Dear Kejriwal, विधानसभा का आपका हालिया भाषण कश्मीर नरसंहार का अब तक का सबसे घटिया मजाक है

केजरीवाल कुछ तो शर्म करो!

अरविंद केजरीवाल द कश्मीर फाइल्स

सौजन्य गूगल

बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही केजरी काफी था, हर शाख पे राखी बिड़लान बैठी है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा। आज इस कथन को थोड़ा परिवर्तित इसलिए किया गया क्योंकि दिल्ली का स्वघोषित मालिक अरविंद केजरीवाल इतना नीचे गिर गया है कि कश्मीरी पंडितों की व्यथा को मज़ाक बना दिया और मज़ाक बनाया तो बनाया विधानसभा पटल पर ढहाके लगाकर हंसने की तो बात ही क्या करें। अब ऐसे मुख्यमंत्री से संवदेनशीलता की क्या ही अपेक्षा की जा सकती है, ‘द कश्मीर फाइल्स’ को टैक्स-फ्री करना तो भूल ही जाइये।

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केजरीवाल ने उड़ाया सच का माखौल

आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते गुरूवार बेशर्मी की पराकाष्ठा को भी पार कर दिया। उन्होंने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और उसपर आधारित मूवी ‘द कश्मीर फाइल्स’ को ही झूठा करार देकर सच का माखौल उड़ाया।

गुरुवार को दिल्ली विधानसभा सत्र में अपनी बात रखते हए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी विरोधी पार्टी भाजपा को घेरने के लिए सभी सीमाएं लांघ दीं। अपने वक्तव्य में पहले तो दिल्ली में काफी दिनों से चल रही ‘द कश्मीर फाइल्स’ को टैक्स-फ्री करने की मांग को नकारते हुए यह कह दिया कि, टैक्स फ्री क्यों करनी है? YouTube पर डाल दो सारी टैक्स फ्री हो जाएगी।” यह है दोगले चरित्र का पहला अंश,। जो मुख्यमंत्री मौज-मस्ती के लिए अपने परिवार को ले जाकर फिल्में देखता हो, देखते ही यदि पसंद आ गई तो मुख्यमंत्री होने के मद में चूर उसको सिनेमा हॉल से निकलते ही टैक्स फ्री कर देने की घोषणा कर देता हो, जब ऐसा व्यक्ति सत्य और तथ्य पर आधारित ‘द कश्मीर फाइल्स’ को टैक्स फ्री करना तो दूर न उसे देखने जाता है  और तो और ऊपर से यह और कहता है कि YouTube पर डाल दो। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का यह दोयम दर्ज़े का कृत्य कल सारे देश ने देखा।

यह वही दिल्ली की केजरीवाल सरकार है जिसका अपने कार्यकाल में न जाने कितनी फिल्में टैक्स फ्री करने का रिकॉर्ड है। 83, निल बटे सन्नाटा, सांड की आंख समेत ऐसी कई फिल्में हैं जिन्हें देखने के बाद यही केजरीवाल उसे तत्काल टैक्स फ्री करते हुए कलाकारों और निर्माताओं की पीठ थपथपाते नहीं थकते थे।

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विवेक अग्निहोत्री के प्रति ऐसी भी क्या कुंठा है?

विवेक अग्निहोत्री के प्रति ऐसी कुंठा कि सदन से ही मर्यादाओं का दहन कर कहा, विवेक अग्निहोत्री को बोल दो YouTube पर डाल देगा।” बोल तो ऐसे रहे थे जैसे ‘द कश्मीर फाइल्स’ बनाकर अग्निहोत्री ने अरविंद केजरीवाल की कोई भैंस खोल दी हो। यूट्यूब पर डालने की सलाह देने वाले केजरीवाल की हालत खान-कपूर की फिल्मों पर अगवा किए गए उस बालक की तरह हो जाती है जो ज़रा चूं-चपड़ की नहीं और आया रसीद के एक झापड़।

आज ‘द कश्मीर फाइल्स’ को इतना बुरा भला कहने वाले केजरीवाल को इतनी बात समझ लेनी चाहिए कि यदि फिल्म में दिखाया गया कोई भी दृश्य उनके परिवार में से किसी के साथ घटा होता तो उनके मुंह से यह ज़हर नहीं निकलता कि ये फिल्म झूठी है। अब इसका परिणाम यह होने जा रहा है कि ‘मैं तो हनुमान का भक्त हूँ जी’ कहकर सॉफ्ट हिंदूवादी बनने की अपनी राजनीति पर केजरीवाल का यही व्यवहार आम आदमी पार्टी की आगामी हर राज्य के चुनावों में मिट्टी पलीत करने की तस्दीक कर चुका है, शुरुआत गुजरात से होगी।

सब ठीक था, टैक्स फ्री न करते कोई दिक्क्त नहीं थी पर एक व्यक्ति विशेष और पार्टी को टारगेट करने के लिए जब अरविंद केजरीवाल ने ‘द कश्मीर फाइल्स’  के अस्तित्व और सत्यता पर ही घात कर दिया तो और सभी बातें पीछे छूट गईं। अब असल मुद्दा है कि पंजाब में मिली जीत से क्या अरविंद केजरीवाल को यह लग रहा है कि कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को खुश करने के लिए वो कश्मीरी पंडितों के बलिदान का गला रेतकर अपनी चुनावी पारी और अच्छी तरह खेल पाएंगे? इसका एक ही जवाब है, नहीं !

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केजरीवाल और उनके बेशर्म प्यादों की राजनीति

केजरीवाल समेत उनके पीछे पूरे सदन में बैठे राखी बिड़लान सरीखे नेता जिस तरह ‘द कश्मीर फाइल्स’ और कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार का मज़ाक उड़ा सदन में चिंघाड़-चिंघाड़ के हंस रहे थे उससे यह निश्चित हो गया कि विनाश काले विपरीत बुद्धि और यही हंसी केजरीवाल, आम आदमी पार्टी और उसके अन्य बेशर्म प्यादों की राजनीतिक विनाश को सुनिश्चित कर चुकी है और यह मज़ाक नहीं है। यह देश पहले ही बाहरी दुश्मनों से लड़ रहा है पर घर के भेदी यहीं दिल्ली की राजधानी में बैठे सरकार नहीं आतंकी समूहों जैसा एजेंडा चला रहे हैं, कारण सिर्फ एक है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने  ‘द कश्मीर फाइल्स’ की सराहना कर दी तो अब भई हम इसकी बुराई कर अपनी नीचता तो दिखाएंगे ही। कुछ लोगों की ऐसी ही सोच है।

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