भाजपा ने योगी 2.0 कैबिनेट के जरिए ऐसा दांव खेला है, जिसका असर 2024 में देखने को मिलेगा

भाजपा के पास है हर समस्या का समाधान!

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2022 के सबसे बड़े चुनाव के रूप में संसद का रास्ता तय करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश एक बार फिर भाजपामय हो गया है। योगी आदित्यनाथ ने एक बार पुनः मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपने दूसरे कार्यकाल का काम प्रारंभ कर दिया है। इस बार सबसे बड़े परिवर्तन के तौर पर योगी कैबिनेट में हुए लगभग 2 दर्जन बदलाव के साथ पूरे मंत्रिमंडल का कायाकल्प कर दिया गया है। भाजपा नेतृत्व ने 2024 में होने वाली बड़ी चुनावी लड़ाई को ध्यान में रखते हुए जाति और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने हेतु ब्राह्मण, जाट, अनुसूचित जाति और ओबीसी समुदायों के नुमाइंदों को योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में एक सम्मानजनक स्थान दिया है, जो आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को और भी मजबूती प्रदान करेगा।

मंत्रिमंडल के जरिए भाजपा ने हर वर्ग को किया है साधने का काम

योगी 2.0 मंत्रिमंडल की बात की जाए तो इस बार मंत्रिमंडल में हर धर्म जाति विशेष के लोगों को न केवल स्थान दिया गया है, बल्कि अच्छा काम करने वालों को पदोन्नति मिली है और अच्छा प्रदर्शन न करने वाले ऐसे कई नेताओं को इस बाहर मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। नए मंत्रिमंडल में चुनावी रूप से महत्वपूर्ण एससी, ब्राह्मण और जाट समुदायों के आठ मंत्रियों के होने से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि भाजपा का इरादा 2024 में अगले आम चुनावों में अपनी पकड़ बनाए रखने का है। इस बार मंत्रिमंडल में 21 पुराने मत्रियों को बनाए रखने के साथ ही 22 को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, तो वहीं 31 नए चेहरे शपथ ग्रहण करने के बाद योगी मंत्रिमंडल का हिस्सा बन चुके हैं। जिनमें महिला मंत्रियों की संख्या 5 है। ध्यान देने वाली बात है कि देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से कुल 80 लोकसभा सदस्य लोकसभा पहुंचते हैं और भाजपा को पिछले दो आम चुनावों 2014 और 2019 में अच्छी तरह से पता चल गया है कि उत्तर प्रदेश का प्रचंड जनादेश वाला प्रदर्शन ही पार्टी की लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार को सुनिश्चित करेगा।

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NDA के कुल 52 नेताओं ने ली शपथ

इसी तहत योगी 2.0 में प्रमुख ब्राह्मण चेहरे के तौर पर ब्रजेश पाठक को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। पार्टी ने ओबीसी से वरिष्ठ नेता केशव प्रसाद मौर्य को दूसरी बार डिप्टी सीएम के रूप में रखने का फैसला किया। मंत्रिमंडल की बात करें तो इस बार एनडीए के कुल 52 नेताओं ने शपथ ली है। इसमें विधानसभा से चुनकर आए सदस्यों के साथ-साथ विधान परिषद सदस्यों को भी शामिल किया गया है। इस मंत्रिमंडल में युवा जोश और अनुभवी सोच का मिश्रण विद्यमान है। इस बार दलित वर्ग ने भी भाजपा को जमकर वोट दिया है और चुनाव परिणाम से यह साफ़ झलकता भी है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति समुदाय के आठ मंत्रियों को शामिल करने से संकेत मिलता है कि भाजपा ने विधानसभा चुनावों में समर्थन करने के लिए समुदाय के सदस्यों को पुरस्कृत किया है। उनमें से कुछ ‘जाटव’ समुदाय से थे, जिससे बसपा सुप्रीमो मायावती ताल्लुक रखती थी और जिनके एक वर्ग ने चुनावों में भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा को प्रकट कर यह दिखा दिया कि उसे एक ही धड़े का न माना जाए।

योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट 2.0 में सवर्ण जातियों के 21 मंत्री हैं, जिनमें सात ब्राह्मण, तीन वैश्य और मुख्यमंत्री सहित आठ ठाकुर शामिल हैं। कैबिनेट में एक कायस्थ और दो भूमिहार मंत्री भी हैं। सात ब्राह्मण मंत्रियों में से तीन कैबिनेट में हैं, एक के पास स्वतंत्र प्रभार है और तीन कनिष्ठ मंत्री हैं। जबकि ब्रजेश पाठक राज्य के दो उपमुख्यमंत्रियों में से एक हैं, साथ ही योगेन्द्र उपाध्याय और जितिन प्रसाद को कैबिनेट में स्थान दिया गया है। वहीं, प्रतिभा शुक्ला, रजनी तिवारी और सतीश शर्मा ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली है।

एक दिलचस्प और चुनावी रूप से महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि किसान आंदोलन के प्रभाव से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि शायद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को नुकसान झेलना पड़ेगा पर चुनाव परिणामों ने पहले तो इस दावे को ही निस्तेनाबूत कर दिया और तो और पिछले आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में, जहां पश्चिमी क्षेत्र से 11 मंत्री बनाए गए थे, अबकी बार नए मंत्रिमंडल में यह संख्या बढ़ाकर 12 कर दी गई है। अर्थात् भाजपा ने जाट लैंड के विश्वास को और मजबूत करने के लिए इस इक्के को चलकर अपनी स्थिति आगे के लिए और मजबूत कर ली है।

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सहयोगी दलों को भी मिली है पूरी हिस्सेदारी

ठाकुर समाज की बात करें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा जयवीर सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। जेपीएस राठौर, दयाशंकर सिंह और दिनेश प्रताप सिंह को स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री बनाया गया है। तो वहीं बृजेश सिंह, मयंकेश्वरन सिंह और सोमेंद्र तोमर राज्य मंत्री हैं। योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में वैश्य जाति के तीन नेताओं को मंत्री बनाया गया है। इनमें नंदगोपाल नंदी कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि नितिन अग्रवाल और कपिल देव अग्रवाल राज्य मंत्री हैं। सूर्यप्रताप शाही और अरविंद कुमार शर्मा भूमिहार समुदाय से कैबिनेट में शामिल हुए हैं। कायस्थ समुदाय के अरुण कुमार सक्सेना को स्वतंत्र प्रभार दिया गया है।

अन्य पिछड़ा वर्ग के 20 मंत्रियों में से भाजपा के सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी से एक-एक कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। भाजपा के प्रमुख ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया गया है। तो वहीं पार्टी इकाई के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के कुर्मी समुदाय से होने के साथ कैबिनेट का पद दिया गया है। कुल मिलाकर ओबीसी समुदाय के आठ नेताओं को कैबिनेट की सीटें दी गई हैं।

इस बार नौ दलित नेताओं को मंत्री बनाया गया है और केवल एक- बेबी रानी मौर्या को कैबिनेट का पद दिया गया है। राजनीति में शामिल होने के लिए स्वेच्छा से अपने पद से सेवानिवृत्त हुए कानपुर के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी असीम अरुण को स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। अरुण भी जाटव समुदाय से ही आते हैं। अल्पसंख्यक समुदायों को योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में भी जगह मिली है। बिना विधायक या एमएलसी होने के बाद भी पार्टी की राज्य इकाई के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मंत्री पद हासिल किया है, तो वहीं सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाले बलदेव सिंह औलख को एक बार फिर से राज्य मंत्री बनाया गया है, जबकि शाहजहांपुर से नौ बार के विधायक और पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले सुरेश खन्ना कैबिनेट मंत्री हैं।

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चुनावी रणनीति का केंद्र है यूपी

निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के लिए भारतीय जनता पार्टी को सरकार में बनाए जाने वाले परिपक्व मंत्रियों की एक टीम की जरूरत थी, जो समाज के उन वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हो जो चुनाव में पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहें। चूंकि अगली बड़ी लड़ाई यानी 2024 आम चुनाव के लिए अधिक समय नहीं बचा है और यूपी चुनावी रणनीति का केंद्र है। यहां पार्टी को अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत है जिसके लिए उसने मंत्रिमंडल में चिन्हित कर कर के हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देने का काम किया। और तो और अपने दो गठबंधन सहयोगी – निषाद पार्टी और अपना दल को नए मंत्रिमंडल में अपने सदस्यों को समायोजित करके भाजपा ने सभी गोटियां और सियासी बिसात 2024 की रणभूमि के लिए बिछा दी हैं। बताते चलें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 64 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, इस किले को और बड़ा करने के लक्ष्य से इस बार भाजपा पुनः जुट जाने वाली है और राज्य के नए मंत्रिमंडल और सामाजिक समीकरण को साधते हुए वो 2024 के रण में पहली कैबिनेट बैठक से ही कूद पड़ी है।

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