भारत के वैचारिक आख्यान को बदलने के लिए तैयार है RSS

RSS की बैठक में भारतीय संस्कृति पर दिया गया जोर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत के प्रति देश और विदेश में फैली गलत धारणा का मुकाबला करने के लिए एक रणनीति तैयार की है। इसने भारत के तथ्य-आधारित ‘ग्रैंड नैरेटिव’ को प्रस्तुत करने के लिए शोधकर्ताओं, लेखकों और राय निर्माताओं के साथ सहयोग करने का निर्णय लिया है। कर्णावती में आयोजित संघ की शीर्ष संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारीयों ने रविवार को यह बात कही। बैठक में इस मुद्दे के साथ-साथ भारतीय समाज, उसके हिंदू समुदाय, उसके इतिहास, संस्कृति और जीवन शैली की एक सच्ची तस्वीर पेश करने के तरीकों सहित कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

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2025 में आरएसएस के स्थापना का शताब्दी वर्ष पूर्ण हो रहा है। इस उपलक्ष्य पर आयोजित समारोह के पहले बैठक के एजेंडे में संगठन का विस्तार करने और समुदाय के सदस्यों के बीच राष्ट्रवाद और एकता के विचार को आगे बढ़ाने का उद्देश्य शामिल था, न कि केवल संख्यात्मक रूप से शाखा की बढ़ोतरी करना। बैठक में 1,252 पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए।

आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने क्या कहा है?

बैठक के आखिरी दिन पत्रकारों से बात करते हुए आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा- “भारत से संबंधित विषयों पर भारत और विदेशों में अनजाने में या जानबूझकर गलत सूचना फैलाने का प्रयास किया गया है। ऐसा अंग्रेजों के जमाने से लेकर अब तक किया जा रहा है।“

इसका तात्पर्य यह है की वैचारिक आख्यान को बदलने और तथ्यों के आधार पर भारत के एक भव्य आख्यान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। भारत के विषयों, उसके हिंदू समुदाय, उसके इतिहास, संस्कृति, जीवन शैली पर समाज के सामने एक सच्ची तस्वीर पेश करने की जरूरत है।

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इस मुद्दे पर न सिर्फ संघ के सदस्य बल्कि काफी संख्या में लोग अपनी राय रख रहे हैं। जिन्होंने शोध किया है, पुस्तकें लिखी हैं, जिनकी राय भारत और विदेशों में प्रकाशित होती है। ऐसे लोगों का एक बड़ा वर्ग है। नेटवर्किंग और उनके सहयोग से संघ अगले तीन-चार वर्षों में भारत की सच्चाई को प्रभावी ढंग से पेश करने में सक्षम होंगे।

शनिवार को यहां प्रस्तुत अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, आरएसएस ने धार्मिक कट्टरता को भी एक गंभीर चुनौती करार दिया तथा कर्नाटक और केरल में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की हालिया हत्याओं का भी उल्लेख किया।

संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में सांप्रदायिक उन्माद, प्रदर्शन, सामाजिक अनुशासन का उल्लंघन, रीति-रिवाजों और परंपराओं का उल्लंघन, मामूली कारणों से हिंसा भड़काना, अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देना आदि कायरतापूर्ण कृत्यों की संख्या बढ़ती जा रही है।

अप्रत्यक्ष रूप से हिजाब विवाद पर भी बोले होसबोले

होसबोले ने कहा- समाज के बारे में कुछ अनुशासन है। हरियाणा में, लोग आरती के मुद्दे पर आपस में भिड़ गए। यह कहना सही नहीं है कि हमें धार्मिक स्वतंत्रता है। स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर किसी ने नियम बनाया है तो यह कहना सही नहीं है कि हम (इसका पालन) नहीं करेंगे।’ उनका इशारा अप्रत्यक्ष रूप से कर्नाटक में हिजाब विवाद से था।

इस बैठक में संघ के विस्तार पर भी चर्चा की गई। विस्तार में भौगोलिक और गतिविधियों के संदर्भ शामिल हैं। संघ की गतिविधियां आज देशभर के 50 प्रतिशत मंडलों तक पहुंच चुकी हैं, जिसमें दैनिक शाखाएं और साप्ताहिक बैठकें शामिल हैं।

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होसबोले ने कहा कि संघ की योजना आने वाले दो वर्षों में अपनी विस्तार योजनाओं को पूरा करने की है। उन्होंने कहा कि इसे शहर के वार्डों में विस्तारित करने और देश के हर जिले में एक आदर्श गांव बनाने की योजना है। जिसका मकसद सिर्फ संख्या बढ़ाना नहीं है, बल्कि समुदाय के सदस्यों के बीच राष्ट्रवाद और एकता के विचार को आगे बढ़ाना है। संघ की गतिविधियों में भाग लेने के लिए स्वेच्छा से लोगों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है।

 

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