क्या तेलंगाना विधानसभा में भाजपा विधायकों का निलंबन दक्षिण में भगवा पार्टी की बढ़ती ताकत को दर्शाता है?

दक्षिण भारत में भाजपा को फ्लावर समझा था क्या? वहां पर भी फायर है फायर!

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तेलंगाना में कार्यवाही बाधित करने के कारण, तेलंगाना विधानसभा के शेष बजट सत्र के लिए भाजपा के तीन सदस्यों को निलंबित कर दिया गया है। सुर्खियों में आए तीन विधायक दुबक से एम रघुनंदन राव, गोशामहल से टी राजा सिंह और हुजूराबाद विधानसभा क्षेत्र से एटाला राजेंदर हैं। आपको बता दें कि उन पर राज्य के वित्त मंत्री टी हरीश राव की प्रस्तुति में बाधा डालने का आरोप है। जाहिर है, टीआरएस सरकार ने बजट सत्र की शुरुआत में राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को राज्य विधानसभा को संबोधित करने की अनुमति नहीं दी थी।

हालांकि, राज्यपाल कार्यालय ने कहा कि बजट सत्र नया है क्योंकि यह पिछले सत्र के 5 महीने बाद शुरू हुआ था। भाजपा विधायक राजनीतिक गड़बडी को भांपते हुए काले रंग का स्टोल लेकर विधानसभा पहुंचे और सरकार के फैसले का विरोध करने लगे। राज्य के पशुपालन मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव ने इसके बाद एक प्रस्ताव पेश कर भाजपा सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित करने की मांग की। इसे स्पीकर पोचारम श्रीनिवास रेड्डी ने मंजूरी दे दी।

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ये निलंबन मात्र निलंबन नहीं, भाजपा का खौफ है-

इसके बाद भाजपा सदस्य न्याय की गुहार लगाने राजभवन पहुंचे। उन्होंने माननीय राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे आदेश को रद्द करने के लिए स्पीकर को सलाह देने का अनुरोध किया। यह आरोप लगाते हुए कि विधायकों के निलंबन का मतलब है कि संविधान को उलट दिया गया है, और किसी भी सरकार के पास संविधान को तोड़ने और सवाल की आवाज को दबाने का अधिकार नहीं होता है। निलंबन का आदेश बाहरी पर्यवेक्षकों के लिए हैरानी भरा रहा। बहरहाल, दक्षिण भारतीय राजनीति पर कोई भी आंख बंद करके जानता है कि सतह पर जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा बड़ा संदेश इसमें है क्यूंकि लोकतंत्र में निलंबन सामान्य नहीं है।

डर का माहौल है-

तो जाहिर है कि नीचे कोई और कारण होगा। वर्तमान में, दक्षिण भारत में क्षेत्रीय दल बड़े पैमाने पर वैधता संकट से पीड़ित हैं। आंध्र में YSRCP , तमिलनाडु में डीएमके, केरल में सीपीआई-एम जैसी पार्टियां राजनीतिक समीकरणों में बदलाव से निपटने में सक्षम नहीं हैं। वाईएसआरसीपी अपनी अक्षमता और गिरते मतदाता आधार से इतना चिंतित है कि हाल ही में जगन मोहन रेड्डी ने व्यक्तिगत रूप से अपने विधायकों से अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों के साथ नियमित रूप से बातचीत करने का आग्रह किया। चंद्रबाबू नायडू की जल्द विधानसभा चुनाव की चुनौती से उनकी राजनीतिक समस्याएं और बढ़ गई हैं।

तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में, बीजेपी अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की बदौलत बड़े पैमाने पर पैठ बना रही है। दूसरी ओर, कर्नाटक में पहले से ही भगवाकरण हो चुका है, जो हाल ही में हिजाब बनाम गमछा विवाद से स्पष्ट था।तेलंगाना में टीआरएस और अन्य पार्टियां इसी से डरती हैं। वे दक्षिण भारतीय राज्यों में भाजपा के बढ़ते जनाधार को देख रहे हैं। यही वजह है कि हाल ही में कांग्रेस ने इन राज्यों के साथ-साथ बीजेपी के खिलाफ भावनाएं भड़काने के लिए यूपी-बिहार का कार्ड खेलने की कोशिश की।  दक्षिण में भाजपा को कई लोग उत्तर भारतीय भावनाओं की प्रतिनिधि मानते हैं।टीआरएस भी बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरी है। यह विधायकों के निलंबन आदेश में स्पष्ट है। विधायकों का निलंबन असाधारण परिस्थितियों की मांग करता है क्योंकि ये विधायक जिन लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उनकी आवाज प्रभावी है। यदि विधानसभा में निलंबन को स्कूल रिपोर्ट कार्ड की तरह संभाला जा रहा है, तो यह दर्शाता है कि टीआरएस की मंशा भाजपा के बढ़ते वोट बैंक को रोकना है।

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