दैनिक भास्कर ने कांग्रेस की छत्रछाया में छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को जम कर लूटा है!

कांग्रेस की मंडली के झूठ का हुआ पर्दाफाश!

NCAST छत्तीसगढ़

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छत्तीसगढ़ चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी आदिवासियों के अधिकारों की बात जोर शोर से उठा रही थी, लेकिन सरकार बनने के बाद अनैतिक तरीकों से आदिवासियों की जमीन हथियाई जा रही है। आदिवासी जनजातियों के राष्ट्रीय आयोग द्वारा इस मामले का संज्ञान लिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, “राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCAST) ने छत्तीसगढ़ के राजस्व सचिव नीलम नामदेव एक्का के खिलाफ जांजगीर-चांपा जिले में एक कंपनी द्वारा जमीन हड़पने के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।”

दरअसल, दैनिक भास्कर (DB) समूह के डीबी पावर लिमिटेड ने कथित तौर पर छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के किसानों को बिजली संयंत्र स्थापित करने की आड़ में धोखा दिया। रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि फर्म ने कथित तौर पर एक स्थानीय एजेंट को नियुक्त किया, जिसने आदिवासियों से जमीन खरीदी और फिर उसे एक कंपनी को बेच दिया। इस मामले में NCAST ने 11 मार्च को छत्तीसगढ़ राज्य विकास निगम के प्रबंध निदेशक अरुण प्रसाद और राजस्व सचिव को समन जारी कर मामले में 24 मार्च को पेश होने को कहा था। उसके बाद अरुण प्रसाद पैनल के सामने पेश हुए और अपना पक्ष रखा। हालांकि, नीलम नामदेव एक्का आयोग के सामने उपस्थित नहीं हुए, जिसके बाद उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।

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दैनिक भास्कर ने आदिवासियों को बरगलाया!

संविधान के अनुच्छेद 338 A के अनुसार NCAST को दीवानी न्यायालय के समान अधिकार प्राप्त हैं, आयोग के आदेश की अवहेलना होने पर आयोग को गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार प्राप्त है। इसके पूर्व जुलाई 2021 में आयकर विभाग ने वित्तीय हेराफेरी के आरोपों के चलते दैनिक भास्कर के परिसरों में छापेमारी की थी। इस छापेमारी के बाद यह पता चला था कि पिछले 7 वर्षों में दैनिक भास्कर ने आयकर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 700 करोड़ रुपए की कर चोरी की है। इसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी छत्तीसगढ़ के दैनिक भास्कर समूह पर लगे आरोपों की जांच शुरू की थी। मार्च महीने की शुरुआत में आयोग को दैनिक भास्कर समूह मीडिया संस्थान द्वारा आदिवासी भूमि की अवैध खरीद-बिक्री की शिकायत मिली है। जांच के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारियों को समन भेजा गया था।

क्या लूट में है सभी की हिस्सेदारी?

प्रायः अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय आयोग के समन को सम्मान नहीं दिया जाता। मीडिया, नेताओं और अधिकारियों के नेक्सस को अपने बल पर अत्यधिक विश्वास होता है। भास्कर और छत्तीसगढ़ प्रशासन को भी यही लगा था कि आदिवासियों की जमीन हथियाने का मामला दब जाएगा। राज्य में सरकार भी कांग्रेस की थी, अतः इस मामले के बढ़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता था। लेकिन इस बार आदिवासी आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। सम्भव है इस मामले में आगे सरकार के अन्य प्रतिनिधियों की मिलीभगत का भी खुलासा हो।  अगर आयोग की जांच के बाद दैनिक भास्कर समूह और छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारी दोषी पाए जाते हैं, तो यह मामला देश में चल रहे संगठित माफिया गिरोह का एक आदर्श उदाहरण बन जाएगा। देखा जाए तो कांग्रेस शासन में अधिकारियों, नेताओं, मीडिया, NGO आदि सभी एक संगठित गिरोह की तरह काम करते थे! यह पद्धति 70 सालों में विकसित हुई है, जिसमें सभी पक्ष लूट के काम में बराबर हिस्सेदार होते हैं और एकदूसरे का पूरा सहयोग करते हैं।

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