मध्यप्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति का धार्मिक रूप से पालन करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है!

भारत में अब भारतीयकरण की शुरुआत हो गई है और शिवराज धन्यवाद के काबिल हैं!

मध्य प्रदेश शिक्षा

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किसी भी अन्य विकासशील राष्ट्र के नागरिक की तरह भारतीय, मातृभाषा में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सहज होते हैं। आज के वर्तमान परिस्थिति में तथाकथित ज्ञानी लोगों को हिंदी में बोलने में शर्म आती है। एक भारतीय होने के नाते जब आप विदेश जाते हैं तो आप लोगों को उनकी मातृभाषा में दूसरों से बात करते हुए देखते हैं पर अपने देश के लोगों में अंग्रेजी को लेकर लगाव इतना अधिक हो गया है की वो अपनी मातृभाषा से दूर होते जा रहे है।आपको बता दें की भारत में जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है वो हिंदी और दुसरे राज्य भाषा को बढ़ावा दे रही है। शिक्षण संसथान में भी अब यह पहल शुरू हो रहा है।

इसी क्रम में मध्य प्रदेश सरकार ने हिंदी भाषा के एमबीबीएस पाठ्यक्रमों को लागू करने की घोषणा की है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश हिंदी में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने वाला भारत का पहला राज्य बनने जा रहा है। मध्य प्रदेश के पचमढ़ी के हिल स्टेशन में मध्य प्रदेश सरकार के ‘चिंतन शिविर’ के दूसरे दिन मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की, “हम हिंदी में चिकित्सा पाठ्यक्रमों की शिक्षा देना शुरू करेंगे।” यह निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों के विद्यार्थियों को लाभान्वित करेगा।

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान यह भी कहा कि हिंदी आधारित एमबीबीएस शिक्षा के लिए सामग्री तैयार की जा रही है और नई हिंदी आधारित प्रणाली इसी साल शुरू हो जाएगी। इसके बाद हिंदी माध्यम की समान इंजीनियरिंग शिक्षा और अन्य व्यावसायिक डिग्री के समान संरचना पर कार्य किया जाएगा।

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इसके साथ ही सीएम चौहान ने अपनी सरकार की प्रमुख योजनाओं जिनमें  मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और लाडली लक्ष्मी योजना सहित अन्य चीजों को फिर से शुरू करने की घोषणा की। चौहान ने कहा, “21 अप्रैल से, ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’ एक नए प्रारूप में शुरू की जाएगी, जो ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ के साथ मिलकर 2 मई से शुरू होगी।”

हिंदी भाषा को लेकर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा ,जब दूसरे देश अपनी मातृभाषा में व्यावसायिक शिक्षा देते हैं तो हमें अंग्रेजों के गुलाम क्यों बने रहना चाहिए? इस नई शिक्षा प्रणाली से हमारे मध्यम और निम्न आर्थिक वर्ग के छात्रों को मदद मिलेगी, जो गांवों और कस्बों से आते हैं, जहां हिंदी बोली जाती है।

मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल आने वाले समय में दुसरे राज्यों के सरकारों के लिए भी एक प्रेरणा का कार्य करेगी जिसके बाद अब हर मोर्चे पर मातृभाषा का प्रयोग हर एक क्षेत्र में किया जा सकेगा और ग्रामीण और साधन विहीन बच्चे अंग्रेजी में पिछड़ने के कारण मेडिकल की पढ़ाई का सपना पूरा नहीं कर पाते लेकिन मध्य प्रदेश में पहली बार हिंदी माध्यम से मेडिकल की पढ़ाई होगी जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल बन सकेगा।

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