DMK राज में तमिलनाडु पिछले कुछ समय से अप्रिय घटनाओं के लिए सुर्ख़ियों में रहा है। जब से एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली DMK तमिलनाडु में सत्ता में आई है, तब से कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर हो गई है। स्टालिन सरकार में हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया। सोमवार को तो तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में 22 वर्षीय दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के आरोप में डीएमके पार्टी के दो पदाधिकारियों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
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आरोपियों पर एससी/एसटी एक्ट हुआ है लागू
हालांकि महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ने सोमवार को आरोपित को दुष्कर्म के आरोप और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों को विशेष अदालत के न्यायाधीश के समक्ष ले जाया गया और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अन्य चार किशोर लड़कों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और मदुरै के सुधार गृह भेज दिया गया।
सामूहिक बलात्कार 17 मार्च को हुआ था और कथित तौर पर, महिला का अपहरण और सामूहिक बलात्कार करने वाले तीन पुरुष और दो किशोर को मंगलवार को नशे की हालत में जब पुलिस ने पकड़ लिया और उनसे पूछताछ शुरू कर दी, तब उन्होंने भयानक सामूहिक बलात्कार का विवरण दिया। कथित तौर पर महिला डॉक्टर बिहार लौट आई थी और वहां ही वह ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की हिम्मत जुटा सकी।
तीन आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जबकि किशोरों पर किशोर न्याय अधिनियम की धारा 21 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने पीड़िता के हवाले से कहा कि चालक ने उन्हें वापस अस्पताल छोड़ने के बजाय सुनसान जगह पर जाने से पहले दूसरा रास्ता अपनाया। महिला और उसके दोस्त को कथित तौर पर गिरोह द्वारा धमकी दी गई थी और मोबाइल फोन, 40,000 नकद सहित उनका सारा सामान लूट लिया। दो नाबालिगों समेत पांच लोगों ने बारी-बारी से महिला से दुष्कर्म किया।
वेल्लोर के पुलिस अधीक्षक एस राजेश कन्नन के आदेश के आधार पर शिकायत की जांच शुरू कर दी गई है। अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस उपाधीक्षक आर रविचंद्रन के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया है।
दो भयानक सामूहिक बलात्कार मामलों के खुलासे के बाद तमिलनाडु सरकार पर दबाव बढ़ने के बाद, सीएम एमके स्टालिन ने राज्य विधानसभा को बताया कि अपराध-शाखा अपराध जांच विभाग (सीबीसीआईडी) को दो DMK पदाधिकारियों से जुड़े विरुधनगर मामले को सौंप दिया गया था।
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एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार में ये हो क्या रहा है?
एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक को हर तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में समुदायों के भीतर दोष रेखाएं पैदा करने की कोशिश करने के बजाय, एमके स्टालिन को उन महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम करना चाहिए जो अपने घरों से बाहर निकलने पर भी खतरा महसूस कर रही हैं।
ये कोई एक मामला नहीं है बल्कि दुष्कर्म के अलावा जबरन धर्मांतरण जैसे मामले भी यहां सामने आ चुके हैं। स्टालिन के सत्ता संभालने के बाद जबरन धर्मांतरण के सामने आए केस में सबसे प्रमुख लावण्या की मौत का मामला था। लावण्या की मौत ने तमिलनाडु में उस समय एक विवाद को जन्म दे दिया था, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि छात्रावास की नन रकील मैरी ने दो साल पहले उसे और उसके माता-पिता को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की थी। लावण्या के पिता ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि उनका तंजावुर पुलिस की जांच पर से विश्वास उठ गया है। अतः CBI-CID जैसी जांच एजेंसी को मामला सौंप दिया जाए।
लावण्या तंजावुर के माइकलपट्टी में स्थित सेक्रेड हार्ट्स हायर सेकेंडरी स्कूल नामक एक बोर्डिंग हाउस में रहती थीं। बीते 19 जनवरी को उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद लावण्या का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उन्हें मृत्यु से दो दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लावण्या की मौत के बाद स्टालिन सरकार की पूरे देश में आलोचना हुई थी। अब जब ऐसे ऐसे डरावने मामले सामने आते हैं तो प्रतीत होता है कि उनके कार्यकाल में अराजकता नया मानदंड बन गई है। स्टालिन के बड़े बड़े वादे सिर्फ विज्ञापन तक ही सीमित रह गयी है क्योंकि उनके सत्ता में आम जनमानस त्रस्त दिख रहा है।
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