वास्तव में अजेय हैं नरेंद्र दामोदर दास मोदी, अब तो वैश्विक मीडिया भी जमकर कर रही गुणगान

पीएम मोदी फायर हैं फायर!

PM Modi

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अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ-साथ भारतीय मीडिया शुरू से ही भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीचा दिखाने का प्रयास करती रही है। मोदी सरकार के काम, देश हित में फैसले, भारत की मजबूत हो रही स्थिति को जनता के सामने रखने से इतर इन मीडिया हाउसों का प्रयास हमेशा नेगेटिव ही रहा है। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। देश के 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 4  राज्यों में जीत का परचम लहराया है, जिसके बाद मिनट-मिनट पर मोदी सरकार को नीचा दिखाने वाली यह वैश्विक और भारतीय मीडिया नतमष्तक हो गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अजेय हैं, हम यह तथ्य जानते हैं। मीडिया अक्सर इसे स्वीकार करने से हिचकिचाता रहा है। यह एक ऐसी पीड़ा है जिसे वामपंथी मीडिया पचा नहीं पाती है। पीएम मोदी के सबसे लोकप्रिय और चहेते भारतीय नेता होने का तथ्य 2019 के लोकसभा चुनाव में पुख्ता हुआ था और अब नवीनतम विधानसभा चुनाव परिणामों के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी को मात देने का माद्दा किसी भी विपक्षी पार्टियों के नेताओं में नहीं है। आपको बता दें कि भारतीय मीडिया आखिरकार उस शक्ति को महसूस कर चुका है कि मोदी खुद में एक ब्रांड हैं। द प्रिंट के लिए लिखते हुए पत्रकार वीर सांघवी ने कहा, “पीएम मोदी की लोकप्रियता बुलेट प्रूफ है।” उन्होंने कहा, अगर ऐसा ही रहा, तो बीजेपी आराम से एक और कार्यकाल के लिए आगे बढ़ रही है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में एक शानदार चुनावी जीत के लिए अपनी पार्टी का नेतृत्व किया और भारतीय जनता पार्टी की जबरदस्त जीत ने 2024 में उनके तीसरे कार्यकाल के लिए व्यापक रूप से मंच तैयार कर दिया है। भाजपा उत्तर प्रदेश में लगभग दो-तिहाई सीटों पर कब्जा जमाया है और ध्यान देने वाली बात है कि दशकों में यह पहली बार हुआ है कि यूपी की जनता ने राज्य में किसी मौजूदा पार्टी को सत्ता में लौटाया है।उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य सहित पांच राज्यों में से चार में भाजपा की जीत के साथ, भारतीय मीडिया और कुछ चुनिंदा पोर्टलों को वास्तविकता का एहसास हो गया है।

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क्या कह रहा है ग्लोबल मीडिया?

भारत में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों में बारीकी से नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय मीडिया हाउस भी अब नमो नमो जपने लगे हैं। भाजपा की जीत के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश और अन्य जगहों पर भाजपा का विजयी रिकॉर्ड एक बार फिर से निकट भविष्य के लिए भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभुत्व को मजबूत करता है। वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा, “यूपी के मतदाताओं ने दशकों से राज्य सरकार को दोबारा नहीं चुना था। अब, उन्होंने राज्य विधानसभा में भाजपा को दूसरी बार बहुमत दिया है।” वाशिंगटन पोस्ट ने यह भी कहा था कि यदि भाजपा एक बार फिर यूपी के 80 संसदीय क्षेत्रों में जीत हासिल करती है, तो मोदी का तीसरा कार्यकाल लगभग तय है।

द इकोनॉमिस्ट ने कहा, “राष्ट्रीय स्तर पर, भाजपा तेजी से आगे बढ़ते हुए अकेली शार्क बन गई है। जब तक उनके विरोधी यह नहीं समझेंगे कि सेना में कैसे शामिल होना है, तब तक मोदी की पार्टी बिना किसी चुनौती के तैरती रहेगी। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा, “200 मिलियन से अधिक लोगों के साथ, उत्तर प्रदेश 2019 में पिछले राष्ट्रीय चुनाव में भाजपा की निर्णायक जीत के लिए महत्वपूर्ण था। भाजपा की जीत संसद के ऊपरी सदन में पार्टी के नियंत्रण को मजबूत करेगी।

वहीं, बीबीसी ने भाजपा की जीत पर कहा, यह जीत भाजपा की सत्ता पर पकड़ मजबूत करती है, एक टूटे हुए विपक्ष को देख कर ऐसा लगता है कि भाजपा 2024 के संसदीय चुनाव में तीसरी बार जीतने की दौड़ में आगे है। मतदाताओं को लुभाने के लिए हिंदू राष्ट्रवाद को रणनीतिक कल्याणवाद के साथ जोड़ने की अपनी सफल रणनीति के साथ भारत के सबसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में एक जन नेता के रूप में आदित्यनाथ को पार्टी ने मजबूती से स्थापित कर दिया है।

विपक्ष का सिर फुटव्वल

हालांकि, जो हम वर्षों से जानते हैं, वह अब मुख्यधारा की मीडिया द्वारा कहा जा रहा है- विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय समाचार नेटवर्क द्वारा और वो ये है कि पीएम मोदी अजेय हैं। विपक्ष असमंजस में है। पंजाब में कांग्रेस चुनाव हार गई है और उस राज्य में उनकी चुनावी कहानी खत्म भी हो गई है। निकट भविष्य में कांग्रेस का अब पंजाब में वापसी करना भी लगभग मुश्किल हो गया है। वहीं, आम आदमी पार्टी के साथ भारत का विपक्षी खेमा एक अपाहिज की तरह व्यवहार कर रहा है। डीएमके, टीआरएस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों में से किसी ने भी आप को पंजाब में शानदार जीत के लिए बधाई नहीं दी है। अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति में एक बड़े चेहरे बन कर उभरे हैं। स्टालिन, ममता और केसीआर जैसे अन्य विपक्षी नेताओं के विपरीत, केजरीवाल एक “क्षेत्रीय पहचान” से बंधे नहीं हैं। यही भारत के विपक्षी दलों को भी परेशान कर रहा है। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि अरविंद केजरीवाल भी सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने से बच रहे हैं। वह इस तथ्य को जानते है कि इस तरह की रणनीति का उलटा ही असर होगा और यह पीएम मोदी की अपनी छवि के बारे में स्पष्ट है कि मोदी के खिलाफ बोलने वाले नेताओं को भारतीय जनता द्वारा दरकिनार कर दिया जाता है। उत्तर प्रदेश की जीत यह दर्शाती है कि 2024 में भाजपा की जीत फिर से सुनिश्चित है।

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