Feminism (नारीवाद) सभी लिंगों के समान अधिकार और अवसर रखने के बारे में होता है। यह विविध महिलाओं के अनुभवों, पहचानों, ज्ञान और शक्तियों का सम्मान करने और सभी महिलाओं को उनके पूर्ण अधिकारों का एहसास कराने के लिए सशक्त बनाने का प्रयास करने के बारे में होता है। लेकिन आज के परिदृश्य में नारीवाद की एक अलग ही परिभाषा दिखाई जाती है। नारीवाद क्या है और नकली नारीवाद क्या है, इसके बीच लोग भ्रमित हो रहे हैं। वे नहीं जानते कि नारीवाद वास्तव में क्या है, इस विषय पर अपना शोध नहीं करते हैं और इसका उपहास करते हैं
नकली नारीवाद पर गहरी चोट
एक ऐसा ही नकली नारीवाद की झलक देखने को मिली जब मातृत्व को अब तक स्वैच्छिक बताने वाली फेमिनिस्ट और बच्चों को एक प्रकार से बोझ बताने वाले वामपंथी अपने एजेंडे से परे एक विज्ञापन भी नहीं देख पा रहे हैं और वह हर स्थिति में उसका विरोध करने लग जाते हैं। दरअसल प्रेगान्युज़ जो प्रेगनेंसी किट के लिए प्रसिद्द है, उसने एक विज्ञापन बनाया, जहां इस विज्ञापन से नकली फेमिनिज्म द्वारा बनाए गए ढांचे को दो ही मिनट में गिरा देता है।
आपको बता दें कि इस विज्ञापन में एक अदाकारा, जिसने हाल ही में शादी की है, वह अपने मॉडलिंग कैरियर को लेकर चिंतित है और वह इस बारे में बार बार सवाल कर रही है कि क्या उसे यह बच्चा चाहिए। वह एक रेलवे स्टेशन पर है और जब वह महिला रेलवे वेटिंग रूम में जाती है तो पाती है कि एक साड़ी में महिला बैठी है और उसकी गोद में एक बच्चा है और वह रो रहा है।
वहीं पर एक महिला बैठी लैपटॉप पर काम कर रही है और उसमें एक अलग घमंड दिख रहा है। वह स्वयं में एक श्रेष्ठता का भाव लिए कार्य करती रहती है। फिर साड़ी पहनी महिला के बच्चे की बोतल गिरती है और वह मॉडल बोतल नहीं उठाती है, फिर सफाई कर्मी आती है और बच्चे के दूध की बोतल को उठाती है और वो कहती है कि उसके तीन बच्चे हैं और वह तलवे सहलाकर बच्चे को चुप कराती थी।
अपने मातृत्व का अनुभव साझा करती है महिला
अर्थात वह अपने मातृत्व का अनुभव साझा कर रही है और जब वह साड़ी वाली महिला उस सफाई कर्मी द्वारा अपनेपन से बताए गए अनुभव के आधार पर अपने बच्चे के तलवे सहलाती है, तो उस बच्चे का रोना बंद हो जाता है। आपको बता दें कि यही भारत की पहचान है, यही वह असली नारीवाद और मातृत्व है जो हमारे यहां सदियों से रहा है। फिर आता है विज्ञापन का सबसे रोचक दृश्य जिस पर वामपंथी धड़ा भड़क सकता हैं!
इस विज्ञापन में लैपटॉप लिए जो महिला है वह उस सफाईकर्मी महिला को उसके काम के आधार पर पिछड़ा बताती है परन्तु कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, इसी सिद्धांत को आत्मसात किए हुए वह सफाईकर्मी अपने पेशे के प्रति आदर व्यक्त करती हुई कहती है कि “मुझे नहीं पता कि आपकी नजर में आगे बढ़ना क्या होता है, पर मैं अपने बच्चों की नजर में आगे हूँ। ”
फिर लैपटॉप वाली महिला उस साड़ी वाली महिला से पूछती है कि क्या बच्चा होने के बाद उसकी पहचान तो नहीं चली गयी है? इसपर साड़ी पहने महिला कहती है कि उसे तो एक नई पहचान मिली है, तो वह ताना मारती है कि “हाउसवाइफ हो न, इसलिए फ़िल्मी डायलॉग बोल पा रही हो।
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फिर वह महिला कहती है कि इस बच्चे के साथ वह और भी काम करती है और वह शहर का law and order संभालती है, और फिर अब तक शांत रहकर इस संवाद को सुन रही वह मॉडल उस महिला से पूछती है कि वह कौन है तो वह कहती है कि “मैं सीमा रस्तोगी, एसएसपी झांसी। यह बात सुनकर उस मॉडल का वह भ्रम टूट जाता है जिससे वह लड़ रही थी। ऐसा प्रतीत होता है जैसे उसे दिशा मिल गयी। और फिर विज्ञापन का अंत कुछ इस तरह से होता है कि एसएसपी अपनी ड्यूटी पर जा रही है और उसके हाथ में एक मैगजीन आती है जिसमें उसी मॉडल की गर्भावस्था की तस्वीर होती है साथ में थैंक्स लिखा होता है।
नकली नारीवाद का माला जपने वालों के लिए सबक
यह कुछ मिनट का विज्ञापन वामपंथियों के लिए और नकली नारीवाद का माला जपने वालों के लिए सबक है जो हर दिन बिना ज्ञान के फेमिनिज्म का ज्ञान बांटे फिरते है। जो दृश्य इस विज्ञापन में दिखाया है, वह दृश्य बहुत ही आम तौर पर दिख जाता है। वैसी महिलाएं जो कामकाजी हैं, ज्यादातर बार वह इसी दृश्य से दो चार होती हैं और वह अपने मातृत्व को कभी उस प्रकार का बोझ नहीं समझती है जैसा इन वामपंथी रचनाकारों ने बना दिया है। उसके लिए मातृत्व शक्ति है, यह वही शक्ति है जो एक स्त्री को झाँसी की रानी बनाती है।
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इस विज्ञापन को लेकर प्रेगान्युज़ पर फेमिनिस्ट हमले शुरू हो गए हैं और कहा जा रहा है कि यह स्त्री विरोधी विज्ञापन है और यह महिलाओं को बांट रहा है। विज्ञापन में ऐसे बहुत सारे नकारत्मक कमेंट दिखने को मिले हैं जहां एक महिला ने कहा कि प्रेगान्यूज़ अपने उत्पाद को बेचने पर ध्यान दो। महिलाओं को यह निर्णय करने दो कि वह खुद के लिए क्या चाहते हैं, सभी महिलाएं एक समान नहीं होती हैं। अगर किसी ने काम को गर्भ से ऊपर चुना है तो उन्हें गलत ठहराने का आपको कोई अधिकार नहीं है।
हालांकि, हमें पता है कि नकली नारीवाद मौजूद है और यह समानता के लिए खतरा है। कई महिलाएं नारीवाद के अर्थ को अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से बदल देती हैं और उसे नकली बना देती हैं और preganews के इस विज्ञापन ने यह दर्शा दिया है कि आज कामकाजी महिला और गृहणी भी वो हर एक चीज़ कर सकती है जो उसके अधिकार के लिए है।