प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी हाज़िरजवाबी और तटस्थ वाक शैली के लिए जाने जाते हैं। उनका हर एक निर्णय कई पहलुओं को जांच-परखकर और उसके दूरगामी परिणामों को केन्द्रीत रखकर लिया जाता है। परिवारवाद पर भी पीएम मोदी का रुख सदा से स्पष्ट रहा है कि “नहीं तो नहीं।” ऐसे में उत्तर प्रदेश में इस बार परिवारवाद को लेकर अजीब असमंजस बनी रही, मेनका गाँधी और वरुण गाँधी दोनों ने अपने संसदीय क्षेत्र में 0 प्रतिशत भागीदारी के साथ चुनाव प्रचार किया तो वहीं परिवार जनित राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए रीता बहुगुणा जोशी को अबकी बार अपने बेटे मयंक जोशी के लिए भाजपा से विधायकी का टिकट चाहिए था और न मिलने पर मयंक ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था।
अब इसी बिंदु पर अपनी बात रखते हुए मंगलवार को पीएम मोदी ने वंशवादी परंपरा को ध्वस्त करने वाले अपने कदम के बारे में बताया जिससे निश्चित रूप से मेनका गाँधी से लेकर रीता बहुगुणा जोशी सरीखे सभी नेता आहत होंगे कि अब कैसे अपने बच्चों को राजनीतिक रूप से आगे बढ़ा पाएंगे।
इस विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा पर एक और बार भरोसा जता यह सुनिश्चित कर लिया है कि सरकार पुनः भाजपा की बनेगी और आने वाले हफ्ते में शपथ ग्रहण की प्रक्रिया भी पूर्ण हो जाएगी। ऐसे में चुनावों के नतीजों के बाद भाजपा सांसदों की पहली साप्ताहिक बैठक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि, हाल के राज्य चुनावों में भाजपा सांसदों के बच्चों को मैदान में नहीं उतारने का फैसला उनका था, जिसमें पार्टी ने चार राज्यों में जीत हासिल की थी।
“कई सांसद और पार्टी के नेता अपने बच्चों के लिए हाल ही में संपन्न चुनावों में टिकट मांग रहे थे और उनमें से कई को मना कर दिया गया था। भाजपा सांसदों के बच्चों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिला क्योंकि यह वंशवाद की राजनीति के तहत आता है। उन्हें मेरी वजह से टिकट नहीं मिला।” यह शब्द प्रधानमंत्री मोदी के थे जो शुरुआत से ही वंशवादी परंपरा के सबसे कट्टर दुश्मन हैं।
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इन टिप्पणियों को रीता बहुगुणा जोशी के परिप्रेक्ष्य में देखा गया जिनके पुत्र ने भाजपा से विधायकी का टिकट न मिलने पर समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली थी। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियों का नाम लिए बिना कहा, “वंशवाद की राजनीति देश के लिए खतरनाक है। वंशवाद जातिवाद को बढ़ावा देते हैं।” पीएम मोदी ने रीता बहुगुणा जोशी और मेनका गाँधी जैसे अतिमहत्वकांक्षी नेताओं पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक संगठन व्यावहारिक ढंग से पेश आ रहा है उसे संगठन की विवशता या मजबूरी न समझें बल्कि कृतग्यता का भाव समाहित करें क्योंकि यह भाजपा ही है जिसने मूलतः दोनों कांग्रेस के परिवारवाद से निकली रीता बहुगुणा जोशी और मेनका गाँधी को आदर सहित पार्टी में सम्मान और प्रतिष्ठा प्रदान की।
फिर चाहे रीता बहुगुणा जोशी हों, जिनको स्वयं भाजपा में आने के तुरंत बाद विधायक बनाया गया, तत्काल की योगी केबिनेट में मंत्री पद से नवाजा गया और उसी के बाद 2019 में लोकसभा सांसद बना दिया गया था।
यहाँ बात करना जरूरी है रीता बहुगुणा की, इन्हीं के भाई और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे को उत्तराखंड में विधायक इसी भाजपा ने बनाया, दूसरे बेटे साकेत बहुगुणा का भी संबंध भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की राष्ट्रीय स्तर के दायित्व के साथ रहा है। इतना सब जोशी-बहुगुणा परिवार को भाजपा की ओर से मिला पर रीता बहुगुणा और उनके बेटे मयंक जोशी के भीतर कृतग्यता का लेश मात्र भाव नहीं था। मौकापरस्त बेटे मयंक जोशी ने क्षणभर में एक पाले से दुसरे पाले में खिसकने में देर नहीं लगाई।
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मेनका गाँधी और वरुण गाँधी ने इस विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार कम और गड्ढे खोदने का काम ज़्यादा किया। स्वयं वरुण गाँधी ने ट्विटर को भाजपा विरोधी शस्त्र बना सरकार को आड़े हाथों लेने का काम किया। अपने लोकसभा क्षेत्रों को छोड़ दुनिया जहान के सारे मुद्दों पर अपनी अनावश्यक राय और टीका-टिप्पणी के बावजूद अब तक भाजपा में बने हुए दोनों ही माँ-बेटे इस जुगत में रहते हैं कि अब भी पार्टी उनमें से किसी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में ले ले। खनिज की आरज़ू बढ़ती ही जा रही है ऐसे में पीएम मोदी का वंशवाद पर प्रहार इससे बड़ा झटका इन दोनों की परिवारों के लिए नहीं हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने इस बैठक में जोर देकर कहा कि, “2024 के राष्ट्रीय आम चुनाव से पहले, पार्टी को “कश्मीर से कन्याकुमारी” के वंशवादी दलों के खिलाफ जागरूकता बढ़ानी चाहिए। पूरे भाषण का सार यही रहा जो पीएम मोदी ने सारगर्भित करके संदेश दिया कि, “वंशवाद पर दो टूक संदेश है कि न ही दबाव में आएंगे और न ही वंशवाद को बढ़ाएंगे।”
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