अखिलेश ने दिया सांसदी से त्यागपत्र, लगता है बुरी तरह टूट गए हैं बबुआ!

क्या बुरी तरह से डर गए हैं अखिलेश यादव?

अखिलेश यादव इस्तीफा

सौजन्य- गूगल

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। इस बार के विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में सत्ता बरकरार रखी है, राज्य की 403 सीटों में से बहुमत हासिल किया है और एक बार फिर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के हाथों  में राज्य की सत्ता है। भाजपा ने 255 सीटें जीतीं और वहीं समाजवादी पार्टी 111 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही।

करहल से विधायक हैं अखिलेश 

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अखिलेश यादव ने अपना इस्तीफा सौंपने के लिए संसद परिसर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की। अखिलेश ने 2019 के आम चुनाव में आजमगढ़ संसदीय सीट से जीत हासिल की थी। सपा सुप्रीमो उत्तर प्रदेश विधानसभा में करहल सीट का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे। उन्होंने उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट से जीत हासिल की।यादव ने करहल विधानसभा सीट 67,504 मतों के अंतर से जीती।

और पढ़ें भाजपा के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद है मोदी-योगी की जोड़ी, समझिए क्यों?

उन्हें 1,48,196 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को 80,692 वोट मिले थे। करहल को सपा का गढ़ माना जाता है यहाँ अखिलेश  यादव को 60.12 फीसदी वोट मिले, जबकि एसपी बघेल को 32.74 फीसदी वोट मिले। यादव ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा। मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, अखिलेश यादव विधान परिषद के सदस्य थे।

भाजपा के लिए आसान हुई आजमगढ़ की राह 

जैसे ही अखिलेश यादव ने अपनी आजमगढ़ की लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया राजनीति का बाजार फिर से गर्म हो गया।2019 लोकसभा चुनाव में अखिलेश को कांटे की टक्कर देने वाले भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के लिए आजमगढ़ ने फिर से एक बार राजनीति का रास्ता खोल दिया है। भोजपुरी सुपरस्टार निरहुआ ने लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीति में पदार्पण किया था. वे बीजेपी के टिकट पर यूपी की हाईप्रोफाइल सीट आजमगढ़ से से चुनावी मैदान में उतरे थे | जहां पर उन्हें अखिलेश के हाथों हार झेलनी पड़ी थी । लेकिन अब बात अलग है निरहुआ अब राजनीति के सारे गुर जान चुके हैं, और वो अब किसी को भी चुनाव में हराने का दम रखते हैं।

और पढ़ें अखिलेश यादव अकेले नहीं है, अभी बहुत लोगों के आवास खाली होंगे!

ज्ञात हो कि निरहुआ अखिलेश यादव पर अपने राजनीतिक कुशलता  से करारा हमला करते हुए नज़र आते रहे हैं ,और अब आजमगढ़ की सीट खाली होने के बाद से निरहुआ के पास सुनहरा मौका है ,कि आने वाले उपचुनावों में साइकिल को पंचर कर वे कमल को विजयी बनाएं ।

आजमगढ़ की सीट छोड़ना अखिलेश की मजबूरी 

आपको बतादें कि अखिलेश यादव का लोकसभा सीट छोड़ना एक मजबूरी है | क्योंकि उन्हें अपनी राजनीतिक बिसात बचाए रखना। दो बार से लगातार विधानसभा चुनावों में मिली करारी  हार ने उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में ला दिया है। अखिलेश के पास न पहले जैसा जनाधार बचा हुआ है और न ही जनता का भरोसा। इस बार के चुनाव में हार मिलने के बाद से अखिलेश बहुत असहज दिख रहे हैं |

और पढ़ें पुष्कर सिंह धामी की वापसी से कैसे बदल जाएगी उत्तराखंड की राजनीति की अवधारणा

यदि अखिलेश  करहल से विधायक रहते हुए अगले 5 वर्षों में जनता का भरोसा हासिल नहीं कर पाए, तो उनके लिए राजनीतिक संकट बढ़ जाएगा | क्योंकि उत्तर प्रदेश का नेतृत्व अब योगी आदित्यनाथ के हाथों में है, जिन्हें जनता का पूर्ण सहयोग और आशीर्वाद प्राप्त है | अखिलेश की यूपी में हार ने ममता बनर्जी और शरद पवार सरीखे और भी कई स्वयं को स्वघोषित राष्ट्रीय नेता मानने वाले लोगों की आशाओं पर पानी फेर दिया है |

Exit mobile version