ED बनाम महाराष्ट्र सरकार: मुंबई का नया ‘गैंग वॉर’

शिवसेना ने गंदी राजनीति का काला दौर फिर से शुरू कर दिया है

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राजनीति गन्दा खेल है, राजनीति दल-दल है। राजनीति में राजनेता बन उस राजशाही व्यवहार को जनता के अनुकूल बनाये रख पाना एक बड़ी चुनौती होती है। इन सभी मानदंडों पर महाराष्ट्र सरकार के नेता और मंत्री अब तक खरे नहीं उतर पाए हैं। भ्रष्टाचारी-दुराचारी व्यवहार के अतिरिक्त महाविकास अघाड़ी ने ऐसा कुछ नहीं किया जिसके लिए उसकी सराहना की जाए या पीठ थप-थपाई जाए। ऐसे में अब केंद्र सरकार से अपनी कुंठा निकालने निकल पड़े शिवसेना नेता और राज्य सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे, अपने करीबियों पर हुई इनकम टैक्स की रेडों पर आपा खोते दिख रहे हैं। आई टी रेडों में सम्मिलित रेडों का बदला निकालने के लिए अब शिवसेना, राज्य पुलिस को उन अधिकारियों के पीछे लगाने की तैयारी कर रही है ताकि वो ‘जाँच’ का बदला ले सकें।

दरअसल, महाराष्ट्र में एमवीए सरकार अपना अस्तित्व खो रही है। उसे देश में कानून प्रवर्तन एजेंसी और कानून उल्लंघन करने वालों के बीच अंतर करना मुश्किल हो रहा है। ऐसा लगता है कि राजनीतिक घटनाक्रमों में हीन भावना के सामने विभिन्न संवैधानिक वैध निकायों के बीच एक नया ‘सामूहिक युद्ध या द्वंद्व’ शुरू हो गया है जिसका अंतिम लक्ष्य एक-दूसरे को नीचा दिखाना और बदले की भावना की पूर्ति करना है।

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भ्रष्टाचार का उत्तर तो देना ही पड़ेगा बेबी पेंग्विन-

पिछले दो दिनों में दो अलग-अलग घटनाओं ने महाराष्ट्र राज्य को कलंकित कर रख दिया है। 8 मार्च को, आयकर अधिकारियों ने राज्य में  शिवसेना से कथित रूप से जुड़े विभिन्न लोगों पर छापा मारा। इनमें सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ एमवीए सरकार के करीबी व्यवसायी भी शामिल हैं। इन सभी पर टैक्स चोरी का आरोप है। राहुल कनाल, शिवसेना की युवा शाखा के एक कोर कमेटी सदस्य, परिवहन मंत्री अनिल परब के चार्टर्ड अकाउंट, उप क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) बजरंग खरमाते, सदानंद कदम, पूर्व शिवसेना मंत्री रामदास कदम के भाई, कुछ हाई प्रोफाइल नाम हैं जो इस रेड में सामने आए थे। आईटी विभाग के रडार के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी बजरंग खरमाते से पहले ही पूछताछ कर चुके हैं। सचिन वाजे ने एमवीए सरकार के अधिकारियों पर पुलिस कर्मियों के स्थानांतरण में वित्तीय आदान-प्रदान का आरोप लगाने के बाद उनसे पूछताछ की थी।

शिवसेना को चाहिए बदला-

अब इसी से खुन्नस खाए शिवसेना नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों से बदले की भावना के तहत राज्य पुलिस का इस्तेमाल कर छापा मार रहे अधिकारियों को फंसाने के षड्यंत्र रचने लगे हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि, ईडी के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। यह भविष्यवाणी करते हुए कि उनकी पुलिस निश्चित रूप से ईडी अधिकारियों को जेलों में भेजेगी, राउत ने कहा, “मुंबई पुलिस में एक शिकायत दर्ज की गई है … मुझे यकीन है कि ईडी के कुछ अधिकारी इस जांच के बाद सलाखों के पीछे जाने के लिए बाध्य हैं।”

कितनी कुंठित सोच है कि आरोपों पर माफ़ी मांगने के बजाय शिवसेना नेता, केंद्रीय जाँच एजेंसी के पदाधिकारियों को ही कानूनी बेड़ियों में जकडने की बात कर रहे हैं। हर मामले को राजनीति से प्रेरित बता देने वाली शिवसेना को यह लगता है की हम चोर नहीं सत्यवादी हरिश्चंद्र की औलाद हैं और न खाता न बही, जो वो कहें वही सही।

ज्ञात हो कि, आयकर विभाग की कई टीमों ने राज्य में 20 से अधिक परिसरों पर छापेमारी की जिनमें मुंबई में 12 परिसर शामिल हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे शिवसेना के मंत्रियों आदित्य ठाकरे और अनिल परब से जुड़े हुए हैं। शिवसेना ने छापेमारी को दिल्ली की ओर से अर्थात केंद्र सरकार की ओर से किया गया ‘हमला’ करार दिया है।

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कुछ जगहों पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को भी तैनात किया गया था, जिनकी तलाशी ली गई। एजेंसी सूत्रों ने बताया कि छापेमारी संदिग्ध कर चोरी की जांच के लिए की गई थी। केवल व्यवसायी और सेना के पदाधिकारी सदानंद कदम के अंधेरी आवास की तलाशी ली गई। उन्हें राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब का करीबी माना जाता है। श्री साई संस्थान ट्रस्ट के ट्रस्टी और युवा सेना के एक प्रमुख सदस्य राहुल कनाल और डिप्टी आरटीओ अधिकारी बजरंग खरामते के परिसरों पर आयकर विभाग ने छापा मारा। परब के चार्टर्ड अकाउंटेंट ने भी टैक्स एजेंसी की छापेमारी देखी। विभाग के सूत्रों ने बताया कि तलाशी बुधवार को भी जारी रहने की संभावना है। शिवसेना के मंत्री आदित्य ठाकरे ने केंद्रीय एजेंसी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का “अभियान एजेंट” करार दिया।

यह वही बात हुई खिसयानी बिल्ली खंबा नोचे। अपने कर्मों को छुपाने के लिए अब महाविकास अघाड़ी के नेता ईडी और महाराष्ट्र सरकार में युद्ध कराने के सारे पुख्ता इंतज़ाम कर चुके हैं लेकिन यह बेशर्मी की पराकष्ठा है। शिवसेना नेता जांच एजेंसियों के अधिकारियों के काम में बाधा पहुँचाने के साथ ही उनके विरूद्ध जांच बैठाने के साथ ही उन्हें जेल में डालने की बात कहकर अपनी निकृष्टता को परिभाषित कर रहे है।

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