नेपाल के पीएम देउबा की भारत यात्रा ओली द्वारा की गई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने का एक सुनहरा अवसर है!

एक नई शुरुआत के लिए तैयार हैं भारत और नेपाल!

नेपाल-भारत संबंध

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नेपाल और भारत के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध हैं। इतिहास, संस्कृति, परंपरा और धर्म के सदियों पुराने संबंध पर स्थापित है। भारत-नेपाल संबंध घनिष्ठ, और एक दूसरे के साथ राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक जुड़ाव सम्मिलित है ।

नेपाल-भारत संबंध संधियों और समझौतों के योग से कहीं अधिक हैं। अलग-अलग समय पर दोनों देशों के नेताओं द्वारा लगातार उच्च स्तरीय दौरे और बातचीत दोनों देशों के बीच संबंधों की पहचान रही है। इसके अलावा, इस तरह की यात्राओं ने दोनों देशों के बीच सद्भावना, विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देने में मदद की है और अधिक परिपक्व और व्यावहारिक स्तर पर दोस्ती और सहयोग के सदियों पुराने और बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए नई गति प्रदान की है। भारत नेपाल का प्रमुख विकास भागीदार रहा है।

इसी क्रम में नेपाली प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा पहली तीन दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को भारत की यात्रा करेंगे, जिसके दौरान वह अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बहुआयामी, सदियों पुराने और सौहार्दपूर्ण संबंधों को और मजबूत करने के लिए बातचीत करेंगे।

आपको बतादें कि देउबा और उनकी पत्नी आरजू देउबा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर आधिकारिक यात्रा पर 3 अप्रैल तक भारत में रहेंगे। उनका 2 अप्रैल को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिलने और प्रधान मंत्री मोदी के साथ बातचीत करने का कार्यक्रम है।

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इस दौरे को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मेहमान नेता से मुलाकात करेंगे। गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “आगामी यात्रा दोनों पक्षों को इस व्यापक सहकारी साझेदारी की समीक्षा करने और दोनों लोगों के लाभ के लिए इसे आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी।”आपको बता दें कि नई दिल्ली में प्रधान मंत्री देउबा उद्योग जगत के नेताओं की एक सभा को भी संबोधित करेंगे और भारत की अपनी यात्रा समाप्त करने से पहले उनका 3 अप्रैल को वाराणसी जाने का भी कार्यक्रम है।

ज्ञात हो कि देउबा के नेपाल के प्रधानमंत्री बनने से पहले भारत और नेपाल के बीच सम्बन्ध ख़राब हो गए थे और उसके मुख्य जिम्मेदार थे नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री KP OLI ,जो चीन की गुलामी करने के लिए अधिक लोकप्रिय थे। ओली ने आंतरिक मुद्दों को दरकिनार कर भारत के खिलाफ कट्टरवाद और काल्पनिक सीमा विवादों का इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे।

लेकिन ओली के सत्ता से हटते हीं भारत और नेपाल की मित्रता और अधिक गहरी हो गई है क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और सज्जन स्वाभाव से नेपाली प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा बहुत प्रभावित है और उम्मीद जताई जा रही है की ओली द्वारा किये गए भारत- नेपाल के रिश्तों में दरार को दोनों देशो के समक्ष दरकिनार कर अपनी मित्रता को नए आयाम पर पहुचाएंगे जिससे दोनों देशों का सम्बन्ध और संस्कृति सुरक्षित रहे।

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