलिस कर्मियों को अभिप्रेरित रखने के लिए उच्च आवास संतुष्टि अनुपात (High Housing Satisfaction Ratio) महत्वपूर्ण है, और इस दिशा में चड़ीगढ़ को आगे बढ़ते हुए देखकर मुझे खुशी हो रही है।”

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अब तक, केंद्र शासित प्रदेश चंड़ीगढ़ के कर्मचारी पंजाब सिविल सेवा नियमों के अंतर्गत आते थे। इस घोषणा से न केवल सभी कर्मचारियों को केंद्रीय सेवा नियमों के तहत वेतनमान मिलेगा बल्कि इससे सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी जाएगी। साथ ही नए नियमों के मुताबिक अब सभी महिला कर्मचारियों को एक साल के बजाय दो साल का चाइल्ड केयर लीव मिलेगा। शिक्षा विभाग में सेवानिवृत्त की आयु केंद्रीय कर्मचारियों के समान 65 वर्ष हो जाएगी। शाह ने कहा “यह मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी और यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है। इसकी अधिसूचना सोमवार को आएगी।”

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सुधार लागू होने के बाद अब चंड़ीगढ़ के सरकारी कर्मचारी केंद्र सरकार के नियमों के अंतर्गत आ गए हैं। इसके पूर्व ये कर्मचारी पंजाब के नियमों के अनुसार कार्य करते थे। हालांकि इस सुधार पर भी सियासत शुरू हो गई है। पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनके अनुसार यह चंड़ीगढ़ पर केंद्रीय नियंत्रण की चाल है। इस निर्णय को पंजाबियत से जोड़कर प्रचारित किया जा रहा है।

चंड़ीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा में लम्बे समय तक विवाद रहा है। 1966 में लागू हुए पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत चंड़ीगढ़ पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी बन गया था। किन्तु दो राज्यों की राजधानी होने के कारण इसे केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। यहाँ विधानसभा चुनाव नहीं होते और इस शहर को सीधे केंद्र नियंत्रित करता है। अब कर्मचारियों पर केंद्र के नियम लागू होने से चंडीगढ़ की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, केवल कर्मचारियों की सुविधाएं बढ़ गई हैं। हालांकि यह मुद्दा पंजाब के लिए भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण है और कांग्रेस, अकाली दल, आम आदमी पार्टी भावनाओं को भड़काने का काम कर रही हैं।

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अकाली नेता दलजीत चीमा ने फैसले की आलोचना की और ट्वीट किया, “चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र सरकार के नियम लागू करने का गृह मंत्रालय का निर्णय पंजाब रीग अधिनियम (1966) की भावना का उल्लंघन है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इसका अर्थ है पंजाब को हमेशा के लिए राजधानी के अधिकार से वंचित करना।…”

कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने इसे तानाशाही भरा निर्णय बताया है और इसे पंजाब के अधिकारों का अतिक्रमण बताया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट किया “केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन में अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से लगा रही है।  यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अक्षर और भावना के खिलाफ जाता है। पंजाब चंडीगढ़ पर अपने सही दावे के लिए मजबूती से लड़ेगा …”

स्पष्ट है कि एक साधारण सुधार को अनावश्यक भावना से जोड़ा जा रहा है, यह न केवल अनैतिक है बल्कि खतरनाक भी है। पंजाब केवल पंजाबियों का है, यह विचार खालिस्तान से प्रभावित है। एक मुख्यमंत्री द्वारा ऐसा गैरजिम्मेदाराना बयान देना उचित नहीं। यह बयान संघीय ढांचे की अवधारणा का विरोधी है। केंद्र के सुधार स्वागतयोग्य हैं जिनसे चंड़ीगढ़ के कर्मचारियों का ही भला होगा।

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