गुजरात और MCD चुनावों में हार की डर से एक बार फिर अपने बयान से पलट गए हैं केजरीवाल

केजरीवाल की 'पलटीमार' राजनीति!

केजरीवाल कश्मीर फाइल्स

Source- TFIPOST

राजनीति में शब्दों का चयन और गरिमा का ख्याल रखना सुखद होता है। एक अच्छा और योग्य नेता कभी भी किसी ऐसे मुद्दे पर गलत बयानबाजी नहीं करता, जिससे आम जनमानस आहत हो जाए। पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीति का स्तर इतना नीचे गिरा चुके हैं कि वो किसी भी मामले पर अपनी गलत बयानबाजी करने से गुरेज नहीं करते! दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले हफ्ते उस समय विवाद खड़ा कर दिया था जब उन्होंने दिल्ली विधानसभा के पटल पर ‘द कश्मीर फाइल्स’ को एक झूठी फिल्म बताया था। उन्होंने 24 मार्च को दिल्ली विधानसभा में कश्मीर फाइल्स को यूट्यूब पर अपलोड करने की मांग की थी। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि पार्टी के लोग गली-गली में जाकर इस फिल्म का पोस्टर लगा रहे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और उसके बाद कश्मीर घाटी से पलायन के दौरान हुई पीड़ा पर हंसने के लिए केजरीवाल और उनकी पार्टी की चौतरफा आलोचना हुई। लेकिन अब केजरीवाल तो ठहरे केजरीवाल, उनकी पुरानी आदत है कि पहले पाप करो और फिर पांव पर गिर जाओ। यहां भी कुछ ऐसा हीं हुआ है।

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पलटी मारने के पर्याय हो गए हैं केजरीवाल!

दरअसल, जब कश्मीर फाइल्स पर उनके बयान से बवाल मचा, तो शायद दिल्ली के सीएम को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उन्होंने डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी। उन्होंने टाइम्स नाउ नवभारत को दिए अपने एक साक्षात्कार में द कश्मीर फाइल्स के विवाद के बारे में बात की। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में कश्मीर फाइल्स फिल्म के बारे में उनकी टिप्पणी को “गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया”। उन्होंने कहा कि भाजपा आठ साल सत्ता में रहने के बावजूद जम्मू-कश्मीर छोड़ने वालों के पुनर्वास की व्यवस्था करने के बजाय एक फिल्म का प्रचार कर रही है। केजरीवाल ने कहा, “इसे गलत तरीके से पेश किया गया है। कश्मीरी हिंदुओं के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। यह बहुत बड़ी त्रासदी थी। जो लोग कश्मीर छोड़ने को मजबूर हुए थे, उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए थी। वहां जमीन उपलब्ध कराई जानी चाहिए थी और एक नीति बनाई जानी चाहिए थी।”

भाजपा को निशाने पर लेते हुए केजरीवाल ने यह भी कहा कि “भाजपा के लिए, कश्मीर फाइल्स महत्वपूर्ण हैं। मेरे लिए, कश्मीरी पंडित अधिक महत्वपूर्ण हैं। जिन लोगों को कश्मीर से भागना पड़ा, उनमें से 233 ऐसे थे जो 1993 में अनुबंध शिक्षकों के रूप में दिल्ली सरकार में शामिल हुए। जब हमारी सरकार आई, तो मैंने 233 शिक्षकों को स्थायी किया। हमने उन पर फिल्म नहीं बनाई।”

केजरीवाल की झूठ की राजनीति!

लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि 233 कश्मीरी पंडित शिक्षकों की स्थायी बहाली का दावा करने वाले बयान के बाद केजरीवाल फिर विवादों में आ गए। दरअसल, कश्मीरी पंडित शिक्षक संघ ने बीते दिन सोमवार को कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने का श्रेय लेने पर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की कड़ी आलोचना की। शिक्षकों के निकाय ने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने उनकी सेवा नियमितीकरण में बाधा डालने की पूरी कोशिश की है।वहीं, भाजपा ने केजरीवाल पर कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया था। सोशल मीडिया पर कई ऐसे कमेंट भी किए गए जो फिल्म के बारे में केजरीवाल की टिप्पणी की आलोचना कर रहे थे। अब इस मामले ने इतना बवाल मचा दिया है कि केजरीवाल चौतरफा घिरते जा रहे हैं। हालांकि, आपको बता दें कि इस विवाद के बाद से केजरीवाल के सुर बदलते जा रहे है और ऐसा क्यों है, इसका भी एक कारण है।

गुजरात विधानसभा चुनाव और एमसीडी चुनाव में लगेगी लंका

गौरतलब है कि AAP एक अखिल भारतीय पार्टी के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। खासकर पंजाब राज्य में शानदार जीत के बाद अब आप की नजर गुजरात विधानसभा चुनाव और दिल्ली एमसीडी चुनावों पर टिकी है, जिनकी तारीखें नजदीक आ गई हैं। इस प्रकार आगामी एमसीडी चुनाव और गुजरात चुनाव पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करना चाहेगी। हालांकि, द कश्मीर फाइल्स को लेकर दिया गया केजरीवाल का हालिया बयान AAP की महात्वाकांक्षाओं को नेस्तनाबूत कर सकता है। ऐसे में लगता है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल डैमेज कंट्रोल मोड में चले गए हैं।लेकिन भारत की महान जनता और हिन्दुओं को केजरीवाल का असली रंग दिख गया है और हिन्दू समुदाय पूरी तरह से केजरीवाल के खिलाफ लामबंद हो गया है और आने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव और दिल्ली MCD चुनाव में देश का हिन्दू समाज केजरीवाल को सबक सिखाने के मूड में दिख रहा है। अब देखने वाली बात है कि कश्मीर फाइल्स विवाद के कारण होने वाली राजनीतिक क्षति को आम आदमी पार्टी कैसे नियंत्रित कर पाती है पर इतना तो तय है कि केजरीवाल को एहसास हो गया है कि आगामी चुनाव में उनका बयान उनकी पार्टी की लुटिया डूबो सकता है।

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