अंधकार कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो प्रकाश की पहली किरण आते ही समाप्त हो जाता है |’द कश्मीर फाइल्स’ मूवी ने समाज में इसी प्रकाश का काम किया है और वर्षों से छिपा सच बाहर लाया है । अब यासिन मालिक जैसे कुख्यात आतंकी, जो एक कश्मीरी अलगाववादी नेता है जो भारत से कश्मीर को अलग करने की वकालत करता है उसकी सोच और 90 के दशक में किए गए कृत्यों का पर्दाफाश इसी फिल्म के घटनक्रमों में सारगर्भित करके दर्शाया गया है। मार्च 2020 में, मलिक पर 1990 में एक हमले के दौरान भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या का आरोप लगाया गया था और वर्तमान में वह ट्रायल के तहत जेल में है, पर अबतक उसपर UAPA नहीं लगाया गया था। पर यह कसर ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने पूरी कर दी क्योंकि एनआईए कोर्ट ने अब उसपर UAPA के अन्तर्गत विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है।
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया है यासीन मलिक
यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया है। 90 के दशक में कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार में इस आतंकी की सबसे अहम भूमिका थी। बता दें, UAPA का मतलब है Unlawful Activities (Prevention Act, जिसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम कहा जाता है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है, इस कानून के तहत उन लोगों को चिह्नित किया जाता है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं या जिन पर फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप होता है।
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‘द कश्मीर फाइल्स’ के हर पहलु ने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया था। कोर्ट के इस निर्णय का सभी स्वागत भी कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश” थी और उसकी प्रेरणा इसने एडॉल्फ हिटलर की पसंद की प्लेबुक और ब्राउनशर्ट्स के मार्च से ली थी – नाजी पार्टी की मूल अर्धसैनिक शाखा जिसने 1920 के दशक में हिटलर के सत्ता में आने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।विशेष न्यायाधीश परवीन सिंह ने कहा कि साजिश में आईएसआई जैसी पाकिस्तानी एजेंसियों के रूप में सीमा पार से भी अहम भूमिका निभाई । जम्मू-कश्मीर को अलग करने के अंतिम उद्देश्य के साथ रक्तपात, हिंसा, तबाही और विनाश की एक दुखदायी गाथा का उल्लेख इतिहास के पन्नों में इंगित हो गया।
यासीन मालिक को मनमोहन सिंह ने किया था सम्मानित
यूपीए शासन में यासीन मालिक को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सम्मानित किया था आज वो यासीन मलिक कानून की बेड़ियों में जकड चुका है। दिल्ली की आईएनए अदालत ने जम्मू-कश्मीर मे होने वाली आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक सहित 15 आरोपियों के खिलाफ कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप तय किए हैं।
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अदालत ने आपराधिक साजिश के लिए आरोप तय किए गए हैं। अदालत ने कहा कि भारत से जम्मू-कश्मीर को अलग करने के अंतिम उद्देश्य के साथ एक साजिश रची गई थी। उन सभी कृत्यों को आतंकवादी जांच के पश्चात आतंकवादी कृत्य मन गया | अदालत ने प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि यह एक आपराधिक साजिश थी जिसके तहत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हुई। “यह तर्क दिया गया है कि ये गांधीवादी मार्ग का अनुसरण करते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए थे। हालांकि, सबूत कुछ और ही बात कह रहे हैं। ये केवल हिंसक विरोध थे जिनका मकसद कश्मीर को भारत से अलग करना था और मासूम पंडितों की हत्या करना था |
विश्व को दिखा दिया फिल्म ने असलियत
अब जब ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने विश्व को ये दर्शा दिया कि असल में हुआ क्या था, न्यायपालिका पर भी यह दबाव बना की लंबित मामले में शीघ्र-अतिशीघ्र आरोप तय किए जाएँ और आरोपितों को समुचित सजा मिले |
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