प्रतिस्पर्धा तो बहुत प्रकार की देखी होंगी आपने, परंतु एक अनोखी प्रतिस्पर्धा तो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में चल रही है, बुलडोज़र की। अपराधियों के अवैध संपत्तियों पर बुलडोज़र चलाने की वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार की प्रवृत्ति से सभी परिचित हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि मध्य प्रदेश सरकार भी कहीं से भी पीछे नहीं रहना चाहती है, और बुलडोज़र गतिविधियों में उत्तर प्रदेश को कड़ी टक्कर देती हुई दिखाई दे रही है।
हाल ही में मध्यप्रदेश में एक आपसी विवाद ने रायसेन जिले में हिंसक रूप ले लिया, जब कट्टरपंथी मुसलमानों ने आदिवासियों पर धावा बोल दिया, और इस हिंसक झड़प में एक आदिवासी युवक की मृत्यु हो गई। फिलहाल के लिए भारी पुलिसबल की तैनाती सहित आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोज़र भी चलवाया। परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। दुष्कर्म से संबंधित एक अन्य मामले में भी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश प्रशासन ने असामाजिक तत्वों के अड्डों पर बुलडोज़र चलाने में तनिक भी हिचक नहीं दिखाई। कुछ आरोपितों के घर से अवैध सागौन की कीमती लकड़ी से बना फर्नीचर भी जब्त किया। अब तक कुल 16 आरोपितों में से 13 को हिरासत में लिया है। 3 आरोपितों की तलाश जा रही है।
अब तक उत्तर प्रदेश में योगी सरकार इस प्रकार की कार्रवाई के लिए जानी जाती थी। अब योगी सरकार की तरह मध्य प्रदेश में भी शिवराज सरकार उसी नक्शे कदम पर चल पड़ी है। जिला प्रशासन ने वन संयुक्त विभागों के साथ मिलकर अतिक्रमण पर बुलडोजर भी चलवाया और स्थिति को जल्द नियंत्रण में भी लाया।
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इसके संकेत कहीं न कहीं दिसंबर में ही मिल चुके थे, जब योगी आदित्यनाथ के अपराध को नियंत्रण में लाने के मॉडल से प्रेरणा लेते हुए एमपी सरकार ने MP Gangsters and Anti Social Activities Prevention Bill लाने का निर्णय किया था।
तब TFI पोस्ट के एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार,
“गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि ‛यह विधेयक खनन माफिया, भूमाफिया, अवैध शराब बेचने वाले, नकली दवा विक्रेता, मानव तस्करी करने वाले गिरोह, नशा तस्कर, खाद्य उत्पादों में मिलावट, अवैध हथियार बनाने वाले समेत अन्य संगठित अपराधियों पर लागू होगा। पुलिस उन सभी संगठित अपराधों में गैंगस्टर कानून लागू करेगी जिनमें दो से अधिक आरोपी हैं।’
उन्होंने बताया कि ‛विधेयक जिला कलेक्टरों को आरोपियों की संपत्ति के मामले की जांच करने का अधिकार देगा और यदि यह आय से अधिक पाया जाता है, तो उन्हें इसे जब्त करने का अधिकार होगा। आरोपी को अपनी कमाई को कानूनी तरीके से साबित करना होगा।’ इसके अतिरिक्त कई महत्वपूर्ण त्योहारों पर असामाजिक तत्वों पर यूपी सरकार की भांति किस प्रकार से एमपी सरकार ने उन्हे दौड़ाया है, उसके लिए किसी विशेष शोध की आवश्यकता नहीं।
जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में अपराधियों की संपत्ति जब्त करने अवैध मकानों पर बुलडोजर चलाने आदि का अधिकार प्रशासन को प्राप्त है, वैसा ही अधिकार जल्द मध्यप्रदेश में भी प्रशासन को प्राप्त होगा। गैंगस्टर कानून के अंतर्गत पुलिस को 2 माह की न्यायिक हिरासत का अधिकार प्राप्त होगा। इससे पूर्व यह अधिकार केवल Prevention of Terrorism Act ‛पोटा’ के तहत पुलिस अधिकारियों को प्राप्त था।
अब ऐसे में जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में अपराधियों को नियंत्रण में लाने की प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, वह अपने आप में काफी रोचक है, और ऐसी प्रतिस्पर्धा को पूरे भारत में बढ़ावा देना चाहिए, जिससे असामाजिक तत्व और भारत विरोधी ताकतों को नियंत्रण में लाया जा सके।