जब भी भारत के कट्टरपंथी अपने षड्यंत्रों में हार रहे होते हैं तो वो अंत में किसी एक वर्ग को निशाना बनाना शुरू करते हैं और आरोप जड़ देते हैं कि इसी फलाने वर्ग के कारण हारे हैं हम। इस बार यह वर्ग “दलित” समुदाय है जिसको कुछ कुंठित तबके के लोग मात्र इसलिए गाली दे रहे हैं क्योंकि राज्य के विधानसभा चुनावों में इस बार यह वर्ग एकतरफा भाजपा का समर्थन करते हुए पुनः उसकी वापसी सुनिश्चित कराने में एक बड़ी भूमिका में रहा है। अब इसी कष्ट से व्यथित कट्टरपंथी दलित समुदाय के प्रति अपनी दूषित मानसिकता का परिचय दे रहे हैं। दलितों ने पूरे दिल से भाजपा को वोट दिया तो वहीं मुस्लिम समुदाय का एक तबका इसी बात को ही पसंद नहीं कर पा रहा है।
10 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने 35 वर्षों बाद वो रिकॉर्ड अपने नाम किया जो अन्य कोई दल नहीं कर पाया। भाजपा ने लगातार प्रचंड बहुमत के साथ राज्य में वापसी कर यह दिखा दिया कि न केवल उसने वापसी की है बल्कि अपने वोट प्रतिशत में भी बंपर उछाल दर्ज़ किया है। मुस्लिम समुदाय के भीतर भीतरघात करने वाले जिहादी तत्व भाजपा की बड़ी जीत से इतने दुखी हो चुके हैं कि दलित समुदाय को ही कोसने में अपनी सारी ताकत झोंक रहे हैं।
भाजपा के जीत मोदी विरोधियों के लिए बड़ा झटका
निश्चित रूप से, 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत मोदी विरोधियों के लिए एक झटका है। चुनावों के परिणाम को देखें तो उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 255 सीटें जीतीं। इससे खिन्न जिहादी तत्व एक्टिव हो गए और गुरुवार से ही अपने असल रंग दिखाने शुरू कर दिए। इस्लामवादियों और वाम-उदारवादियों ने अपनी इस कुंठित मानसिकता का प्रदर्शन करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। दलित वोटरों पर निशाना साधते हुए उन्होंने दलितों को ‘बीजेपी को जीत दिलाने’ के लिए गालियां दीं।
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इस्लामिक कट्टरपंथ के उपासकों के अतिरिक्त भाजपा की यह जीत भाजपा के लिए महत्वपूर्ण और अतिआवश्य इसलिए बन जाती है क्योंकि एक तो उसने वापसी की है साथ ही उसने पुनः प्रचंड रूप से बहुमत हासिल किया है और तीसरा उसने कोरोना महामारी के बाद से सरकार विरुद्ध माहौल को भी साइडलाइन करते हुए जीत हासिल की जो कि बहुत बड़ी बात है। 403 सीटों में से कुल 255 सीटें जीतना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि से कम नहीं है। जहां इस चुनाव में उसे एकतरफा जनमत मिला है तो वहीं हर जाति, धर्म, मजहब, पंथ ने भाजपा की सरकार में वापसी कराते हुए यह दिखा दिया कि जातिगत रूप से कमज़ोर करने वाले सभी दावों को राज्य की जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर धूल चटा दी।
कट्टरपंथियों का सबसे आसान टार्गेट है ‘दलित’ समुदाय!
अब भाजपा वापसी कर सरकार बनाने जा रही है ऐसे में कट्टरपंथियों का सबसे आसान टार्गेट अभी ‘दलित’ समुदाय बन चुका है। 2017 में, चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा ने राज्य में कुल 3,44,03,299 वोटों के साथ 39.67% वोट शेयर हासिल किया था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2022 में भाजपा के वोट शेयर में 41.3% तक की बढ़ोतरी हुई। यह स्पष्ट रूप से हर वर्ग के साथ आने के बाद ही संभव हो पाया है। 20 से 21 प्रतिशत वाले दलित वर्ग के साथ से ही भाजपा ने इस बार पुनः वापसी करने की उपलब्धि हासिल की है। यही दुःख कट्टरपंथियों को सबसे अधिक खाए जा रहा है कि दलित कैसे भाजपा के पाले में चला गया और अब जब कुछ हाथ आते नहीं दिख रहा है तो यही जिहादी प्रवृत्ति वाले लोग दलित वर्ग को गाली देने के काम में लगे पड़े हैं।
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ट्विटर पर @tamashbeen_ नाम के यूजर ने दलितों के प्रति अपनी कुंठित सोच रखते हुए कहा, “दलितों ने सामाजिक न्याय आधारित जाति के दावे से खुद को हिंदुत्व आधारित दलित राजनीति की ओर स्थानांतरित कर लिया है। यह भाजपा के लिए सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली चुनावी फायदा है।”
Dalits have shifted themselves towards Hindutva based Dalit Politics from Social Justice based Caste assertion.
This is the biggest and most powerful electoral advantage for BJP.
— اخلاص (@tamashbeen_) March 10, 2022
एक महाशय लिखते हैं कि, “दलितों का सही है, संवैधानिक संरक्षण और आरक्षित शिक्षा के कारण वे मुस्लिमों पर अपने सामाजिक विशेषाधिकार से अनभिज्ञ हैं और ‘हिंदू राष्ट्र’ के लिए मतदान कर रहे हैं।”
2 saal se bol raha hoon, Owaisi sb sunte nahi hain….. pic.twitter.com/I9WbPbDulE
— عادل مغل 🇵🇸 (@MogalAadil) March 11, 2022
अब दलितों को बात समझ में आयी है
शायद अब दलितों को ये बात समझ में आयी है कि, ‘सांप को कितना भी दूध पीला लो, रहता तो ज़हरीला ही है न।’ ऐसे में यदि दलित कुछ क्षण के लिए भूलवश इन जिहादी तत्वों के साथ मिल भी जाएं तो उनको यह बात समझ जाना चाहिए कि आज यह जिहादी भले ही साथ हों लेकिन कल को उन्हें ही डसेंगे। इस प्रवृत्ति को पहचान चुके दलित समुदाय ने तत्काल ही ऐसे जिहादी तत्वों की जमानतें जब्त कराने का निर्णय लिया जो उन्हें फूंटी आंख न सुहाया।
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इसके बाद तो मारकाट पर उतारू यही जिहादी लोग दलित समुदाय के लोगों के प्रति अपनी असल कुत्सित सोच का परिचय देते रहे हैं। रही बची कसर और कुंठा निकलने के लिए यह जिहादी बस अब ट्विटर तक सीमित रह गए हैं क्योंकि जमीन पर तो हालत गई बीती हो चुकी है। सौ बात की एक बात यह है कि, जनता को विकास से सरोकार है न कि जातीयता से, यूपी के चुनावी परिणामों ने ये स्पष्ट कर दिया है। ऐसे में अब दलित समुदाय को गाली देना और उन्हें मार डालने की धमकी देना ऐसे तत्वों की हताशा को दर्शाता है और शेष कसर सीएम योगी आदित्यनाथ पूरी कर देते हैं। ऐसे में इन जिहादियों के लिए अंतिम स्थान या तो जेल है या ट्विटर।